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Mainpuri By-Elections 2022 : मैनपुरी सीट से सपा प्रत्याशी होंगी डिंपल यादव, अखिलेश ने किया सस्पेंस ख़त्म

Mainpuri By-Elections 2022 : समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी उप चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव को यहां से उम्मीदवार बनाया है।

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Newstrack Network
Published on: 10 Nov 2022 12:30 PM IST (Updated on: 10 Nov 2022 2:48 PM IST)
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अखिलेश यादव- डिम्पल यादव: Photo - Social Media

Mainpuri By-Elections 2022: समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी का एलान कर दिया है। सपा ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी से अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी।

आपको बता दें कि डिंपल यादव ने एक बार कन्नौज से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया है। वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं। इसी के साथ वह पूर्व रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक-संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू भी हैं। जिसका उन्हें फायदा भी मिलेगा।

सपा के लिए मैनपुरी उप चुनाव अहम

सपा के लिए मैनपुरी का उप चुनाव सबसे खास है। पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की सीट है। इस सीट पर अगर समाजवादी पार्टी की जीत होती है तो इससे ये भी पता चलेगा कि मुलायम सिंह यादव के न रहने पर अखिलेश की वोट बैंक पर पकड़ कितनी मजबूत है। हालांकि, अखिलेश यादव ने मैनपुरी सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में अपनी पत्नी डिंपल यादव के नाम का ऐलान कर इस बात का सस्पेंस ख़त्म कर दिया है कि मुलायम के न रहने पर सीट घर में रहेगी या फिर बाहर जाएगी। हालांकि, शिवपाल यादव के लिए ये एक झटका है जिन्हें उम्मीद थी कि भाई के न रहने पर उन्हें मैनपुरी की कमान सौंपी जाएगी। इससे परिवार के अंदरूनी कलह और जोर पकड़ने के आसार बन गए हैं। मीडिया की अटकलें इस बार भी गलत साबित हुई हैं क्योंकि मीडिया में इससे पहले तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी। और कई जगह तो उनके नाम का फैसला हो जाने का ऐलान भी कर दिया गया था।

2012 में कन्नौज सीट जीती थीं डिंपल

बात करें डिंपल यादव की तो वह मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू तो हैं ही साथ ही कन्नौज से समाजवादी पार्टी की लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं। वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी हैं। इसी के साथ वह पूर्व रक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक-संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू भी हैं। जिसका उन्हें फायदा भी मिलेगा। 2012 में अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली कन्नौज लोकसभा सीट पर डिंपल यादव निर्विरोध चुनी गई थीं। उस समय डिंपल यादव कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली दूसरी महिला सांसद बनी थीं। उनसे पहले 1984 में शीला दीक्षित कन्नौज से चुनाव जीती थीं।

चुनाव हारी भी हैं डिंपल

ऐसा नहीं कि डिंपल यादव चुनाव हारी नहीं हैं। उन्होंने अपने पति अखिलेश के ही इस्तीफे से खाली हुई फिरोजाबाद लोकसभा सीट से 2009 में भी उप चुनाव लड़ा था, लेकिन तब वह कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर से हार गयी थीं। 2012 के चुनाव में डिम्पल को इस बात का फायदा मिला कि कांग्रेस तथा बसपा ने उम्मीदवार नहीं खड़े किये, जबकि चुनाव लड़ने का फैसला करने वाली भाजपा का उम्मीदवार अंतिम क्षण में नामांकन करने से चूक गया। चुनाव मैदान में उतरे संयुक्त समाजवादी दल के प्रत्याशी दशरथ शंखवार तथा निर्दलीय उम्मीदवार संजू कटियार ने अपना नाम वापस ले लिया और डिंपल यादव निर्विरोध निर्वाचित घोषित हो गईं।

कन्नौज चुनाव कई मामलों में ऐतिहासिक था

कन्नौज चुनाव कई मामलों में ऐतिहासिक था जिसमें निर्विरोध निर्वाचन के साथ डिंपल देश की 44 वीं शख्सियत बन गई। देश की आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश में केवल चौथा निर्विरोध चुनाव था। वह निर्विरोध निर्वाचित होने वाली उत्तर प्रदेश की पहली महिला रहीं। 1952 में प्रयागराज (इलाहाबाद पश्चिम) से पुरुषोत्तम दास टंडन के निर्वाचन के बाद वह दूसरी प्रत्याशी थीं। वह एकमात्र ऐसी महिला सांसद रही हैं, जिनके पति मुख्यमंत्री थे, और वह भी जिसका ससुर भी उसी सदन का सदस्य था।

2019 में भी मिली थी हार

डिम्पल यादव एक कुशल गृहिणी के साथ ही राजनीति में भी सक्रिय रही हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी के लिए कई रैलियां की थीं। उनके भाषणों को जनता द्वारा खूब सराहा गया था। डिम्पल यादव महिला मुद्दों को लेकर भी अक्सर बोलती रही हैं। उन्होने समाजवादी पार्टी द्वारा चलायी गयी महिला सुरक्षा 1090 हेल्पलाइन का भी समर्थन किया था। डिम्पल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में कन्नौज से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के सुब्रत पाठक से 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गई थीं। डिम्पल का यहां से चुनाव हारना सपा के लिए निराशाजनक था, क्योंकि यह यादव बाहुल्य सीट दशकों से सपा का गढ़ रही थी। अब वह मैनपुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं।

कौन हैं डिंपल यादव?

डिम्पल यादव का जन्म 15 जनवरी 1978 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। वह सेवानिवृत्त भारतीय सेना में कर्नल रहे राम चंद्र सिंह रावत और चंपा रावत की तीन बेटियों में से दूसरे नंबर पर हैं। उनका परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। वह पुणे, बठिंडा और अंडमान और निकोबार द्वीप और आर्मी पब्लिक स्कूल, नेहरू रोड, लखनऊ में शिक्षित हुई हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।

डिंपल रावत की मुलाकात अखिलेश यादव से तब हुई थी जब वह एक छात्रा थीं। मूल रूप से अखिलेश के परिवार ने उनकी शादी का विरोध किया था, लेकिन अखिलेश की दादी मूर्ति देवी की मंजूरी के बाद वे मान गए। इस जोड़ी ने 24 नवंबर 1999 को शादी कर ली थी उस समय डिम्पल 21 साल की थीं। उनकी शादी में मेहमानों में अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना जैसे फिल्मी सितारे शामिल थे। दंपति की दो बेटियां टीना और अदिति और एक बेटा अर्जुन है।

एक दिन पहले शाक्य को बनाया था जिलाध्यक्ष

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने उप चुनाव से ऐन पहले पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी का जिलाध्यक्ष बनाया है। सपा के लिए मैनपुरी चुनाव बेहद अहम है। बता दें, आलोक कुमार शाक्य मैनपुरी के ही निवासी हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में शाक्य मैनपुरी जिले के भोगांव विधानसभा सीट के सपा प्रत्याशी रहे थे। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बुधवार (09 नवंबर) की शाम शाक्य के नाम की घोषणा की। मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव से पहले आलोक शाक्य की नियुक्ति को समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के बड़े दांव के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मैनपुरी उप चुनाव से पहले जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। बता दें, कि आलोक शाक्य मैनपुरी के भोगांव के रहने वाले हैं। सपा सरकार में वो मंत्री भी रह चुके हैं।

बीजेपी ने साधा निशाना

दूसरी तरफ, डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाए जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधा है। बीजेपी का कहना है कि, यह तय हो गया है कि, समाजवादी पार्टी 'परिवारवाद' से बाहर नहीं निकल सकती। बीजेपी का दावा है कि अब मैनपुरी में बीजेपी की जीत सुनिश्चित है।

मैनपुरी में 5 दिसंबर को मतदान

चुनाव आयोग ने देश के विभिन्न राज्यों में खाली हुई लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए चुनाव तारीखों का ऐलान कर दिया है। इन सीटों पर 5 दिसंबर को मतदान होंगे, जबकि, 8 दिसंबर को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ ही मतगणना होगी। मैनपुरी सीट पर भी इन्हीं तारीखों को वोटिंग और काउंटिंग होगी। सपा संस्थापक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हुई है।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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