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लोकतंत्र की रक्षा के लिए बंद हो राजनीतिक दलों का डोनेशन, चंदे से चलाए दल
श्री त्रिपाठी ने कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत पहले पार्टियों को डोनेशन देने की व्यवस्था नहीं थी। 2003 में यह व्यवस्था दी गयी। डोनेशन लेकर सत्ता में बैठने वाली पार्टी उद्योगपतियों के इशारे व उनके फायदे की नीति बनाती है जिससे डोनेशन देने वाले उद्योगपति सरकार के काम में हस्तक्षेप करने लगते है जो जनतंत्र के लिए घातक है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांस्टीट्यूशनल एंड सोसल रिफार्म के चेयरमैन ए.एन. त्रिपाठी ने भारतीय चुनाव आयोग से मांग की है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए पार्टियों को डोनेशन बन्द करे। केवल कार्यकर्ताओं के सदस्यता शुल्क से ही पार्टियां अपना खर्च चलाने की व्यवस्था करे।
त्रिपाठी ने कहा कि झूठे लुभावने वायदे कर न निभाने को अपराध घोषित किया जाय और पार्टी पदाधिकारियों को दोषी माना जाय।
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श्री त्रिपाठी ने कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत पहले पार्टियों को डोनेशन देने की व्यवस्था नहीं थी। 2003 में यह व्यवस्था दी गयी। डोनेशन लेकर सत्ता में बैठने वाली पार्टी उद्योगपतियों के इशारे व उनके फायदे की नीति बनाती है जिससे डोनेशन देने वाले उद्योगपति सरकार के काम में हस्तक्षेप करने लगते है जो जनतंत्र के लिए घातक है।
इसलिए डोनेशन देने पर रोक लगे और सदस्यता शुल्क से ही राजनितिक दल कार्य करें। दलों को बेहिसाब पैसा न मिलने से राजीतिक सुचिता आयेगी और चुनाव में धन के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगेगी तथा आम आदमी भी चुनाव लड़ सकेगा।