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कुशीनगर : गन्ना और गरीबी से ही जुड़ा हुआ है जिले का इतिहास

raghvendra
Published on: 24 Nov 2017 10:45 AM GMT
कुशीनगर : गन्ना और गरीबी से ही जुड़ा हुआ है जिले का इतिहास
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सूर्य प्रकाश राय

कुशीनगर : जिले का इतिहास ही यहां की गरीबी से जुड़ा हुआ है। गन्ना और गरीबी यहाँ की पहचान है। ग्रामीण समाज के बीच विकास की बहती कथित धारा के बहाव में हर तबके के गरीब लोगों को ही यहाँ बहते देखा गया । सरकार कोई या किसी की रही हो राशन की कालाबाज़ारी से लेकर भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले माफियाओं का यहाँ बोलबाला दिखता रहा है। जिले के जनप्रतिनिधियों की गरीबों के विषय पर उदासीनता एक बड़ा कारण यहां के पिछड़ेपन को माना जा सकता है ।

फिलहाल कुशीनगर में वर्तमान में भाजपा का ही बोलबाला है। 2014 के चुनाव में उपजी मोदी लहर में जिले के पुराने कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे स्व. राजमंगल पाण्डेय के पुत्र राजेश पाण्डेय उर्फ गुड्डू को विजय श्री प्राप्त हो गया । तत्पश्चात विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने अपनी बढ़त रखते हुए सात में से छ: सीटों पर अपने जीत का झण्डा फहराया। पडरौना सदर सीट से जीते स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट में भी स्थान बनाने में सफल रहे ।

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ये जिला पूर्व में बाबू गेंदा सिंह , रामायण राय जैसे जनप्रिय नेताओं के कारण ही पहचान बना सका । आमलोगों की माने तो जिले के लिए स्थायी कुछ काम यदि हुए तो इन्ही नेताओं के जमाने मे हुए । आज जिले में बड़ी नहर , गन्ना अनुसंधान केन्द्र , राष्ट्रीय सब्जी बीज अनुसंधान केंद्र को जिले की धरती पर लाने में इनका ही सहयोग गिना जाता रहा है ।

यूपीए के शासन काल के अंतिम चरण में कुशीनगर से होकर निकलने वाली रेल लाइन को ब्राडगेज में परिवर्तन किए जाने का काम को पूरा तो हुआ लेकिन लम्बी दूरी की कोई ट्रेन इस रूट पर नही चलने से जनता को कोई लाभ नही मिलता दिखा।

पिछड़ेपन में शुमार प्रदेश का कुशीनगर एक ऐसा जिला था जहाँ की चीनी के मिठास को बहुत दूर तक जाना जाता था । इसके साथ देवरिया को भी मिला दें तो इसे चीनी का कटोरा कहा जाता था । सरकारें आती और जाती रहीं साथ ही साथ एक एक करके ज्यादातर चीनी उद्योगों में ताले भी बन्द होते गए ।

एक समय ऐसा आया कि गन्ना उपज कर एक अच्छी जिंदगी जीने वाले किसानों के सामने भी परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया । लोगों ने गन्ना की जगह केला , सुरन और सब्जियों की खेती की रुख कर लिया । क्षेत्र के किसानों के सामने आये इस संकट पर कभी कोई जनप्रतिनिधि पुरजोर तरीके से आवाज उठाता नही दिखा।

नेताओं और उनकी सरकारों की निरंकुशता के कारण अधिकारी भी मनमाने तरीके से अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजते रहे जिस कारण वास्तविक समस्याओं जैसे निरक्षरता, बाढ़ की विभीषिका , किसानों की समस्या का निपटारा नही हो सका। सरकारी अभिलेखों को खंगालेंगे तो समस्या मुक्त जिले की श्रेणी में कुशीनगर का नाम आएगा । वर्तमान की भाजपा सरकार में ये जरुर हुआ है कि नौकरशाही के क्रियाकलाप में थोड़ा परिवर्तन जरुर दिखा है हालांकि अभी पूरी तरह भ्रष्टाचार पर अंकुश नही लग सका है लेकिन सरकार के नित नए उठते कदम की धमक जरुर सुनाई दे रही है ।

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इस जिले सबसे बड़ी विशेषता खुद कुशीनगर जैसी जगह है। भगवान् बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली होने के कारण यहाँ विदेशी पर्यटन की अपार सम्भावनाये हैं लेकिन वैसा कुछ आज तक हो नहीं सका। देखा जय तो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के लिए यह जिला देश को बहुत कुछ देने की स्थिति में है लेकिन राजनीतिक संकल्प शक्ति की कमी ने आज तक इसे वैसा विक्सित नहीं किया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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