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दो यूनिट खून के लिए भटक रहा 8 साल का मासूम बच्चा, फिर भी नहीं पसीजा डॉक्टरो का दिल
यूपी में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यह मामला शाहजहांपुर के जिला अस्पताल की है, जिसमें रामराज्य स्थापित करने का वादा किया था बीजेपी ने। आप को बता दें कि योगी के रामराज्य में एक ऐसा भी जिला अस्पताल है जिसमें 8 साल का एक मासूम बच्चा अपने पिता की जिंदगी बचाने के लिए ब्लड की तलाश में डॉक्टरों से लगाकर CMS तक पिछले 15 दिनों से रोज चक्कर काटता है। लेकिन इस अस्पताल के ब्लड बैंक में दो यूनिट भी खून नहीं है जो मासूम बच्चे के पिता की जिंदगी को बचाया जा सके।
शाहजहांपुर: यूपी में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यह मामला शाहजहांपुर के जिला अस्पताल की है, जिसमें रामराज्य स्थापित करने का वादा किया था बीजेपी ने। आप को बता दें कि योगी के रामराज्य में एक ऐसा भी जिला अस्पताल है जिसमें 8 साल का एक मासूम बच्चा अपने पिता की जिंदगी बचाने के लिए ब्लड की तलाश में डॉक्टरों से लगाकर CMS तक पिछले 15 दिनों से रोज चक्कर काटता है। लेकिन इस अस्पताल के ब्लड बैंक में दो यूनिट भी खून नहीं है जो मासूम बच्चे के पिता की जिंदगी को बचाया जा सके।
अस्पताल के इमरजेंसी बार्ड में बिस्तर पर लेटा बूढ़ा बाप इलाज के अभाव में जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है और मासूम बच्चा खून की तलाश में रो-रो कर अस्पताल के चक्कर काट रहा है। अस्पताल के जिम्मेदार अफसर और डॉक्टर भी इतने पत्थर दिल हैं कि उन्होंने बेसहारा और गरीब मरीज का ऑपरेशन करने के बजाय उसे बेड पर ही मरने को छोड़ दिया है।
क्या था मामला?
शाहजहांपुर के थाना सिंधौली के आयूँ गांव में रहने बाले लालजीत ने बताया कि उसकी जमीन पर गांव के ही दबंग भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया है। जब उसने भू माफियाओं की शिकायत पुलिस से की तो गांव के 6 दबंगों ने घर में घुसकर लाठी डंडों से उस को इतना पीटा की उसके हाँथ पांव और पसलियों की हड्डी टूट गईं। थाने में तहरीर देने के बाबजूद पुलिस ने भी अभी तक दबंगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। गंभीर रूप से घायल लालजीत को 3 दिसंबर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसका ऑपरेशन होगा जिसके लिए उसे 4 यूनिट ब्लड का इंतजाम करना होगा तभी इलाज हो सकेगा। .
किसी ने भी नहीं की मदद
अस्पताल में भर्ती लालजीत बेहद ही गरीब है और उसका सहारा 8 साल का उसका बेटा जग मोहन ही है जो अस्पताल में उसकी देखभाल करता है। जिला अस्पताल में मासूम बच्चे को रोता बिलखता देख जब मीडिया ने उसकी पीड़ा को सुना तो मीडिया की दखल के बाद खून के लिए तड़पते लालजीत को 2 यूनिट खून तो अस्पताल ने दे दिया लेकिन शेष दो यूनिट खून के अभाव में उसका ऑपरेशन न हो सका। 8 साल का मासूम जगमोहन अपने पिता की जिन्दगी बचाने के लिए दो यूनिट खून की तलाश में पूरे अस्पताल में पिछले 15 दिनों से चक्कर काट रहा है लेकिन पत्थर दिल डॉक्टरों का दिल नहीं पसीज रहा है । अब ऐसे में बूढ़ा और लाचार पिता इलाज के अभाव के चलते अस्पताल के बिस्तर पर अंतिम सांसे गिन रहा है।
ऐसे में सवाल जिले की उन संस्थाओं और समाज सेवियों से भी है जो खुद को समाज सेवा का ठेकेदार कहते हैं ? आखिर खून के अभाव में इलाज को तरसते हुए बूढ़े बाप और खून की तलाश में दर-दर भटकते हुए मासूम बच्चे की ओर योगी का ये अस्पताल नजरें इनायत क्यों नहीं कर रहा है ? आखिर इस मासूम बच्चे के आसुंओं पर अस्पताल के किसी भी डॉक्टर का दिल क्यों नहीं पसीज रहा है ? क्या ये समझ लिया जाए कि इस अस्पताल की ब्लड बैंक में दो यूनिट भी खून नहीं है।