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30 किमी. घिसटकर आते हैं अपने हक के लिए लड़ रहे दो दिव्यांग
स्वस्थ्य विभाग की लापरवाही आए दिन बढ़ती जा रही है। शाहजहांपुर के अस्पताल में दो विकलांगों को अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। जन्म से विकलांग इन
शाहजहांपुर: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आए दिन बढ़ती जा रही है। शाहजहांपुर के अस्पताल में दो दिव्यांगों को अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। जन्म से दिव्यांग इन दो युवकों ने स्वास्थ्य विभाग के सैंकड़ो चक्कर काट लिए पर उनका दिव्यांग सर्टिफिकेट नही बन पाया। सालों से अपने सर्टिफिकेट के लिए दर-दर भटक रहे इन दिव्यांगों को उनका हक कब मिलता है इसका जवाब स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी ही दे पाएंगे।
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क्या है पूरा मामला?
- ऊपर की तस्वीर में जिन दो दिव्यांगों को आप देख रहे हैं, वो हर रोज इसी तरह करीब 30 किमी तक घिसटकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिलने आते हैं।
- दोनों जन्म से ही विकलांग हैं। मगर किसी को भी विकलांगता का सर्टिफिकेट नहीं मिला है।
- दोनों काफी लंबे सने से अपने सर्टिफिकेट के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मगर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
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दिव्यांग रोहित ने बताया कि वह अधिकारियों के सैंकड़ो चक्कर लगा चुका है। उसका गांव तहसील से करीब 15 किलोमीटर दूर है। उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह किराए के खर्च करके रोज चक्कर लगाए। इसलिए वह जमीन मे घिसट घिसटकर तहसील तक आते है। लेकिन यहां के अधिकारियों को नही लगता है कि वह विकलांग है। यही कारण है कि आज तक उनको एक भी सर्टिफिकेट विकलांगता से जुड़ा नहीं मिल पाया है।
रोहित ने बताया कि उसके गांव मे कई ऐसे लोग है जो दिव्यांग नही है फिर भी स्वास्थ्य विभाग ने उनका दिव्यांग सर्टिफिकेट बना दिया। क्योंकि उन लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जेब गर्म की।
एसडीएम के मुताबिक़
- एसडीएम सत्यप्रिये सिंह ने बताया कि उनके संज्ञान में मामला आया है। आने वाले तहसील दिवस के दिन जिलाधिकारी और सीएमओ मौजूद रहेंगे। उस दिन दोनों का दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाकर दे दिया जाएगा।
हर तहसील दिवस और महीेने के तीसरे मंगलवार को मुख्यालय पर विकलांग सर्टिफिकेट जारी किये जाते है लेकिन सर्टिफिकेट उन्ही को हासिल होता है जो या तो डाक्टरों और कर्मचारियों की जेब गर्म करते है या फिर स्वस्थ्य हो। फिल्हाल दोनों दिव्यांग अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।