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Jaunpur: 'स्मृतियों में नारी विमर्श' पुस्तक का लोकार्पण, नारी के योगदान पर हुई चर्चा

विशिष्ट अतिथि कांशी हिंदू विश्वविद्यालय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विभा त्रिपाठी ने कहा कि स्त्रियां मंत्रदृष्टा थी समय के साथ परिवर्तन आया मगर उनकी स्थिति में कोई ठहराव नहीं आया।

Chitra Singh
Published on: 28 Jan 2021 6:47 PM IST
Jaunpur: स्मृतियों में नारी विमर्श पुस्तक का लोकार्पण, नारी के योगदान पर हुई चर्चा
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Jaunpur: 'स्मृतियों में नारी विमर्श' पुस्तक का लोकार्पण, नारी के योगदान पर हुई चर्चा

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान के विशेश्ववरैया सभागार में आज गुरुवार को विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. महेंद्र प्रताप यादव की पुस्तक 'स्मृतियों में नारी विमर्श' (हिंदू विधि के आलोक में) का लोकार्पण समारोह मनाया गया। इस अवसर पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवम रांची वि. वि. के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा ने वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक के नारियों के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए कहा विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम इंडस्ट्री पर आधारित होने चाहिए तभी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने गुणवत्तापरक शिक्षा के विद्यार्थियों और शिक्षकों को टिप्स दिए। पूर्व प्राचार्य डॉ. मनराज यादव ने महिला विमर्श पर विस्तार से चर्चा की।

नारी जगत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विशिष्ट अतिथि कांशी हिंदू विश्वविद्यालय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विभा त्रिपाठी ने कहा कि स्त्रियां मंत्रदृष्टा थी समय के साथ परिवर्तन आया मगर उनकी स्थिति में कोई ठहराव नहीं आया। उन्होंने कहा कि महिलायें घर के दहलीज से निकलकर पति, बेटे, समाज और विश्व के प्रबंधन को तैयार हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय विधि विभाग की प्रो. विभा त्रिपाठी ने महिलाओं के संपत्ति के अधिकार पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि अतीत में भी स्त्रियों में चंद नाम थे और अब सरकारी सुविधा के बाद भी वही स्थिति है। उन्होंने पुस्तक के बारे में कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें नारी जगत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विस्तृत विवरण है।

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नारी के बिना पुरुष अधूरा

अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने शास्त्रों का वर्णन करते हुए कहा कि नारी के बिना पुरुष अधूरा है, सत्यम शिवम सुंदरम इसे परिभाषित करता है। सामाजिक दृष्टि से पिता के लोक यश का अधिकार पुत्र को ही था, अब स्थिति बदल रही है। उन्होंने कहा की नारी का सौन्दर्य इस पुस्तक में दिखाई दे रहा है, वास्तव में नारी विमर्श के लिए यह पुस्तक बहुत लाभकारी होगी। संकायाध्यक्ष प्रो.बीबी तिवारी ने स्वागत भाषण किया। संचालन डॉ. संतोष कुमार ने आभार डॉ महेंद्र प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो.बी डी शर्मा, प्रो.वंदना राय, प्रो.ए के श्रीवास्तव, प्रो.देवराज सिंह, डॉ.संतोष कुमार, डॉ.राज कुमार, डॉ.प्रमोद यादव, डॉ. संदीप सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. रजनीश भास्कर, डॉ. नुपुर तिवारी, एनएसएस समन्वयक डॉ. राकेश यादव, डा. रवि प्रकाश, करुणा निराला, डॉ. प्रमिला यादव आदि मौजूद थे।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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