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जिला प्रशासन ने कानून का पालन नहीं किया: राजवीर सिंह जादौन

किसानों का प्रतिनिधिमंडल भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में किसान पंचायत में शामिल हुए । इस पंचायत का आयोजन कलेक्ट्रेट परिसर के सभागार में किया गया।

SK Gautam
Published on: 4 March 2020 10:31 PM IST
जिला प्रशासन ने कानून का पालन नहीं किया: राजवीर सिंह जादौन
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मिर्ज़ापुर: जिला मुख्यालय में किसानों और प्रशासन के बीच हुए टकराव को लेकर प्रशासन ने पहल कर किसानों के भूमि अधिग्रहण के हाईप्रोफाइल मामले को निस्तारित करने हेतु बुधवार को एक किसानों की पंचायत बुलाई जिसमें किसानों का प्रतिनिधिमंडल भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में किसान पंचायत में शामिल हुए। इस पंचायत का आयोजन कलेक्ट्रेट परिसर के सभागार में किया गया। जिसमें रेलवे के अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारी, तथा किसानों के साथ कि गयी। किसानों और प्रशासन की घंटो चली पंचायत के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि किसानों के ऊपर लाठीचार्ज किया गया जिसके सम्बन्ध में प्रशासन से बातचीत किया गया है।

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पंचायत में नौकरी का मुद्दा छाया रहा

किसानों की पंचायत प्रशासन ने कहा है कि जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि किसानों की पंचायत में प्रशासन से बातचीत की गयी लेकिन पंचायत में नौकरी का मुद्दा छाया रहा किसान नेताओ ने कहाकि भूमि-अधिग्रहण कानून में नए और पुराने दोनों में नौकरी देने की बात लिखी है। लेकिन सरकार ने कानून का पालन नही किया। किसान नेताओ ने कहाकि जब तक कार्यवाही नही की जाती तब तक हम कैसे कहे कि संतुष्ट है।

सरकार 2010 के भूमि-अधिग्रहण कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहित करती

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मालिक ने पत्रकार वार्ता में किसानों की प्रमुख मांग जो सरकार के समक्ष रखी थी उसके बारे में उन्होंने बतायाकि जिस कानून में जितना मुआवजा है उसका 10 प्रतिशत इजिमेन्ट में मिलना था जो अब तक किसानों को नही मिला। इसी के साथ साथ किसानों की दूसरी मांग नौकरी देने की बात सरकार ने कहा था जिसमे दूसरी जगहों पर किसानों की भूमि-अधिग्रहित किया गया है तो वहां पर किसानों के घरवालों को नौकरी दी गयी है।भूमि-अधिग्रहण कानून चाहे नया हो या पुराना एक्ट में नौकरी देने का प्रावधान है। जबकि सरकार 2010 के भूमि-अधिग्रहण कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहित करती है जबकि प्रशासन 2014 के भूमि अधिग्रहण कानून के चिट्ठी का हवाला देते हैं।

अधिग्रहित जमीन को कब्जा करने के 60 दिन पहले किसानों को नोटिस दिया जाय

जिस पर हमने कहाकि अगर सरकार 2014 के कानून को मानते हैं तो जो 2010 के कानून से मुआवजा दिया गया था उसको भी 2014 में बनाए गए कानून के हिसाब से दिया जाए यानी कि 4 गुना के हिसाब से किसानों को दिया जाय। इसी के साथ तीसरी मांग धारा 25 के अंतर्गत अधिग्रहित जमीन को कब्जा करने के 60 दिन पहले किसानों को नोटिस दिया जाता है लेकिन प्रशासन ने ऐसा नही किया और किसानों के साथ मारपीट कर किसानों की जमीन को अधिग्रहित करने का प्रयास किया।

जिसके लिए उन दोषी अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराई जाए। उन्होंने बतायाकि सरकार ने कानून का पालन नहीं किया। चौथी मांग में कहाकि जिन गाँवो में चकबंदी है जहां पर कब्जे परिवर्तित नहीं है जब तक चकबंदी की कार्यवाही नहीं हो जाती तब तक कोई कार्यवाही ना की जाए। इसी के साथ पांचवी मांग में कहाकि फसल का मुआवजा 20 जी छः में किसानों का मुआवजा तय करना होता है पहले किसानों का मुआवजा तय करिए फिर किसानों के खेत की तरफ भूमि को अधिग्रहित करने जाइए । सुखाधिकार कानून के अंतर्गत सबसे बड़ी बात धारा 31 के अंतर्गत जिसमे नौकरी, वार्षिकी, एकमुश्त योजना के तहत कार्य किया जाय।

जिला प्रशासन के ने कानून का पालन नही किया

मिर्ज़ापुर। रेलवे प्रशासन, जिला प्रशासन और किसानों की घंटो चली पंचायत के बाद किसान नेताओ ने बाहर निकलकर बतायाकि सरकार किसी मुद्दे पर जवाब नही दे पायी। किसानों के सभी मांगो व मुद्दों पर बातचीत हुयी लेकिन जिला प्रशासन के पास कोई जवाब नही था। किसान नेता ने कहा सब चीजों पर विचार करके और भूमि अधिग्रहण कानून के तहत कार्यवाही करें।

किसानों का आंदोलन जारी रहेगा

मिर्ज़ापुर।किसान नेताओ ने कहाकि जब तक प्रशासन कार्यवाही नही करती जब तक किसानो का हक हकूक नही मिल जाता तब तक किसानों का अहिंसक आंदोलन हमारा जारी रहेगा। किसानों का मुआवजा जो हिंदुस्तान की सरकार ने तय किया है चाहे वह नया कानून हो या पुराना कानून जब तक हमारी मांग पूरी नहीं कर देते तब तक किसान आंदोलन शांति पूर्ण तरीके से चलता रहेगा।

किसानों को कुछ हुआ प्रदेश के कोने कोने में होगा आंदोलन

मिर्कसान पंचायत के बाद किसान नेता ने कहाकि अगर मिर्ज़ापुर के किसानों को कुछ भी हुआ तो बुलंदशहर, सहारनपुर, हापुड़, गाजियाबाद, रेलवे कॉरिडोर का कार्य नही नहीं चलने दिया जाएगा पूरे प्रदेश में किसान एकता के साथ किसानों के हक हकूक की लड़ाई लड़ेंगे जिसका नजर पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगा। अगर फिर भी सरकार नही मानती तो रेलवे फ्रंट कॉरिडोर का मुख्यालय दिल्ली में है किसानों की मांग पूरी कराने के लिए हम लोग उसका भी घेराव करेंगे।

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पंचायत के बाद घटनास्थल पर पहुचे किसान नेता

पंचायत के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष घटनास्थल पर पहुंचे नुकसान हुई फसलों का जायजा लिया और किसानों को पुनः संबोधित करते हुए कहा कि किसान का बेटा सेना का जवान बनता है डरने की बात नहीं है शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करते रहिए हम आपके साथ हैं अगर आपके ऊपर कोई भी कार्यवाही होती है तो हम इस रेलवे कारी डोर को बनने नहीं देंगे।

आपसी सहमति से कार्य किया जाएगा

किसानों का कहना था जो मुआवजा दिया गया था 2011-12 में उनके अधिग्रहित भूमि पर कार्य कराया जा रहा है उन्होंने हमसे अनुरोध भी किया कि सर्वे करा दिया जाय। जिसमें हमने सहमति दे दिया है जिसमें एक कमेटी गठित कर दी गई है जिसमें सर्वे करा कर देख लिया जाएगा अगर भूमि अतिरिक्त लगती है तो आप की चमक से भूमि खरीद ले जाएगी मुआवजे के बाद विस्थापन की कोई बात आती है तो उस पर भी आपसी सहमति से किया जाएगा किसानों के सभी बिंदु ले लिए गए हैं इस पर आपसी सहमति से कार्य किया जाएगा और किसानों ने भी आश्वासन दिया है कि वह भी चाहते हैं कि रेलवे कार्य बने।



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