डॉक्टरों की लापरवाही ने छीनी 6 मरीजों के आंख की रौशनी, जवाबदेही किसकी?

shalini
Published on: 16 Jun 2018 6:34 AM GMT
डॉक्टरों की लापरवाही ने छीनी 6 मरीजों के आंख की रौशनी, जवाबदेही किसकी?
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वाराणसी: गोदौलिया स्थित मारवाड़ी हिंदू अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद एक -एक कर कुल 6 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। घटना के बाद आक्रोशित मरीजों के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। मरीजों और उनके परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन में लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है। इस बीच सूचना पर पहुंची पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन से बात की और अस्पताल प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए मरीजों का दोबारा बेहतर इलाज कराने का भरोसा दिलाया।

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ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत

12 जून को 6 लोगों ( यज्ञ नारायण चौबे निवासी बक्सर, वंदना देवी निवासी जौनपुर, त्रिवेणी वर्मा निवासी चंदौली, मालती देवी निवासी वाराणसी, अख्तरी बेगम निवासी वाराणसी समेत एक अन्य पुरुष) का मोतियाबिंद का ऑपरेशन मारवाड़ी हिन्दू अस्पताल में हुआ था। मरीजों के अनुसार डॉक्टरों ने कहा था कि 24 घंटे के बाद लोगों की आंख की रोशनी आ जायेगी, लेकिन ऑपरेशन के 72 घंटे बीत चुके हैं अभी तक 6 लोगों मे से किसी की भी आंख की रोशनी नहीं आई। इसी वजह से शुक्रवार की रात मरीज और उनके परिजन अस्पताल पहुंचे और हंगामा करने लगे।

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डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी

हंगामा करने पर डॉक्टर सनी गुप्ता मरीजों को लेकर पहाड़िया स्थित डॉक्टर नीरज पांडेय रेटिना फाउंडेशन के यहां पहुंचे। यहां पर सीटी स्कैन के बाद पता चला कि वायरस के कारण आंख की परत की पिछले हिस्से में मवाद जम जाने की वजह से किसी की भी रोशनी नहीं आई। इसके लिए फिर से ऑपरेशन करना पड़ेगा। जानकारी होने के बाद परिजन एक बार फिर से आक्रोशित हो गए और दोबारा रुपए ना देने की बात कह कर हंगामा करने लगे। जिसके बाद पुलिस अस्पताल पहुंची और मामले की जांच शुरू हुई ।

अस्पताल ने दिया बेहतर इलाज का भरोसा

पुलिस का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन अपने खर्च पर दोबारा ऑपरेशन कराने की बात कह रहा है और इसके लिए दिल्ली ले जाने के लिए भी कहा है। अगर ऐसा नहीं होता है और मरीज और उनके परिजनों की तरफ से अस्पताल प्रशासन के खिलाफ तहरीर मिलती है तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं मरीजों के परिजनों का कहना है इस हालत का जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर की लापरवाही है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

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