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लोगों के लिए राहत बना ई-संजीवनी एप, मिल रही बीमारियों को हराने में मदद
कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य सेवाओं में अमूल-चूल परिवर्तन ला दिया है। इस संक्रमणकाल में अस्पताल जाने में एहतियात बरतने वालों के लिए ई-संजीवनी एप भी टेलीमेडिसिन की तरह वरदान साबित हो रहा है।
हमीरपुर: कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य सेवाओं में अमूल-चूल परिवर्तन ला दिया है। इस संक्रमणकाल में अस्पताल जाने में एहतियात बरतने वालों के लिए ई-संजीवनी एप भी टेलीमेडिसिन की तरह वरदान साबित हो रहा है। इस एप के माध्यम से लोग घर बैठे अपनी बीमारी के विषय में विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह-मशविरा और इलाज पा रहे हैं। अब तक करीब तीन सैकड़ा लोगों ने इस नई व्यवस्था का फायदा भी उठाया है।
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लॉकडाउन शुरू होने के बाद इलाज के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव हुआ है
22 मार्च से लॉकडाउन शुरू होने के बाद इलाज के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव हुआ है। सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में ओपीडी संचालित तो हो रही हैं, मगर यहां आने वाले मरीजों की संख्या अभी उतनी नहीं है, जितनी इससे पूर्व हुआ करती थी। लेकिन बीमारी का इलाज कराने वालों के लिए ऐसी भीड़ से बचना नामुकिन है। लिहाजा शासन ने ई-संजीवनी एप लांच कर रखा है। इस एप के माध्यम से बगैर अस्पताल जाए भी कोई भी मरीज अपना इलाज घर बैठे करा सकता है। एप ठीक टेलीमेडिसिन की तरह काम करता है। हालांकि इस एप के माध्यम से अस्पताल जाए बगैर भी मरीज घर बैठे अपनी बीमारी को लेकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह-मशविरा ले सकता है।
डीसीपीएम मंजरी गुप्ता ने बताया
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम) मंजरी गुप्ता ने बताया कि अभी इस एप के अच्छे नतीजे आ रहे हैं। अब तक करीब तीन सौ से अधिक लोगों ने इस एप का फायदा उठाया है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में या फिर जो लोग स्मार्टफोन का उपयोग नहीं करते हैं, वह हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर (सीएचओ) व एएनएम के जरिए टैबलेट्स का उपयोग कर ई-संजीवनी ओपीडी के तहत चिकित्सीय परामर्श ले सकेंगे। अब तक जिले के 42 हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर सीएचओ और एएनएम के जरिए यह सेवा उपलब्ध कराई गई है। सीएचओ इस एप के माध्यम से मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह-मशविरा दिला रहे हैं। सोमवार से शनिवार तक सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक सेवा उपलब्ध रहती है।
ऐसे करें एप का प्रयोग
डीपीसीएम ने बताया कि प्ले स्टोर पर जाकर ई-संजीवनी एप को डाउन लोड किया जा सकता है। मोबाइल नंबर डालने पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आएगा और वन टाइम पासवर्ड डालते ही ई-संजीवनी पेज खुल जाएगा। इसमें रोगी का नाम, पता, बीमारी आदि जानकारी भरी जाएगी। अगर कोई जांच रिपोर्ट हो तो उसे अपलोड किया जा सकता है। इसके बाद चिकित्सक के साथ ऑनलाइन जुड़कर चिकित्सक से राय ले सकते हैं। चिकित्सक दवा लिखकर भेज देंगे।
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लाभार्थी भी एप से खुश
ई-संजीवनी एप के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों का परामर्श मिलने से मरीज भी खुश हैं। कुरारा की आरती, रमेश, दिवाकर तिवारी, सुमेरपुर की सुनीता, लक्ष्मी, रामभजन आदि ने कहा कि उन्होंने इस एप के माध्यम से सीधा डॉक्टरों से संपर्क कर अपनी समस्या बताई। जिसके बाद उन्हें दवाओं के बारे में जानकारी दी गई। अब उन्हें काफी आराम है।
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