हाथरस भगदड़ के बाद बना स्पेशल इंटिग्रेटेड सिस्टम, डीजीपी प्रशांत कुमार ने दिए निर्देश

UP News: उत्तर प्रदेश में भगदड़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए डीजीपी प्रशांत कुमार ने एसओपी जारी की है। इसके तहत अब उत्तर प्रदेश में जिला, रेंज और जोन स्तर पर अलग-अलग इंटिग्रेटेड सिस्टम तैयार होगा।

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Newstrack Network
Published on: 25 July 2024 7:06 AM GMT (Updated on: 25 July 2024 7:11 AM GMT)
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डीजीपी प्रशांत कुमार ने भीड़ प्रबंधन और भगदड़ से बचाव के लिए एसओपी जारी की है

UP News: यूपी के हाथरस में सत्संग के बाद हुई भगदड़ जैसी भयावह घटना भविष्य में दोबारा न हो, इसके लिए प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने भीड़ प्रबंधन और भगदड़ से बचाव के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की है। एसओपी के आधार पर अब उत्तर प्रदेश में जिला, रेंज और जोन स्तर पर अलग-अलग इंटिग्रेटेड सिस्टम तैयार होगा। डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, फायर बिग्रेड और स्थानीय पुलिस के साथ स्वयं सेवी संगठनों के स्तर पर नियमित रूप से इंटिग्रेटेड सिस्टम को अपडेट किया जाएगा। डीजीपी ने ऐसी घटनाओं का पूर्वाभ्यास कराए जाने का निर्देश दिया। साथ ही इस इंटिग्रेटेड सिस्टम में आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों को भी शामिल किया है।

एसओपी लागू करने का निर्देश

डीजीपी ने जोन, रेंज और जिला पुलिस प्रभारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों पर लगातार बड़े स्तर पर कार्यक्रम होते रहते हैं। साथ ही मॉल, रेलवे स्टेशनों, क्रिकेट मैच, राजनीतिक पार्टियों और आध्यात्मिक संतों के कार्यक्रमों में भीड़ जुटती है। ऐसे सभी जगहों पर किसी भी समय भगदड़ की आशंका रहती है। इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और पुलिस ड्यूटी के लिए यह एसओपी तैयार की गई है। डीजीपी ने इसे तत्काल लागू करने के भी निर्देश दिये हैं।

डीजीपी द्वारा दिए गए निर्देश

- वरिष्ठ अधिकारियों, स्थानीय मजिस्ट्रेट और जिम्मेदार अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया जाए।

- पुलिस लाइनों में विशेष आयोजनों में सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक संचालन के संसाधनों और उपकरणों की नियमित जांच करवाई जाए और कर्मियों को उनका प्रशिक्षण दिया जाए।

- इंटिग्रेटेड सिस्टम को स्थानीय परिस्थितियों के मद्देनजर हर साल अपडेट और अपग्रेड किया जाए।

- जिला, रेंज और जोन स्तर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को चिह्नित किया जाए।

ऐंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था

- जरूरत पड़ने पर स्थानीय फील्ड यूनिट, फायर बिग्रेड, बीडीएस टीम, फ्लड यूनिट और एसडीआरएफ की भी मदद ली जाए।

- भगदड़ की स्थिति होने पर चिकित्सा विभाग से समन्वय बनाकर ऐंबुलेंस का इंतजाम किया जाए और उनके लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार कराए जाएं।

-मीडिया को समुचित ब्रीफिंग की जाए, जिससे कोई गलत तथ्य या अफवाह न फैल सके।

- मृतकों को घटनास्थल और अस्पताल से उनके घर पहुंचाने और अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय प्रशासन से समन्वय बनाकर कार्रवाई की जाए।

ऐसी हो तैयारी

- संभावित खतरों (आग, बिजली, सड़क दुर्घटना और श्वास अवरोधक) के आकलन के आधार पर आपातकालीन योजना तैयार की जाए। सभी विभागों से समन्वय बनाया जाए।

- कार्यक्रम की पूरी जानकारी और वहां आने वालों की अनुमानित संख्या की जानकारी जुटाई जाए।

- सुरक्षा और ट्रैफिक के लिए जरूरी पुलिस, पीएसी, केंद्रीय बल, अधिकारियों और संसाधनों का मांग पत्र तैयार किया जाए। मजबूत बैरिकेडिंग की जाए।

- परमिशन देने वाले अधिकारी और स्थानीय पुलिस पहले से चेक कर रहे ले कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा नहीं है। वहां लोगों का आवागमन सुरक्षित है।

अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी नजर

- कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए राजपत्रित अधिकारी (स्थानीय मैजिस्ट्रेट) को प्रभारी नियुक्ति किया जाए। ड्यूटी पर लगाए जाने वाले फोर्स की समुचित ब्रीफिंग की जाए।

- पब्लिक एड्रेस सिस्टम के साथ अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

- अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाए।

- अतिथियों की श्रेणी तय कर उसी हिसाब से उनके आवागमन के मार्ग अलग-अलग रखे जाएं। जनता के लिए आवागमन के मार्ग अलग हों।

- कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी से मॉनिटरिंग की जाए और ऑपरेशनल कंट्रोल रूम बनाए जाएं।

- क्राउड कंट्रोल प्लान के तहत आवागमन और पार्किंग का इंतजाम किया जाए।

- कार्यक्रम स्थल पर लाइट, पीने का पानी और ऐंबुलेंस का इंतजाम किया जाए।

Aniket Gupta

Aniket Gupta

Senior Content Writer

Aniket has been associated with the journalism field for the last two years. Graduated from University of Allahabad. Currently working as Senior Content Writer in Newstrack. Aniket has also worked with Rajasthan Patrika. He Has Special interest in politics, education and local crime.

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