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एक्सक्लूसिव : ई-रिक्शा के बल पर 42 करोड़ की काली कमाई

seema
Published on: 5 Jan 2018 8:17 AM GMT
एक्सक्लूसिव : ई-रिक्शा के बल पर 42 करोड़ की काली कमाई
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अमित यादव

लखनऊ। राजधानी में ई-रिक्शा कई महकमों और माफिया के लिये अवैध कमाई के स्रोत बने हुए हैं। रोजाना इन ई-रिक्शों के जरिये 11 लाख रुपये की वसूली की जाती है। इको फ्रेंडली, प्रदूषण नियंत्रण और गरीबों को स्वरोजगार के नाम पर ई-रिक्शा की भरमार हो गयी है और आज रजिस्टर्ड व बिना रजिस्टर्ड मिलाकर करीब 19,000 ई-रिक्शा शहरभर में फर्राटे लगा रहे हैं। ई-रिक्शा चालकों को रोजाना वाहन चलाने के लिए दो चौराहों पर 30-30 रुपये का टोकन कटाना पड़ता है यानी 60 रुपये रोजाना एक ई-रिक्शा वाहन चालक सड़कों पर चलने के लिए देता है। इसका १९ हजार ई-रिक्शा चालकों से प्रतिदिन 11 लाख 40,000 हजार रुपये टोकन के तौर पर वसूला जा रहा है। एक महीने में 3 करोड़ 42 लाख रुपये आ रहे हैं और एक साल में 42 करोड़ की मोटी रकम वसूली जा रही है। हैरत की बात यह है कि रोजाना पैसे देने वाले ई-रिक्शा वालोंं को भी नहीं पता है कि यह पैसा किसके पास जाता है। कोई कहता है कि ये दबंग लोगों की वसूली है तो कोई इसे पुलिस व परिवहन विभाग की मिलीभगत बताता है। चुने हुए चौराहों पर रोजाना एक व्यक्ति वसूली करता है। टोकन नहीं कटाने वाले ई-रिक्शा वाहनों का सड़कों पर चलना मुश्किल है। इतनी भारी भरकम रकम किसके पास जा रही है, इसका जवाब न तो पुलिस के पास है और न परिवहन के संभागीय परिवहन दफ्तर(आरटीओ) के पास।

सहूलियत के साथ मुसीबत भी

ई-रिक्शा की बढ़ती तादाद जनता के लिए सहूलियत और मुसीबत दोनों का सबब बनी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में 14,252 ई-रिक्शा आरटीओ विभाग में पंजीकृत हैं और करीब 5,000 बिना पंजीकरण के ही चल रहे हैं। कॉलोनियों को मुख्य मार्गों से जोडऩे के प्रावधान पर लागू ई-रिक्शा बिना किसी रोकटोक के शहर के कोने-कोने में फर्राटा मार रहे हैं। परमिट मुक्त बैटरी से संचालित इन वाहनों के लिए परिवहन की ओर से कोई रूट नहीं निर्धारित है। शाम होने के बाद इनकी लाइटें भी नहीं जलती हैं, जिसके चलते कई बार सड़क दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। ई-रिक्शा से शहर में जाम की समस्या अधिक हो गई है, जिसके चलते लोग परेशान हैं।

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प्रतिबंध की कवायद शुरू

लखनऊ मंडल के कमिश्नर अनिल गर्ग ने गत दिनों बैठक कर निर्णय लिया कि राजधानी की सड़कों पर शाम 6 बजे के बाद ई-रिक्शा नहीं चलेंगे। इसके अलावा 31 प्रमुख मार्गों पर ई-रिक्शा पर प्रतिबंध की कवायद शुरू हो गई है। लखनऊ एसपी ट्रैफिक ने इसकी फाइल जिलाधिकारी को बढ़ा दी है। जिलाधिकारी की हरी झंडी मिलते ही 31 मुख्य रुटों पर ई-रिक्शा का चलना बंद हो जाएगा। वैसे ई-रिक्शा चालक रोजाना इसे लेकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा के बंद होने के बाद अवैध वसूली करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगेगा।

ई-रिक्शा संचालन में नियमों की अनदेखी

एक नियम के मुताबिक यह आदेश आया था कि लॄनग लाइसेंस वालों को भी ई-रिक्शा का पंजीकरण कर दिया जाए। इसके बाद लखनऊ में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढऩे लगी। आरटीओ ऑफिस में कुल 14,252 ई-रिक्शा का पंजीकरण है और इनमें 8,000 से ऊपर वाहन चालक आज भी लर्निंग लाइसेंस के आधार पर ई-रिक्शा चला रहे हैं। इन पर न तो आरटीओ की लगाम है और न ही पुलिस की। गाड़ी पर यूपी 32 सीरीज लेकर अवैध लाइसेंस पर ई-रिक्शा चल रहे हैं। ई-रिक्शा के पंजीकरण का प्रावधान है कि पहले संबंधित व्यक्ति का लॄनग लाइसेंस जारी किया जाए। उसके बाद कुछ समय बाद उसका परमानेंट लाइसेंस बने। जिसके नाम पर गाड़ी संचालित है, उसे ही ई-रिक्शा चलाने की अनुमति है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर ई-रिक्शा चल रहे हैं।

ई-रिक्शा का लखनऊ में इतिहास

राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ई-रिक्शा को सड़कों पर उतारा गया। इनको चलाने का मकसद छोटे-छोटे इलाकों को मुख्य मार्गों से जोडऩा भी था। करीब 2 साल तक बिना पंजीकरण के ही ई-रिक्शा चलते रहे। 2015 में इन ई-रिक्शों का आरटीओ दफ्तर में पंजीकरण शुरू हुआ। 2016 में 22 मार्गों पर ई-रिक्शा चलाने के लिए रूट निर्धारित हुए किन कुछ समय बाद ई-रिक्शों को परमिट मुक्त कर दिया गया। इसके बाद से इन पर किसी की लगाम नहीं रहा।

31 मार्गों पर प्रतिबंधित होगा ई-रिक्शा

अमौसी से बाराबिरवा तक, बाराबिरवा से चारबाग, बाॄलगटन चौराहे से हजरतगंज वाया रायल होटल चौराहा, बाराबिरवा से तेलीबाग चौराहे तक, बंगला बाजर से कुंवर जगदीश चौराहे तक, कुंवर जगदीश चौराहे से करियप्पा चौराहे तक, करियप्पा से बंदरियाबाग चौराहे तक,बंदरिया चौराहे से पॉलीटेक्निक चौराहे तक, बंदरिया चौराहे से हजरतगंज चौराहे तक, हजरतगंज चौराहे से सिकन्दरबाग चौराहे तक, सिकन्दरबाग से गोलमार्केट चौराहे तक, पॉलीटेक्निक चौराहे से इंदिरानगर तक, पॉलीटेक्निक चौराहा से मुंशी पुलिया तक, र्खुरम नगर से टेढ़ी पुलिया तक, इंजीनियरिंग कॉलेज से आईआईएम चौराहे तक, कामता चौराहे से शहीद पथ मोड़ तक, हजरतगंज से अल्फा मे$फेयर तक, परिवर्तन चौक से सुभाष चौराहे तक, सुभाष चौराहे से आईटी चौराहा नंबर 8 तक, गोल मार्केट से छन्नीलाल कपूरथला चौराहे तक, बादशाह नगर चौराहे से लेखराज से भूतनाथ होते हुए पॉलीटेक्निक चौराहे तक, बाराबिरवा से पारा व बुद्धेश्वर से दुबग्गा व आईआईएम चौराहे तक, पुरनिया से अलीगंज सेक्टर 8 तिराहे से इंजीनियरिंग कॉलेज तक, कमला नेहरू से मेडिकल कॉलेज चौराहे तक, शाहमीना डालीगंज से पन्नालाल आईटी निशातगंज तक, अहिमामऊ से अर्जुनगंज बारार होते हुए लालबत्ती चौराहे तक, चौक से ठाकुरगंज होते हुए दुबग्गा तक, चारबाग से कैसरबाग बस स्टेशन, बॉसमंडी से हैदरगंज तिराहे तक, एवरेडी से नेहरू चौराहे तक, पक्का पुल से मडिय़ांव चौराहे तक, 1090 से क्लार्क अवध तिराहे तक, जियामऊ से सिकन्दरबाग-चिरैयाझील तिराहे तक, सप्रू मार्ग से बैंक ऑफ इंडिया तिराहे तक, अमीनाबाद से नक्खास तिराहे तक।

यूनियन अध्यक्ष के सवालों पर विभाग मौन

लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर के अध्यक्ष प्रभात कुमार दीक्षित 'पंकज' ने बताया कि मैंने कुछ महीने पहले कई बिन्दुओं पर आरटीओ से जानकारी मांगी थी, लेकिन विभाग की ओर से कोई ब्योरा नहीं उपलब्ध कराया गया। सूचना विभाग से भी स्पष्ट नहीं हो पाया। काफी प्रयास के बाद आरटीओ प्रशासन एके सिंह ने पहल की और चिन्हित रूटों पर ई-रिक्शा को बंद करने की बात कही। इसके बाद लखनऊ प्रशासन से गुहार की तो लखनऊ मंडल के कमिश्नर अनिल गर्ग ने कई आदेश जारी किए। मेरे कई आरटीआई लगाने के बाद भी आरटीओ कार्यालय से जानकारी नहीं दी गयी।

8 मई 2017 की आरटीआई का नहीं मिला जवाब

  • कितने ई-रिक्शा अभी तक पंजीकृत हुए हैं।
  • पंजीकृत ई-रिक्शा धारकों में से कितनों ने अपने लाइसेंस स्थायी करा लिए हैं।
  • पंजीकृत ई-रिक्शा धारकों द्वारा स्वयं वाहन न चलाकर किसी अन्य व्यक्ति से चलवाने पर उक्त पंजीकृत ई-रिक्शा
  • धारकों के विरुद्ध एमवी एक्ट की किस धारा के अंतर्गत कार्रवाई किए जाने का नियम है।
  • किसी अन्य व्यक्ति से ई-रिक्शा चलवाते हुए कुल कितने ई-रिक्शा पकड़े गए व उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी?
  • पंजीकृत ई-रिक्शा धारकों के लॄनग लाइसेंस की वैधता समाप्त हो जाती है तो उनके विरुद्ध क्या एक्शन लिया जाता है?
  • ई-रिक्शा के पंजीकरण के लिए क्या-क्या मानक तय किए गए हैं?

9 मई 2017 की आरटीआई का भी नहीं मिला जवाब

-लखनऊ में संचालित ई-रिक्शा का किस तरह से किराया निर्धारित किया गया है।

-मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-2 (क) के अंतर्गत शहर में पंजीकृत हो रहे ई-रिक्शा की बैटरी को बिजली से चार्ज करने के लिए एमवी एक्ट में क्या कोई प्रावधान किया गया है।

-पंजीकृत सभी ई-रिक्शाधारकों की जानकारी देने का कष्ट करें।

सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक

ई-रिक्शा यात्रियों की सुरक्षा के हिसाब से भी खतरनाक है। बिना प्रशिक्षण के चालक वाहनों को तेजी से चला रहे हैं। अगर किसी की ई-रिक्शा से दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उस पर आश्रित परिजनों को कभी एक्सीडेंट क्लेम नहीं मिलेगा। वहीं अगर ई-रिक्शा ड्राइवर किसी वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाए तो उसे पकड़ा नहीं जा सकता। ई-रिक्शा के लिए चालक के पास लाइसेंस होना जरूरी है, लेकिन यहां लोग बिना लाइसेंस के ही इसे चला रहे हैं। ई-रिक्शा में फस्र्ट एड बॉक्स भी नहीं रहता है। शहर में चलने वाले ई-रिक्शा में केवल चार सवारियां ही बिठाई जा सकती हैं, लेकिन इनमें छह सवारी तक बिठाई जा रही हैं।

योगी सरकार में किसी को भी कानून से खेलने की इजाजत नहीं है। अवैध ई-रिक्शों पर लगाम लगेगी। लोगों की सुरक्षा पर हमारा विशेष ध्यान है। लखनऊ के संबंधित अधिकारी इस मामले की पड़ताल कर रहे हैं।

स्वतंत्र देव सिंह, परिवहन मंत्री, उप्र

ई-रिक्शा को लेकर सभी सख्त हैं। मार्गों पर प्रतिबंधित करने के संबंध में हमने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी है। जैसे ही आदेश आएगा, कार्रवाई की जाएगी।

रवि शंकर निम, एसपी ट्रैफिक

मैंने आरटीओ कार्यालय में कई बार आरटीआई लगाया, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। अवैध ई-रिक् शा वसूली पूरी तरह से गलत है।

-प्रभात कुमार दीक्षित

हमें नहीं पता कि अवैध वसूली कौन करता है और किसके पास रुपये जाते हैं। हम जिन ई-रिक्शों को सीज करते हैं, उन्हें किसी भी दशा में नहीं छोड़ा जाता है। इन पर लगाम लगाने के लिए हमेशा अभियान चलता है।

राघवेंद्र सिंह, एआरटीओ प्रशासन

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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