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'मेट्रो मैन' ने लिया जायजा, कहा- दूर रहकर भी यहां के कामकाज पर नज़र बनाए रखता हूं
लखनऊ: 'मेट्रो मैन' ई श्रीधरन मंगलवार (19 दिसंबर) को लखनऊ मेट्रो के कार्यालय पहुंचे। यहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित किया। श्रीधरन ने कहा, कि 'मैं यहां ये देखने आया हूं कि एलएमआरसी कैसा परफॉर्म कर रही है। हालांकि, मैं दूर रहकर भी यहां के कामकाज पर नज़र बनाए रखता हूं।' उन्होंने बताया, कि लाइन नंबर- 1 पर चल रहा मेट्रो काम का प्रदर्शन अच्छा है।
ई श्रीधरन ने कहा, 'मैं केडी सिंह बाबू स्टेशन के अंडरग्राउंड वर्क को लेकर समीक्षा करने आया हूं। वहां बहुत अच्छा काम हो रहा है। काम रिकॉर्ड समय में हो रहा है। ये बहुत अच्छी बात है। एक बार अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन का काम हो जाएगा, तो ऊपर की सड़कों को बहुत बेहतर बनाया सकेगा।'
गोमती पर मेट्रो पुल बनाना चैलेंज
उन्होंने आगे कहा, 'केडी सिंह से मुंशी पुलिया तक 8 स्टेशन बनने हैं। इसका काम पहले थोड़ा पीछे चल रहा था, लेकिन अब सब ठीक है। 31 मार्च 2019 तक अंडरग्राउंड और एलिवेटेड ट्रैक का काम इस कॉरिडोर पर पूरी तरह संपन्न हो जाएगा। गोमती पर मेट्रो पुल बनाना भी हमारे लिए एक चैलेंज है।' श्रीधरन ने कहा, लेकिन हम इसे ख़ूबसूरती के साथ समय से पूरा करेंगे।
11 ट्रेनें जल्द यहां पहुंचेंगी
मेट्रो मैन ने आगे कहा, 'एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक वाले रूट पर काम 31 मार्च 2019 तक पूरा हो जाएगा।' उन्होंने बताया, 'अभी तक 8 ट्रेनें आ चुकी हैं। शेष 11 ट्रेनें बहुत जल्द यहां पहुंचेंगी। 12.5 किलोमीटर की लाइन- 2 भी जल्द ही बिछाई जाएगी। इसमें ज्यादातर अंडरग्राउंड सेक्शन होगा।'
अन्य शहरों के लिए भी तैयार हो रही डीपीआर
ई श्रीधरन ने आगे कहा, भारत की नई मेट्रो पॉलिसी से कम्पेटिबल करने के लिए डीपीआर कप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके बाद यूपी और केंद्र सरकार से अनुमति ली जाएगी। लेकिन उससे पहले सरकार के पास जाकर प्रारंभिक कार्यों को पूरा किया जाएगा, इससे समय बचेगा। उन्होंने बताया ,कि इसके अलावा लखनऊ मेट्रो को कानपुर, आगरा, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर के डीपीआर को तैयार करने की जिम्मेदारी है। इसमें कानपुर और आगरा का डीपीआर तैयार कर लिया गया है। मेरठ और इलाहाबाद मेट्रो की डीपीआर भी तैयार हो रही है।
वाराणसी में 'लाइट मेट्रो'
मीडिया को संबोधित करते हुए श्रीधरन ने कहा, भारत सरकार की नई मेट्रो पॉलिसी के तहत ये देखना होगा, कि जहां भी मेट्रो का प्रस्ताव है, वहां क्या मेट्रो के बिना ट्रैफिक मैनेज हो सकता है या नहीं। मेट्रो से पहले और बाद में ट्रैफिक की क्या स्थिति होगी। इसी क्रम में वाराणसी में लायी जा रही मेट्रो 'लाइट मेट्रो' होगी। इसका मतलब मेट्रो का साइज, ट्रैक थोड़ा अलग होगा। इस पर निर्णय होना बाकी है।
उन्होंने बताया, कि जहां अंडरग्राउंड मेट्रो का काम चल रहा है, वहां जब सड़क बनेंगी तो ख़ास लाइट, बेहतरीन फुटपाथ, ड्रेनेज सिस्टम और अच्छी क्वालिटी की सड़कें बनाई जाएंगी।
'मेट्रो मैन' ने बताए मेट्रो के प्रकार
श्रीधरन ने आगे बताया, मेट्रो तीन तरीके की होती है। लाइट मेट्रो, मीडियम मेट्रो जैसे लखनऊ मेट्रो है और हैवी मेट्रो। हम 2 मिलियन से कम आबादी वाले शहर में लाइट मेट्रो लेकर आ रहे हैं। त्रिवेंद्रम में लाइट मेट्रो है। बाकी ज्यादातर जगह मीडियम मेट्रो ही संचालित हो रही है। भारत सरकार की नई मेट्रो पॉलिसी के तहत तीन तरीके से मेट्रो बन सकती है। जिसमे प्राइवेट, पीपीपी और राज्य सरकार स्वयं बना सकती है। यही तीन कैटेगरी हैं।