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Ragini Sonkar: जानिए क्यों डा. रागिनी सोनकर बन सकती हैं नेता प्रतिपक्ष, अखिलेश यादव की ले सकती हैं जगह
Ragini Sonkar: दलित समाज की रागिनी सोनकर पेशे से डाक्टर हैं। रागिनी सोनकर ने कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कालेज और हास्पिटल से एमबीबीएस की उपाधि हासिल की है। एम्स से स्पेशलाइजेशन किया है।
Ragini Sonkar: समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव के लोकसभा जाने के बाद अब उत्तर प्रदेश में नए नेता विपक्ष को लेकर सबकी निगाहें लगी हैं। हाल ही में विधान परिषद में समाजवादी पार्टी ने लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। 29 जुलाई से विधानमंडल का सत्र बुलाया गया है, ऐसे में अब विधानसभा में भ जल्द ही नया नेता प्रतिपक्ष चुना जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष को लेकर ऐसे तो समाजवादी पार्टी की ओर से कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन इन सबमें एक नाम ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। वे हैं रागिनी सोनकर। सपा से पहली बार 2022 में विधायक बनी हैं रागिनी सोनकर। उन्होंने मछली शहर से चुनाव जीता है. युवा हैं और बहुत पढ़ी लिखी हैं. पेशे से डाक्टर हैं. रागिनी सोनकर पूर्व विधायक कैलाशनाथ सोनकर की बेटी हैं। रागिनी सोनकर ने विधानसभा में अपनी भाषणशैली और व्यवहार से भी प्रभावित किया है।
पीडीए के फार्मूले पर खरी हैं रागिनी, महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) का जिस तरह से समीकरण बनाया है उसमें भी रागिनी सोनकर फिट हो रही हैं। ऊपर से वह महिला भी हैं। उनके बनने से महिलाओं का राजनीति में प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा। समाजवादी पार्टी के पीडीए में भी महिलाओं की सशक्त भागीदारी सुनिश्चित होगी। अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला लोकसभा चुनाव में सुपरहिट रहा है। इसी की बदौलत सपा ने ऐतिहासिक 37 लोकसभा सीटें जीती हैं और देश में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में कई युवाओं को टिकट दिया और उनमें से अधिकतर जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं।
सामाजिक समीकरणों के हिसाब से मजबूत दावेदारी, पढ़ी लिखी महिला युवा नेता से जाएगा बड़ा संदेश
समाजिक समीकरणों के हिसाब से भी रागिनी सोनकर की दावेदारी मजबूत है। विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता चुनने के बाद अब विधानसभा में अति पिछड़े समाज या दलित समाज के नेता को चुने जाने की संभावना अधिक है। इन वर्गों के कई नेता सपा के पास हैं, कई नेता हाल ही में बीएसपी से भी आए हैं। दलित समाज से आने वाली रागिनी सोनकर पहली बार ही सपा से चुनकर आई हैं और महिला भी हैं। साथ में बहुत पढ़ी लिखी प्रोफेशनल भी हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी अधिक मजबूत है। इन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने से प्रदेश ही नहीं देश में बड़ा संदेश जाएगा. दलित समाज में भी सपा की स्वीकार्यता और बढ़ेगी. हाल ही में अखिलेश यादव का रुख भी पढ़े लिखे तेजतर्रार युवा नेताओं के प्रति बहुत सकारात्मक रहा है। उनके इस नजरिए में उनकी धर्मपत्नी और मैनपुरी से लोकसभा सांसद डिंपल यादव की भी बड़ी भूमिका रही है।
कौन हैं रागिनी सोनकर-
11 दिसंबर 1990 को पैदा हुईं रागिनी सोनकर ने कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कालेज और हास्पिटल से एमबीबीएस की उपाधि हासिल की है। इसके बाद दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) से आप्थाल्मोलाजी में स्पेशलाइजेशन किया है। इनके पति भी डाक्टर हैं। रागिनी सोनकर राजनीतिक बैकग्राउंड से आती हैं। इनके पिता कैलाशनाथ सोनकर 2017 से 2022 तक सुहैलदेव समाज पार्टी से विधायक रहे हैं। रागिनी सोनकर ने 2022 में मछलीशहर विधानसभा सीट से बीजेपी के माहीलाल गौतम को 8484 वोटों से हराया था।