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100 किलो मसूर की दाल से बन रही मां दुर्गा की इकोफ्रैंडली प्रतिमा
गोरखपुर: नवरात्रि में शहर में बड़ी बड़ी मुर्तिया पांडालों में देखने को मिलती है, लेकिन ये मूर्तियां हानिकारक रंगो और कैमिकलों से बनाई जाती है। ऐसे में हर्बल पेंट वाली मूर्तियों की लागत 4 गुना अधिक पड़ती है। सरकार ने भी इकोफ्रैंडली मूर्तियों को स्थापित करने की बात कही है। ऐसे में गोरखपुर के किराना मंडी में स्थापित होने वाली भव्य मूर्ति की स्थापना को लेकर यहां की समिति ने इकोफ्रैंडली मूर्ति स्थापित करने का विचार बनाया था और उन्होंने मसूर की दाल से निर्मित मूर्ति की स्थापना के बारे में सोंचा, जो विसर्जन के दौरान पूरी तरह से पानी में घुल मिल जाए और इनके इस सपने को कलकत्ता के मूर्तिकार प्रवीण विश्वास ने साकार कर दिखाया।
दूर-दराज से मूर्तियां देखने आ रहे लोग
मूर्तिकार के अनुसार रासायनिक रंग की तुलना में हर्बल पेंट की कीमत 4 गुना अधिक है। कलाकार प्रवीण विश्वास का कहना है कि हर बार पेंट को कूट पीसकर बनता है। इसके लिए 8 महीने पहले ही ऑर्डर दिया गया था। इको फ्रेंडली मूर्तियों को तैयार करने की लागत 15000 से 40000 रुपये के बीच है। इस मूर्ति के निर्माण में लगभग एक कुंतल मसूर की दाल का प्रयोग किया गया है। जो कि 80 प्रतिशत तैयार भी हो चुकी है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दराज से आ रहे हैं।
कई कलर की मूर्तियां जहां अपनी चमक दमक दिखाने में पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं। वहीं इस दाल वाली मूर्ति आज काफी चर्चा में है क्योंकि प्रवीण कुमार विश्वास कई वर्षों से मूर्ति बनाते आ रहे हैं। लेकिन इस बार इनकी हद दाल की मूर्ति कुछ अलग प्रभाव दिखा रही है। देखने में भी मनमोहक लग रही है। सारी मूर्तियों से अगर तुलना की जाए तो इस मूर्ति को एक ही झलक में सबसे अलग पाया जा रहा है।
सभी कलाकार तो अपनी मूर्तियों की कीमत उसकी आने वाली लागत वसूलने में रह जाते हैं। लेकिन प्रवीण कुमार विश्वास अपने कला की कीमत लेते हैं मूर्ति कम खर्च में भी ज्यादा अच्छी बनाकर अपने कला की पूरी कीमत वसूल कर लेते हैं।