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त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली एवं जिला योजना समिति को प्रभावी करने की मांग में हलफनामा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 243 जेड (डी.) (1)के तहत त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली एवं जिला योजना समिति को प्रभावी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 243 जेड (डी.) (1)के तहत त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली एवं जिला योजना समिति को प्रभावी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
याचिका में कहा गया है कि नागरिकों को अपना विकास माॅडल तय करने तथा सामाजिक न्याय दिलाने में जनभागीदारी की संवैधानिक मंशा को लागू किया जाए। याचिका की सुनवाई दस मई को होगी।
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यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने प्रयागराज के ओमदत्त सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरण जैन व दीबा सिद्दीकी ने बहस की।
याची का कहना है कि संविधान में स्थानीय स्वशासन के तहत पंचायतों व निकायों की व्यवस्था की गयी। वित्तीय विकास योजनाओं का खाका तैयार करने के लिए भारतीय वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग व जिला आयोग समिति की संविधान में व्यवस्था दी गयी है। जिला योजना समिति के ड्राफ्ट को वित्त आयोग के समक्ष विचार किया जाता है किन्तु कैबिनेट सुपर पावर बन गयी है। आयोग को स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करने दिया जा रहा है।
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जैन का कहना है कि संविधान सभी बच्चों को भूख, भय व हिंसा से मुक्ति दिलाता है। मानव विकास रिपोर्ट 03 में गरीबों को स्वास्थ्य व शिक्षा पाने के अधिकार को बेसिक जरूरत बताया गया है। विकास योजनाओं में जन भागीदारी के तंत्र का विकसित नहीं किया जा रहा है जिससे संविधान के अनुरूप योजनाएं बन और लागू नहीं हो पा रही है। कोर्ट ने याचिका में उठाये गये मुद्दों पर जवाब मांगा है।