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Lucknow: दिनेश शर्मा ने किया ऐशबाग रामलीला का उद्घाटन, पहले दिन रामजन्म और ताड़का वध ने किया मंत्र मुग्ध
Lucknow News Today: रामोत्सव 2022 का उद्घाटन पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, श्री रामलीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीश चन्द्र अग्रवाल, सचिव पं. आदित्य द्विवेदी ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
Lucknow News : भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, 'श्रीराम लीला समिति' (Shri Ram Leela Committee) के तत्वावधान में शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) के पहले दिन ऐशबाग (Aishbagh) के रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) में आरम्भ हुए रामोत्सव-2022 (Ramotsav-2022) की प्रथम संध्या में रामजन्म, ताड़का वध, मारीच सुबाहु वध और अहिल्या उद्धार लीला ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। रामोत्सव-2022 का उद्घाटन पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा (Former Deputy CM Dr Dinesh Sharma), श्री रामलीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीश चन्द्र अग्रवाल (Harish Chandra Agarwal) और सचिव पं. आदित्य द्विवेदी ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
भगवान राम का हुआ जन्म, अयोध्या में छाई ख़ुशी
रामलीला के शुरू होने से पहले 'सुरभि कल्चरल ग्रुप' द्वारा भगवान श्री राम पर आधारित नृत्य की मोहक प्रस्तुति हुई। रामलीला की शुरूवात विष्णु वंदना व देवताओं का श्रीहरि से आग्रह लीला से हुई, जिसमें दर्शाया गया कि सभी देवता भगवान विष्णु से आग्रह करते हैं कि पृथ्वी पर अत्याचार चरम सीमा पर है, उन्हें उनके कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए वह धरती पर मानव के रूप में अवतार लें। सभी देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) देवताओं से कहते हैं कि वह राजा दशरथ के यहां राम के रूप में अवतार लेंगे।
इस लीला के उपरान्त पुत्र कामेष्टी यज्ञ लीला हुई। इस लीला में राजा दशरथ, सिंगी ऋषि के सानिध्य में तीनों रानियों कौशल्या, सुमि़त्रा और कैकेई संग यज्ञ करते हैं, जिसमें सूर्य देवता प्रसन्न होकर राजा दशरथ को प्रसाद के रूप में खीर प्रदान करते हैं और सभी रानियां प्रसाद को ग्रहण करती हैं।
कुछ समय के उपरान्त तीनों रानियां गर्भवती होती हैं। इसके उपरान्त राम जन्म बाललीला हुई, जैसे ही अयोध्या में राजा दशरथ के यहां पुत्रों के जन्म की सूचना फैलती है, चारों ओर हर्ष-उल्लास छा जाता है, बधइयां बजने लगती हैं। कौशल्या को राम, सुमित्रा को लक्ष्मण और कैकेई को भरत और शत्रुहन पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
विश्वामित्र के साथ लौटते हैं अयोध्या
इसी के साथ महल में जब चारों बच्चे घुटनों के बल चलने लगते हैं, तब राजा दशरथ उन चारों को देखकर मन ही मन बहुत खुश होते हैं। शनैः शनैः यह चारों बच्चे तरूण अवस्था में पहुंच जाते हैं। एक दिन गुरू वशिष्ठ राजा दशरथ के महल में आते हैं और दशरथ उनसे चारों पुत्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए आग्रह करते हैं। राजा दशरथ के अनुनय-विनय पर वह चारों पुत्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अपने साथ आश्रम ले जाते हैं और उन्हें शिक्षा प्रदान करते हैं। चारों राजकुमारों की शिक्षा पूरी हो जाने पर वह विश्वामित्र के साथ अयोध्या वापस आ जाते हैं।
ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का किया वध
एक दिन अयोध्या में गुरू विश्वामित्र का आगमन होता है, राजा दशरथ उनको सत्कार सहित महल में ले जाते हैं और उनसे कहते हैं कि वह चारों पुत्रों को शस्त्र शिक्षा प्रदान करें। दशरथ के कहने पर वह चारों राजकुमारों को अपने साथ अपने आश्रम में ले जाकर,अस्त्र-शस्त्र और धर्नुविद्या सिखाते हैं।
इस दौरान वन में एक दिन राम का पैर एक शिला से टकरा जाता है और देखते ही देखते वह शिला एक महिला के रूप में खड़ी हो जाती है और राम के पैरों पर गिर पड़ती है, फिर राम उससे उसका परिचय पूछते हैं, फिर वह अहिल्या के रूप में अपना परिचय देती हैं और पूरा वृतान्त बताती हैं।
वन में एक दिन गुरू विश्वामित्र सभी राजकुमारों संग यज्ञ कर रहे थे। तभी कुछ ऋषि मुनि उनके आश्रम में आते हैं और विश्वामित्र से कहते हैं कि कुछ राक्षस उन्हें यज्ञ करने में विघ्न डाल रहे हैं और उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। इस बात से विश्वामित्र क्रोधित हो राम को आज्ञा देते हैं कि वन में जाकर इन राक्षसों का अन्त कर पृथ्वी को राक्षसों से मुक्त कर करे।
गुरू की आज्ञा पाकर राम, लक्ष्मण सहित वन में जाकर ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध करते हैं और वन में ऋषि मुनि प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इसी के साथ आज की रामलीला का समापन हो जाता है।
इस अवसर पर श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, सचिव पं. आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल, रामोत्सव नृत्य नाटिका के संयोजक मयंक रंजन उपस्थित थे।