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मानदेय पर नियुक्त शिक्षकों को प्रसूतावकाश न देना गलतः हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश में कहा कि कोई भी टीचर अथवा कर्मचारी भले ही वह अस्थायी अथवा मानदेय पर काम कर रही हो वह प्रसूतावकाश (मैटरनिटी लीव) पाने की हकदार है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश में कहा कि कोई भी टीचर अथवा कर्मचारी भले ही वह अस्थायी अथवा मानदेय पर काम कर रही हो वह प्रसूतावकाश (मैटरनिटी लीव) पाने की हकदार है।
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कोर्ट ने कहा कि अस्थायी टीचर बताकर शिक्षा मित्र को प्रसूतावकाश देने से मना करना संविधान के अनुच्छेद 42 का उल्लंघन है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पडिया ने प्राथमिक विद्यालय सिपरही, विकासखण्ड, नगरा बलिया में पढ़ा रही शिक्षामित्र मनीषा सिंह की याचिका पर दिया है।
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याचिका दायर कर शिक्षिका ने खण्ड शिक्षा अधिकारी, नगरा, बलिया के 27 दिसम्बर 18 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके द्वारा याची को छह माह का प्रसूतावकाश देने से यह कहते हुए मनाकर दिया कि वह मानदेय पर कार्यरत है। इस कारण अन्य टीचरों की भांति उसे इस प्रकार का अवकाश नहीं दिया जा सकता।
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कोर्ट ने इस मामले में दो दिन का समय विपक्षी अधिकारियों को कोर्ट को जरूरी जानकारी उपलब्ध कराने को दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह इस केस की सुनवाई 28 जनवरी 19 को करेंगे। अदालत ने अपने आदेश के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट व लखनऊ बेंच के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि मानदेय टीचरों का प्रसूतावकाश न देना अवैध व मनमानी पूर्ण आदेश है। इस प्रकार का आदेश अनुच्छेद 42 के विपरीत है।