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कोरोना काल में ऐसे मना बकरीद का त्योहार, घरों में अदा की नमाज
लॉकडाउन के बीच अकीदत के साथ जिले में आज ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया गया। ईद के पाक अवसर पर लोगों ने घरों में ही सुबह नमाज अदा कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी।
झाँसी: लॉकडाउन के बीच अकीदत के साथ जिले में आज ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया गया। ईद के पाक अवसर पर लोगों ने घरों में ही सुबह नमाज अदा कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी। शहरकाजी मुफ्ती मोहम्मद साबिर कासमी ने इस दौरान ऑनलाइन तकरीर पढ़ते हुए कहा कि हजरत इब्राहीम अलै. की याद में ईद-उल-अजहा का त्यौहार इस्लामी साल के आखरी महीने हज की 10वी तारीख को मनाया जाता है।
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इस्लामी मान्यता के अनुसार इस दिन कुर्बानी करना अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंद हैं और कुर्बानी से बढ़कर आज के दिन कोई अमल नही है। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग इस दिन अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक कुर्बानी करते हैं या कुर्बानी के जानवर में हिस्सा लेते हैं। कुर्बानी का ये सिलसिला तीन दिन तक चलता है और कुर्बान हुए जानवरों की खाल जरुरतमंद लोगों को तकसीम की जाती है। उनको बेचकर उसका पैसा गरीबों, बेसहारा, यतीमो को दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कुर्बानी के बाद जानवर के मॉंस के तीन हिस्से किए जाते हैं। एक हिस्सा गरीबों में बांटा जाए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को जिनके यहां कुर्बानी नहीं हुई हैं उनको भेजा जाए और तीसरा हिस्सा खुद की जरुरत के लिए रखा जाए।
घरों में कुर्बानी दी गई
बता दें कि इस समय कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते लोगों में वो उत्साह और उमंग नजर नहीं आ रही हैं जो उमूमन ईद-उल-अजा में नजर आती थी। मुस्लिम समाज के लोगों ने घरों में ईद की दोगाना नमाज अदा की और जिसको नहीं आती हैं उसने चार रकअत चाशत का नमाज अपने घर में अदा की। इसके बाद घरों में कुर्बानी दी गई। झाँसी में इस समय सप्ताह में दो दिन का टोटल लॉकडाउन लगा है। जो आगामी सोमवार को सुबह 5 बजे समाप्त होगा। सामूहिक कुर्बानी और खुले में कुर्बानी का सरकार की तरफ से सख्त मनाही हैं और जो इन निर्देशों का उल्लंघन करेगा उस पर प्रशासन की तरफ से कार्रवाई की जाएगी।
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मस्जिदों में नहीं पढ़ी गई नमाज
बिसातखाना मस्जिद, मरकजी मस्जिद, कमनीन गरान मस्जिद, जुमा मस्जिद में सोशल डिस्टेंस के इमाम ने पांच लोगों के साथ नमाज अदा की। इसके अलावा जिले की सभी मस्जिदों में पांच लोगों ने नमाज अदा की। वहीं, मस्जिदों के बाहर पुलिस बल भी तैनात रहा। शहर को कई सेक्टर में बांटकर फोर्स तैनात किया गया है।
त्याग व समर्पण का त्यौहार है ईद उल जोहा
कोरोना संक्रमण से बचाव एवं सुरक्षा के मद्देनजर ईदल उज जोहा बकरीद पर्व में मस्जिद एवं ईदगाह में नमाज अदा नहीं की गई। लोग घरों में नमाज अदा कर कुर्बानी की रस्म पूरी किया। पुरानी ईदगाह में पेश इमाम हाफिज मोहम्मद काशिफ ने बताया कि इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था। तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था। ईदे कुरबां का अर्थ है बलिदान की भावना।
वहीं, याकूब अहमद मंसूरी ने कहा कि भाईचारे के इस त्यौहार की शुरुआत तो अरब से हुई है, मगर तुजके जहांगीरी में लिखा है- जो जोश, खुशी और उत्साह भारतीय लोगों में ईद मनाने का है, वह तो समरकंद, कंधार, इस्फाहन, बुखारा, खुरासान, बगदाद और तबरेज जैसे शहरों में भी नहीं पाया जाता जहां इस्लाम का जन्म भारत से पहले हुआ था। शाहिद अख्तर, अबुबार खान, इनामुल खान व मोहासन खान ने कहा कि कोरोना के कारण बकरीद का जोश नरम पड़ गया।
रिपोर्ट: बी.के. कुशवाहा
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