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Eid 2022: कोरोना काल से राहत तो मंहगाई ने फीकी की बकरीद की रौनक, पिछले साल से अधिक दामों में बिक रहे हैं बकरे

Eid 2022: एक तरफ जहां 2 साल बाद कोरोना काल से राहत मिलते ही समान्य जन जीवन वापस पटरी पर लौट रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ती महगाई ने त्योहारों की रौनक फीकी कर दी है।

Syed Raza
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Published on: 9 July 2022 9:20 AM GMT (Updated on: 9 July 2022 9:32 AM GMT)
बकरीद के लिए बकरा खरीदते लोग
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बकरीद के लिए बकरा खरीदते लोग (फोटों: Newstrack)

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Eid 2022: एक तरफ जहां 2 साल बाद कोरोना काल से राहत मिलते ही समान्य जन जीवन वापस पटरी पर लौट रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ती महगाई ने त्योहारों की रौनक फीकी कर दी है। बकरीद में बाजार की रौनक बकरे से होती है, लेकिन इस बार बाजार पर उदासी छाई है। वजह बकरों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि। बकरीद में बकरा मंडी ठंडी पड़ी है। फिलहाल जो बकरे बाजार में पहुंचे हैं उसमें ज्यादातर राजस्थानी बकरे है साथ ही यमुनापारी व आसपास के जिलों लाए गए हैं। अधिकतर बकरों की कीमत 10 से पचास हजार के करीब हैं। हटिया इलाके की बकरा मंडी में लगभग 100 किलो वाला बकरा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।



साथ ही दिल्ली से आया बड़ी सींग वाला मेंडा (भेड़ा) भी लोगो को आकर्षित कर रहा है ।महंगाई की बात करें तो पिछले साल जिन बकरों की कीमत 15 हज़ार थी इस साल उसी तरह के बकरे 25 हजार में बिक रहे हैं। जो पहले 4 बकरे खरीदते थे आज वो 2 ही खरीद रहे। स्थानीय बकरा मंडी के कारोबारियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई ही इसका सबसे बड़ा कारण है। । ट्रांसपोर्ट व ट्रेड टैक्स के साथ यहां रुकने, जानवरों को चारा देने में जो खर्च आ रहा है उससे व्यापारियों की बचत बहुत कम रह गई है। शायद यही वजह है कि बाहर के व्यापारी इस बार आने से कतरा रहे हैं।


लगातार बढ़ती महगाई ने बकरीद के बाजारों में रौनक बेहद कम कर दी है। जिसके चलते कोरोना काल खत्म होने के बाद भी इस साल बकरीद का बाज़ार फीका है... बाज़ार में चहल-पहल न के बराबर है, ज़्यादातर बकरों की दुकानों पर कम खरीददार दिख रहे है यह कहे की बढती महगाई को देखते हुए शहर के बकरा मंडी में बकरे तो दिख रहे है लेकिन खरीददार नदारद है । जो बकरे पिछले साल से इस साल बकरो के दामो में करीब डेढ़ गुना इजाफा देखने को मिला है।.बेकरा बेचने वाले लोगो का कहना है की जिन किसान से वोह बकरा ले रहे है वह अधिक दाम में बेच रहा है साथ ही ट्रांसपोर्ट किराया बढने को भी ज़िम्मेदार ठहरा रहे है।

उधर बकरा खरीदने आए लोगो का कहना है कि कुर्बानी हर मुसलमान के लिए फर्ज है इसलिए वह बकरा तो खरीद रहे हैं लेकिन इस बार कुर्बानी के लिए कम बकरा ही खरीद रहे हैं । बहादुरगंज क्षेत्र के रहने वाले इरशाद उल्लाह का कहना है कि हमेशा वह 3 बकरे खरीदते थे लेकिन इस बार बढ़ती महंगाई के चलते एक ही बकरा खरीद रहे हैं।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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