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लावारिस बच्चों का भगवान है ये डॉक्टर, सोशल मीडिया पर ढूंढता है इनके अपने

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Published on: 31 Aug 2016 1:39 PM IST
लावारिस बच्चों का भगवान है ये डॉक्टर, सोशल मीडिया पर ढूंढता है इनके अपने
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doctor found abandoned children on social media in moradabad

मुरादाबाद: डॉ अजय और उनकी पत्नी दोनों मिलकर लावारिस बच्चों को ढूंढने और उनके माता-पिता से मिलवाने का काम करते हैं। यह काम ये 15 सालों से करते आ रहे हैं। इन्होंने अब तक दर्जनों लावारिस बच्चों को उनके परिजनों तक पंहुचाया है। इन्हें लोग लावारिस बच्चों का गुरु कहते हैं। इनकी इस पहल को देखकर आम आदमी से लेकर डीएम, कमिश्नर, डीआईजी तक मुरीद है। अगर आपको भी कोई लावारिस बच्चा मिले तो इनसे सम्पर्क कर सकते है।

doctor ajay found abandoned children on social media

अधिकारी भी हैं इनके मुरीद

-मुरादाबाद में डॉ अजय पोरवाल वाणिज्यकर विभाग में प्रधान सहायक के पद पर कार्यरत है।

-डॉ पोरवाल और उनकी पत्नी अरुणा मानवीय आधार पर जनसेवा में लगी हुई है।

-दोनों पति-पत्नी लावारिस बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने का कार्य करते है।

-वह पिछले करीब 15 सालों से यह जनसेवा का काम कर रहे हैं।

-अब तक दर्जनों लावारिस बच्चों को उनके परिवार से मिलवा भी चुके है।

-इनकी इस पहल के मुरीद कमिश्नर,डीएम,एएसपी,डीआईजी तक है।

-उन्होंने भी इनके इस कार्य की सराहना की है।

doctor ajay found abandoned children on social media

बच्चों को ढूंढते हैं सोशल मीडिया के जरिए

लावारिस बच्चों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य करने वाले डॉ अजय भारत के सभी राज्यों के उच्च अधिकारियों के सम्पर्क में रहते है। इससे उनके पास भारत के सभी राज्यों से लावारिस बच्चों की लिस्ट पुलिस विभाग से पहुंचती है और वह उन्हें ढूंढ़ने के लिए अपना योगदान देते है। डॉ पोरवाल बच्चों को ढूंढ़ने के लिए सोशलमीडिया का काफी सहारा लेते है। वह लावारिस बच्चों की फ़ोटो डिटेल सोशलमीडिया के फेसबुक, व्हाट्सऐप पर ज्यादा डालते है। इससे उनके फ़ोटो हर किसी के पास पहुंच सके।

रेलमंत्री को लिखा लेटर

डॉ अजय पोरवाल ने कुछ महीने पहले रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि हमने (एक बचपन सोशल सोसाइटी) बनाई है। इसका मकसद लावारिस बच्चों को उनके माता पिता तक पहुंचना है। उन्होंने रेलमंत्री से लावारिस बच्चों को ढूंढ़ने के लिए सोसाइटी से सम्पर्क करने के बोर्ड भारत के सभी रेलवे स्टेशनों पर लगाने की मांग की। इससे स्टेशनों पर लोग उनकी इस सोसाइटी के बारे में जान सके और लावारिस बच्चों की जानकारी दे सके। रेल मंत्री ने उन्हें लिखा की मैं इस विषय पर विचार करूंगा।

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कमिश्नर,डीएम,एएसपी ने भी किया सम्मानित

डॉ अजय पोरवाल समाजसेवा में जुड़े रहते है। इसके लिए उन्हें तमाम अधिकारियों से सम्मान मिल चुका है। 2006 में मुरादाबाद के डीएम उमाधर दिवेदी, एसएसपी जी के गोस्वामी और वाणिज्यकर विभाग के कमिश्नर डॉ डी के सचान ने सम्मानित किया है। इससे उनका हौसला बढ़ता गया और उनका मकसद सिर्फ लावारिस बच्चों को उनके परिजनों से मिलवाने का है।

कुछ दिन पहले मिला जान से मारने की धमकी

डॉ अजय पोरवाल जून 2011 से गुमशुदा बच्चों को ढूंढने का काम सोशल नेटवर्किंग साईट्स के जरिए कर रहें हैं। कुछ दिन पहले किसी अज्ञात युवक ने उनको फोन पर धमकी दी और कहा की लावारिस बच्चों की ढूंढ़ने का काम बन्द कर दें। डॉ ने युवक से नाम पता पूछा लेकिन उसने कुछ बताया नहीं और फोन काट दिया। परेशान डॉ ने एएसपी रहे लव कुमार को घटना की जानकरी दी और कार्यवाई करने की बात कही।

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समिति में जुड़े वरिष्ठ अधिकारी

डॉ अजय पोरवाल की गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए कार्य कर रहे संस्था में तमाम वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर जुड़े हुए है। जो संस्था अपने पैसे इकठ्ठे करके लावारिस बच्चों को ढूंढ़ने का काम कर रही है। इसमें सेल्स टेक्स अधिकारी, डॉक्टर, टीचर और वकील जुड़े हुए हैं।



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