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Milkipur By-election: योगी के सामने अयोध्या का हिसाब बराबर करने की चुनौती, अखिलेश यादव के लिए गढ़ बचाने का सवाल

Milkipur By-election: चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव के लिए 5 फरवरी की तारीख घोषित कर दी है।

Anshuman Tiwari
Published on: 8 Jan 2025 9:41 AM IST
Milkipur By-election: योगी के सामने अयोध्या का हिसाब बराबर करने की चुनौती, अखिलेश यादव के लिए गढ़ बचाने का सवाल
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Milkipur By-election: उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव के लिए 5 फरवरी की तारीख घोषित कर दी है। मिल्कीपुर उपचुनाव प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव दोनों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। योगी आदित्यनाथ के सामने मिल्कीपुर में अयोध्या में मिली हार का हिसाब बराबर करने की चुनौती है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के सामने मिल्कीपुर में सपा का गढ़ बचाने की बड़ी चुनौती है।

यही कारण है कि मिल्कीपुर में दोनों दलों की ओर से प्रत्याशी भले कोई भी चेहरा हो मगर यहां योगी और अखिलेश के बीच प्रतिष्ठा की जंग मानी जा रही है। इस उपचुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच दलित और पिछड़े वोट बैंक पर पकड़ की परीक्षा भी होने वाली है। मिल्कीपुर के चुनाव नतीजे से निकलने वाला संदेश पूरे देश में जाएगा। इस कारण दोनों दलों की ओर से मिल्कीपुर के उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी है।

लोकसभा चुनाव ने योगी को दिया था बड़ा जख्म

दरअसल पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को फैजाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इस सीट पर मिल्कीपुर से विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी जिसे अयोध्या में भाजपा की हार के रूप में प्रचारित किया गया था। पूरे देश के मीडिया में यह खबर हेडलाइन बन गई थी। पिछले साल जनवरी महीने में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भाजपा को मिली यह हार किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।


सपा ने अयोध्या में मिली इस जीत को सड़क से लेकर संसद तक बड़ा मुद्दा बना बनाया। हालांकि फैजाबाद में मिली इस हार के पीछे कई कारण थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा नेताओं के अति आत्मविश्वास को भी हार का बड़ा कारण माना था। फैजाबाद में मिली इस हार के चाहे जो भी कारण रहे हैं मगर इतना जरूर है कि इस हार ने भाजपा के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ा जख्म दिया था।

योगी और अखिलेश के बीच क्यों है प्रतिष्ठा की जंग

अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए गए थे जिसमें भाजपा गठबंधन ने 7 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सपा को बड़ा झटका दिया था। सपा सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। सपा को करहल और कानपुर की सीसामऊ सीट पर जीत मिली थी। मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर मिली हार ने सपा और पार्टी मुखिया अखिलेश यादव को काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया था।

सपा की इस करारी हार के बाद मिल्कीपुर में उपचुनाव होने जा रहा है जिसे सपा मुखिया अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों के लिए प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है। यही कारण है कि दोनों नेताओं ने इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर रखी है। इस उपचुनाव के नतीजे से निकलने वाला संदेश पूरे देश में जाएगा। यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें दिल्ली के विधानसभा चुनाव के साथ ही मिल्कीपुर के उपचुनाव पर भी लगी हुई हैं।


भाजपा और सपा की क्या है तैयारी

भाजपा मिल्कीपुर के उपचुनाव को इतना महत्वपूर्ण मान रही है कि पार्टी की ओर से इस चुनाव क्षेत्र में छह मंत्रियों की टीम तैनात की गई है। इन मंत्रियों को क्षेत्र के पिछड़े और दलित वोटों को पार्टी के पक्ष में गोलबंद करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंप गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मिल्कीपुर में विभिन्न गतिविधियों की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने इस इलाके की पूरी कमान अपने हाथ में ले रखी है। पिछले जुलाई महीने से अभी तक उन्होंने मिल्कीपुर का पांच बार दौरा किया है। पिछले सितंबर महीने में उन्होंने यहां पर एक हजार करोड़ की 83 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया था।

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने खुद मिल्कीपुर उपचुनाव के मॉनिटरिंग की कमान संभाल रखी है। समाजवादी पार्टी ने इस क्षेत्र में फैजाबाद से चुनाव जीतने वाले अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। अवधेश प्रसाद लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं और उनका कहना है कि योगी के दौरों से कोई असर नहीं पड़ने वाला है और 2022 की तरह सपा को एक बार फिर इस क्षेत्र में जीत हासिल होगी।

सपा-भाजपा के बीच होगा कांटे का मुकाबला

भाजपा ने अभी तक मिल्कीपुर में उपचुनाव के लिए अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर अवधेश प्रसाद ने बाबा गोरखनाथ को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बाबा गोरखनाथ विजयी रहे थे जबकि 2012 के चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद को जीत मिली थी।

बाबा गोरखनाथ को एक बार फिर टिकट का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। माना जा रहा है कि पार्टी की ओर से जल्द ही उनके नाम पर मुहर लगा सकती है। सियासी जानकारों को मानना है कि यदि भाजपा की ओर से बाबा गोरखनाथ को उतारा गया तो मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस मुकाबले पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं और अब यह देखने वाली बात होगी कि प्रतिष्ठा की जंग में सपा और भाजपा दोनों में से किसे जीत हासिल होती है।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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