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Padma Shri 2023: 'नक्काशी के उस्ताद' दिलशाद हुसैन को पद्मश्री अवार्ड, इनके कद्रदानों में PM मोदी भी

Padma Shri 2023: मुरादाबाद के हस्त शिल्पी दिलशाद हुसैन को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके पीतल बर्तनों पर नक्काशी दुनियाभर में चर्चित है। इसी पहचान को सम्मान मिला।

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Written By aman
Published on: 26 Jan 2023 8:11 AM GMT (Updated on: 26 Jan 2023 10:15 AM GMT)
Padma Award 2023:
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Dilshad Hussain (Social Media)

Padma Shree 2023: 'पीतल नगरी' मुरादाबाद के हस्तशिल्प की पहचान पूरी दुनिया में है। इस शहर को नई चमक दी है नक्काशी के उस्ताद कहे जाने वाले दिलशाद हुसैन (Dilshad Hussain) ने। भारत सरकार ने उनके इसी पहचान को और चमक देते हुए शिल्प गुरु के नाम से विख्यात दिलशाद हुसैन (Dilshad Hussain Padma Award 2023) का चयन पद्मश्री पुरस्कार के लिए किया। आपको बता दें, यूपी के मुरादाबाद जिले में इससे पहले किसी शख्स को पद्म पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया।

दिलशाद हुसैन के हस्तशिल्प के कायल देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) भी हैं। इसकी एक बानगी तब देखने को मिली थी जब अगस्त 2022 में जी-7 सम्मेलन (G-7 Summit) में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्राध्यक्षों को गिफ्ट दिए थे। तब जर्मनी के चांसलर को पीएम मोदी ने दिलशाद हुसैन (Dilshad Hussain) का बनाया कलश ही भेंट किया था। उस कलश पर उनकी कारीगरी का नायाब नमूना पेश था। बुधवार देर शाम जब दिलशाद हुसैन को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा हुई तो उनका परिवार खुशी से नाच उठा। इस सम्मान से दिलशाद हुसैन भी काफी खुश हैं।

दिलशाद हुसैन के हाथों में जादू है

आपको बता दें कि, दिलशाद हुसैन के नाम पहले से कई उपलब्धियां दर्ज हैं। उन्हें राज्य सरकार के पुरस्कारों के अलावा राष्ट्रपति पुरस्कार (President's Award), शिल्प गुरु पुरस्कार (National Shilp Guru Award ) आदि भी प्राप्त है। कहते हैं दिलशाद हुसैन के हाथों में जादू है। पीतल पर जब वो नक्काशी करने बैठते हैं तो अनूठी कलाकृति उभरकर सामने आती है। दिलशाद ने पीतल की प्लेट पर नक्काशी के जरिये पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी बनाई थी।

पीतल बर्तन को छूते ही कर देते हैं कमाल

दिलशाद हुसैन के हाथों का जादू देख चुके लोग बताते हैं, जब वो सादे फूलदान, कलश, लोटा, बोतल आदि पर नक्काशी करते हैं तो फूल-पत्तियों की झड़ी सी लग जाती है। उनकी नक्काशी के बाद उसी सादे फूलदान की कीमत मुंहमांगी हो जाती है। यहां ये भी बता दें कि ये नक्काशी किसी मशीन से नहीं बल्कि, नपे-तुले और सधे अंदाज में कलम से उभार देकर बनाई जाती है।

दिलशाद का पूरा परिवार है हस्त शिल्पी

दिलशाद हुसैन का परिवार मुरादाबाद (Moradabad) के मकबरा दोयम कैथ वाली मस्जिद गली में रहता है। दिलशाद अब 79 साल के हो चुके हैं। मगर, आज भी वो जिस शिद्दत से नक्काशी करते हैं, उसे देख जवान कारीगरों की आंखें भी फटी रह जाती है। दिलशाद अपने हुनर के माहिर उस्ताद हैं। यही वजह है कि सम्मान उनके क़दमों को चूमती रही। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने के साथ ही उन्हें 'शिल्पगुरु' का खिताब भी मिला। दिलशाद हुसैन जब कोई भी उत्पाद तैयार करते हैं तो उसे उद्योग निदेशालय एवं उद्यम प्रोत्साहन को 'मास्टर पीस' के फोटो भी भेज देते हैं। जिससे उनके द्वारा तैयार जादुई नक्काशी के कलश सहित अन्य उत्पाद की मांग भी है।

विदेशों में भी बजा डंका, विख्यात है दिलशाद की नक्काशी

'शिल्प गुरु' दिलशाद हुसैन की नक्काशी का डंका देश ही नहीं विदेशों में भी बजता रहा है। उनके काम को तुर्की, रूस तथा दुबई में भी खासा पसंद किया जाता रहा है। इसमें नेशनल, चुनिया जाली, बिक्री, दरमियानी, जापानी, मरोड़ी का वर्क कलश और अन्य पीतल के बर्तनों पर किया जाता है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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