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Meerut News: यूपी का एक ऐसा गांव, जहां नहीं मनाया जाता है दशहरा, जानें इसकी वजह
Meerut News: भारत के हर राज्य में मंगलवार को विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं यूपी का एक ऐसा गांव जहां विजयादशमी नहीं मनाया जाता है। साथ ही इस गांव में आज के दिन कोई शुभ काम भी नहीं होता है।
Meerut News: मंगलवार (24 अक्टूबर) यानी आज देशभर में जहां उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम और हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक रावण दहन होगा और भगवान श्रीराम राम द्वारा रावण वध की खुशी मनाई जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित गगोल गांव में हर साल की तरह इस बार भी रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा।
इस गांव में रावण दहन न करने के पीछे का इतिहास हैरान कर देने वाला है। ब्लाक प्रमुख नितिन कसाना कहते हैं कि दरयाब सिंह ने 1857 में ग्राम गगोल से क्रांति की अलख जगाई थी। विजयादशमी के दिन दरयाब सिंह समेत गांव के रामसहाय, हिम्मत सिंह, रमन सिंह, हरजीत सिंह, कड़ेरा सिंह, घसीटा सिंह, शिब्बत सिंह और बैरम को अत्याचारी फिरंगियों ने फांसी दे दी थी।
166 साल से चली आ रही है परंपरा
नितिन कसाना के अनुसार ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाकर दशहरा के दिन वीर शहीदों को पीपल के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था। तभी से आज तक गगोल गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता है। इस दिन पूरे गांव में गमगीन माहौल रहता है। 166 साल से चली आ रही परंपरा इस बार भी कायम है। यह पीपल का पेड़ आज भी गांव के बाहर स्थित है। इस पीपल के पेड़ के पास ही एक मठ है जिसका नाम भूमिया है। अलबत्ता, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए वीर क्रांतिकारियों की याद में गांव गगोल स्थित शहीद स्मारक पर हवन का आयोजन हर साल किया जाता है।
आज के दिन नहीं होता कोई भी शुभ काम
शहीदों की याद में गांव वालों ने जिस पीपल पर लोगों को फांसी दी गई थी वहां उनकी याद में मंदिर बनवाया है। गांव वालों के अनुसार एक साथ दशहरे के दिन नौ लोगों को फांसी दिए जाने के बाद से पूरे गांव में मातम छा गया था। गांव के लोगों के अनुसार भले ही उस घटना को 166 साल बीत हो चुके हैं, लेकिन इस गांव में दशहरा आज भी नहीं मनाया जाता। इतना ही नहीं इस दिन गांव में कोई भी शुभ काम नहीं होता है। गांव के प्रधान ने बताया कि गगोल गांव इस दिन को कभी नहीं भूल सकता।