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सावधान! ई-रिक्शा से सफर करना हो सकता है जानलेवा, जानें कैसे

ई-रिक्शा का चलन छोटे-छोटे इलाकों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए आया था। शुरुआती कुछ दौर में तो आदेश का पालन हुआ लेकिन आज शहर के कोने-कोने में ई-रिक्शा कॉलोनियों से लेकर मुख्य मार्गों पर बेधड़ले से चल रहे हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 2 Jun 2019 7:52 PM IST
सावधान! ई-रिक्शा से सफर करना हो सकता है जानलेवा, जानें कैसे
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लखनऊ: राजधानी में अगर आप रहते हैं तो निश्चित ही कभी न कभी ई-रिक्शा की सवारी की होगी। कॉलोनियों से लेकर मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा फर्राटा भर रहे हैं। लेकिन यह जानना बेहद आवश्यक है कि इन ई-रिक्शाओं को चलने के लिए कहां तक सरकार से मंजूरी मिली है। न्यूजट्रैक डॉट कॉम के संवाददाता के कैमरे में कुछ ऐसी ही तस्वीरें 2 जून को कैद हुई हैं जो कि सरकारी व्यवस्था का पोल पूरी तरह से खोल रही हैं।

पॉलीटेक्निक चौराहे पर है जमावड़ा

पॉलीटेक्निक चौराहे पर पहुंचने पर यह दिखता है कि पुलिस के निशान वाले बोर्ड पर यह साफ-साफ लिखा है कि इस मार्ग पर ई-रिक्शा प्रतिबंधित है लेकिन चौराहे पर ई-रिक्शा का पूरा जमावड़ा लगा हुआ था। न तो कोई पुलिसिया इंतजाम थे और चौराहे पर न तो कोई पुलिसकर्मी ड्यूटी दे रहा था। इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आपको यह जानना चाहिए कि किन मार्गों के लिए कौन से कामर्शियल वाहन को परमिशन है।

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लखनऊ के किसी भी सड़क पर चले चाहिए, ई-रिक्शाओं की भरमार लगी रहती है। पत्रकारपुरम्, मेडिकल कॉलेज से लेकर हर जगह चल रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन ई-रिक्शाओं का प्रयोग मुख्य सड़कों पर नहीं होना है। इसलिए नियम जानकर अपनी सुरक्षा में भागिदार बनिए। पंजीकृत व बिना रजिस्टर्ड मिलाकर करीब 19,000 ई-रिक्शा शहरभर में फर्राटे लगा रहे हैं।

रजिस्टर्ड ई-रिक्शाओं को चला रहे हैं बिना परमानेंट लाइसेंस के

एक नियम के मुताबिक यह आदेश आया था कि लर्निंग लाइसेंस वालों को भी ई-रिक्शा का पंजीकरण कर दिया जाए। इसके बाद लखनऊ में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ने लगी। आपको बता दें कि आरटीओ ऑफिस में कुल 14,252 ई-रिक्शा का पंजीकरण हैं और इनमें 8,000 से ऊपर वाहन चालक आज भी लर्निंग लाइसेंस के आधार पर ई-रिक्शा चला रहे हैं।

ई-रिक्शा का लखनऊ में इतिहास

राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ई-रिक्शा को सड़कों पर उतारा गया। करीब 2 सालों तक बिना पंजीकरण के ही सड़कों पर ई-रिक्शा चलते रहे। इसके बाद वर्ष 2015 में इन ई-रिक्शाओं का पंजीकरण आरटीओ दफ्तर में होना चालू हुआ। वर्ष 2016 में 22 मार्गों पर ई-रिक्शा चलाने के लिए रूट निर्धारित हुए थे। लेकिन कुछ समय बाद ई-रिक्शाओं को परमिट मुक्त कर दिया गया। इसके बाद से इन पर किसी का लगाम नहीं रहा।

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कॉलोनियों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए आए थे ई-रिक्शा

ई-रिक्शा का चलन छोटे-छोटे इलाकों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए आया था। शुरुआती कुछ दौर में तो आदेश का पालन हुआ लेकिन आज शहर के कोने-कोने में ई-रिक्शा कॉलोनियों से लेकर मुख्य मार्गों पर बेधड़ले से चल रहे हैं।



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Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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