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Dragon Fruit farming: ड्रैगन फ्रूट रखेगा आपकी सेहत और जेब का ख्याल, सरकार भी कर रही किसानों की मदद

ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सूबे के किसान अपनी आय में कई गुना इजाफा कर सकते हैं। एक किलो ड्रैगन फ्रूट 350 रुपए में बिक रहा हैं। सूबे के किसान इसकी खेती कर अपनी आय में इजाफा करें, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर उद्यान विभाग ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान को 30,000 रुपए प्रति एकड़ अनुदान देने का फैसला किया है।

Rajendra Kumar
Report Rajendra KumarPublished By Ashiki
Published on: 9 Sept 2021 9:21 PM IST
file photo of Dragon fruit
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Dragon fruit (Photo- Social Media)

लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बीती 28 फरवरी को बाराबंकी की धरती पर चीन और अमेरिका में सुपर फ्रूट मानी जानी वाली चिया सीड को उगाने वाले किसान हरिश्चन्द्र की तारीफ़ की थी। एक विदेशी फसल को बिना किसी सरकारी मदद के अपने संसाधनों के जरिये उगाए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हरिश्चन्द्र की मेहनत को सराहा था। अब इन्ही हरिश्चंद्र ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तारीफ़ उत्साहित होकर बाराबंकी के अमसेरुवा गांव में ड्रैगन फ्रूट उगाकर सूबे के किसानों को एक नई राह दिखाई है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती पर सरकार किसानों को प्रति एकड़ देगी अनुदान

ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सूबे के किसान अपनी आय में कई गुना इजाफा कर सकते हैं। एक किलो ड्रैगन फ्रूट 350 रुपए में बिक रहा हैं। सूबे के किसान इसकी खेती कर अपनी आय में इजाफा करें, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर उद्यान विभाग ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान को 30,000 रुपए प्रति एकड़ अनुदान देने का फैसला किया है। सरकार को उम्मीद है कि इस सुपर फ़ूड की खेती करने में सूबे के किसान अब रूचि लेंगे।

सेहत के लिए बड़े काम का है 'कमलम'

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन,ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में ड्रैगन फ्रूट की खेती होती है। गुजरात सरकार ने इस फल को 'कमलम' नाम दिया है। ये ड्रैगन फ्रूट (कमलम ) कमाल का है। ये फल के साथ दवा भी है। एंटीऑक्सीडेंट, बसा रहित, फाइबर से भरपूर ड्रैगन फ्रूट में कैल्शियम, मैग्नेशियम और आयरन के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन सी एवं ए भी पाया जाता है। अपनी इन्ही खूबियों के नाते इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है। ड्रैगन फ्रूट को पिताया फल के नाम से भी जानते हैं, इसे ज्यादातर मेक्सिको और सेंट्रल एशिया में खाया जाता है। इसका टेस्ट काफी हद तक तरबूज जैसा होता है। देखने में यह नागफ़नी जैसा दिखता है। इसे सलाद, जैम, जेली या जूस के रूप में भी खाया जाता। हर रूप में ये फल सेहत को सलामत रखता है।


इस फल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। शुगर के नियंत्रण और रोकथाम में भी इसे प्रभावी पाया गया है। बाकी विटामिन्स और खनिजों के भी अपने लाभ हैं। इस फल की इन खूबियों के अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मुरीद हैं। खेतीबाड़ी से संबधित ऐसे उपयोगी फलों की खूबियों को लोग जानें, किसान इनकी खेती करें। किसानों को अपने उत्पाद का वाजिब दाम मिले। यह मुख्यमंत्री की यह मंशा है।

हरिश्चन्द्र ने साबित किया किसानों के लिए लाभप्रद होगी ड्रैगन फ्रूट की खेती

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले बाराबंकी के किसान हरिश्चंद्र सेना से आर्टिलरी कर्नल के पद से वर्ष 2015 में रिटायर हुए थे। वह बताते हैं कि रिटायर होने के बाद उन्होंने तीन एकड़ जमीन बाराबंकी की हैदरगढ़ तहसील के सिद्धौर ब्लाक के अमसेरुवा गांव में खरीदी। इस भूमि पर चिया सीड, ग्रीन एप्पल, रेड एप्पल बेर, ड्रैगनफ़ूड, काला गेंहू और कई प्रजाति के आलू की खेती करना शुरु किया। बीते साल नवंबर में पहली बार आधा एकड़ भूमि में चिया सीडी की खेती की।

चिया सीड की खेती चीन में अधिक होती है। यह मूल रूप से मैक्सिको की फसल है। अमेरिका में इसे खाने के लिए खूब उगाया जाता है। इससे लड्डू, चावल, हलवा, खीर, जैसे व्यंजन बनते हैं, जो वीआईपी भोजन में प्रयुक्त होता है। बहुत छोटे से दिखने वाले ये बीज सफेद, भूरे और काले रंग के होते हैं। शरीर को एनर्जी देने के लिए काफी अच्छा एनर्जी स्रोत माना जाता है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं, जिसकी वजह से इनकी मांग काफी ज्यादा है। चिया सीड के इन गुणों और उसकी मांग के आधार पर ही प्रधानमंत्री ने कहा कि ये खेती ना सिर्फ हरिश्चंद्र की आय बढ़ाएगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत में अपना योगदान भी देगी।


हरिश्चंद्र का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए एक एकड़ में उन्होंने 500 पिलर पर 2000 प्लांट (पौधे) लगाए। इन्हें लगाने में 5-6 लाख रुपए खर्च होते हैं। तीन वर्ष पूर्व लगाए गए ड्रैगन फ्रूट के पौधों अब फल निकले है। इस फल को लोग खेत से ही खरीदने आ रहें है। हरिश्चंद्र का कहना है कि एक एकड़ में लगाए गए ड्रैगन फ्रूट अगले तीस वर्षों तक फल देंगे और हर साल इन्हें 15 लाख रुपए प्राप्त होंगे। अब इस साल ज्यादा क्षेत्र में इसे उगाने की उनकी योजना है। नए प्रयोग कर करते हुए खेती -किसानी को नाम कमाने वाले हरिश्चंद्र कहते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों की आय बढ़ाने में करारगर साबित होगी। इसकी खेती में रखरखाव पर ज्यादा खर्च नहीं आता है क्योंकि रसायनिक खाद आदि का उपयोग इस खेती में नहीं होता। गोबर और जैविक खाद का इस खेती में उपयोग होता है। एक बार लगाए पौधे से तीस साल तक फल मिलता है। किसान के लिए यह खेती बैंक में जमा कराए गए धन पर मिलने वाले ब्याज की तरह है। राज्य की जलवायु इस खेती के लिए मुफीद है। सूबे के किसान इसकी खेती में रूचि लेंगे तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।



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Ashiki

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