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डोनाल्ड ट्रंप की जीत: क्या अमेरिका में अब चलेगी मोदी की नीति?

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Published on: 9 Nov 2016 8:04 AM GMT
डोनाल्ड ट्रंप की जीत: क्या अमेरिका में अब चलेगी मोदी की नीति?
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लखनऊ: प्ले ब्वाय की इमेज वाले डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर भारत में अधिकतर लोग नाक भौं सिकोड़ सकते हैं क्योंकि उनका कोई राजनीतिक बैक ग्राउंड नहीं है। संभवत: ट्रंप पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो अब तक किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं रहे लेकिन चुनाव जीत गए। अमेरिका के लोगों के डोनाल्ड के चुनने से डेमोक्रेट निराश हैं ओर ये रिपब्लिकन के खुश होने की वजह है।

संभवत: ट्रंप अमेरिका के ऐसे प्रेसिडेंट हैं जो पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े समर्थक हैं। वर्तमान प्रेसिडेंट बराक ओबामा मोदी के प्रशंसक जरूर हैं लेकिन समय समय पर भारत को हड़काते भी रहे हैं। चाहे वो असहनशीलता कर सवाल हो या कश्मीर में मानवाधिकार की बात। इन दोनों मामले में बराक ने भारत की आलोचना की थी। लेकिन ट्रंप ऐसे प्रेसिडेंट बन रहे हैं जो पहले ही कह चुके हैं कि वो जीतने के बाद भारत की आतंकवाद पर चल रही नीति का समर्थन करेंगे।

ट्रंप जब अमरीका में भारतीय मूल के लोगों से समर्थन मांगने गए थे तब उन्होंने कहा था कि मोदी की नीतियां किसी भी सरकार के लिए गौरव की बात हो सकती है। वो पाकिस्तान को उसकी आतंकवाद परस्ती के लिए चेतावनी भी देते रहे हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि यदि वो जीत गए तो पाकिस्तान को पता चल जाएगा कि उसकी औकात क्या है।

एक और निगेटिव बात जो कट्टर हिंदुवादी को पसंद आ सकती है वो है उनकी मुस्लिम विरोधी नीति। वो अमेरिका में रह रहे मुस्लिम को बिल्कुल पसंद नहीं करते और गाहे बेगाहे उनके खिलाफ बयान देते रहे हैं।

जार्ज बुश जूनियर के बाद वो रिपब्लिकन के प्रेसिडेंट बने हैं। बुश के बारे में लोग जानते हैं कि कैसे उन्होंने इराक को तहस नहस कर दिया था। सुरंग में छुपे सद्दाम को खोज कर मारा गया था।

क्या भारत को फायदा हो सकता है ?

ट्रंप अपने वायदे के अनुसार भारत के सबसे अच्छे दोस्त साबित होने का हर संभव प्रयास करेंगे। वो भारत में बड़े पैमाने पर निवेश भी करेंगे। जैसा कि उन्होंने वायदा किया है। उन्होंने कहा था कि वो जीतने पर अमेरिका में मोदी की नीतियां लागू करेंगे। हालांकि उन्होंने ये साफ नहीं किया था कि वो मोदी की कौन कौन सी नीति लागू करेंगे। हालांकि वो पाकिस्तान को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। खासकर उनकी आतंकवाद परस्त नीति के कारण। उन्होंने कहा था कि अमेरिका से मिलने वाली मदद का 70 प्रतिशत पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देने में खर्च करता है। ट्रंप कहते हैं कि जीतने पर पाकिस्तान को मिलने वाली मदद में कटौती की जाएगी और दी गई राशि का हिसाब मांगा जाएगा।

उन्होंने भारत के पक्ष में कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की पेशकश भी की है। वो भारत में आउटसोर्सिंग के खिलाफ कदम उठाएंगे। यह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों के लिए अहम मुद्दा है।

इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को रोकने में भारत का साथ देने की बात वो कई बार कह चुके हैं। ट्रंप के अनुसार एचवन-बी वीजा सिस्टम में पूरी तरह बदलाव किया जाएगा। यह वीजा अमेरिका में अस्थाई रूप से काम करने के लिए दिया जाता है। इसका ज्यादातर इस्तेमाल भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियां करती हैं।

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