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माफिया डॉन अबू सलेम का भाई बनेगा नेता

raghvendra
Published on: 28 Sept 2018 2:55 PM IST
माफिया डॉन अबू सलेम का भाई बनेगा नेता
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़: माफिया डॉन अबू सलेम के भाई अबू जैश ने सियासत के गलियारे में कदम रख दिया है। वह शिवपाल यादव के नवगठित समाजवादी सेक्युलर मोर्चा दल के बैनर तले मैदान में कूद सकता है। हाल ही में शिवपाल सिंह यादव के साथ मंच पर अबू जैश भी नजर आया था। शिवपाल ने अबू जैश को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया। लखनऊ के सहकारिता भवन में आयोजित कार्यक्रम में शिवपाल सिंह यादव बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।

अबू सलेम आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वर्ष 2012 का चुनाव लडऩा चाहता था। वर्ष 2010-2011 के दौरान रमजान के महीने में मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र में ईद की बधाइयों वाला उसका पोस्टर चस्पा किया गया।

जानकारी मिलते ही आनन फानन में प्रशासन ने रातों रात पोस्टर हटवा दिया। पोस्टर हटवाए जाने की बात सलेम को पता चली तो उसके वकील अशोक सरावगी आजमगढ़ और डीएम से मिल कर आपत्ति दर्ज की। उनका कहना था कि ये ईद की बधाई का पोस्टर था। इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था। प्रशासन ने तर्क दिया कि पोस्टर पर प्रिन्टर का नाम नहीं था इसी वजह से उसे हटाया गया है।

इस प्रकरण के बाद कई बार वकील अशोक सरावगी माफिया डॉन का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के लिए आए और डीएम से भी मिले। डीएम ने उन्हें बताया कि लम्बे समय तक सलेम विदेश रहा और देश के सुरक्षा एजेन्सियों को उनकी तलाश थी। इसी वजह से सलेम का नाम मतदाता सूची से काटा गया है और चूंकि वह लंबे समय से आजमगढ़ में नहीं रह रहा है सो अब उसका नाम मतदाता सूची में जोड़ा नहीं जा सकता। जिला प्रशासन ने यह सलाह जरूर दी कि सलेम मुम्बई की आर्थर रोड जेल में लम्बे समय से बंद है। ऐसे में उसका नाम वहां की मतदाता सूची में जुड़वा सकते हैं। यहां की मतदाता सूची में नाम न दर्ज हो पाने की वजह से चुनाव लडऩे का अबू सलेम का सपना पूरा नहीं हो सका।

मुबारकपुर सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है। साथ यहां बुनकरों की अच्छी खासी तादाद है। अबू सलेम खुद भी बुनकर समाज से है सो उसे मुसलमानों व जुलाहों का समर्थन मिलने की उम्मीद थी। अब उसका भाई भी इसी सपोर्ट की उम्मीद बांधे है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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