Ekatm Yatra: 2500 किलोमीटर की यात्रा तय कर लखनऊ वापस आई एकात्म यात्रा, राम राज्य की पुनर्स्थापना का दिया संदेश

Ekatm Yatra: 17 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022 तक चलने वाली एकात्म यात्रा अपने उद्देश्य को लेकर प्रदेश के 31 जिलों से होकर 2500 किलोमीटर की यात्रा तय कर आज लखनऊ वापस आ गई है।

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Published on: 26 Dec 2022 12:31 AM GMT
Ekatm Yatra In Lucknow
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Ekatm Yatra In Lucknow

Ekatm Yatra: 17 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022 तक चलने वाली एकात्म यात्रा अपने उद्देश्य को लेकर प्रदेश के 31 जिलों से होकर 2500 किलोमीटर की यात्रा तय कर आज लखनऊ वापस आ गई है। यात्रा के दौरान सांस्कृतिक-सामाजिक संवाद, दीनदयाल की राष्ट्र समाज की अवधारणा, को लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालय, ग्रामीण अंचल के साथ सीधा संवाद स्थापित करने व भारत के नवनिर्माण के लिए मूल्य आधारित समाज का निर्माण जहां रामराज्य शासन सत्ता का मूल हो।

एकात्म संवाद दीनदयाल के वक्ता के रूप में हुए सम्मिलित

एकात्म संवाद दीनदयाल के स्थली नगलाचंद्रभान मथुरा से होकर मेरठ, बरेली, अयोध्या, काशी, प्रयाग, चित्रकूट, झाँसी होते हुए लखनऊ वापस आयी। संवाद के दौरान स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती महाराज, राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय संत समिति, संघ के क्षेत्रीय अधिकारी मिथिलेश, प्रो योगेश दूबे,कुलपति; महामंडलेश्वर शिव शंकर दास, अखिल भारतीय दिगम्बर अणि अखाड़ा, प्रो त्रिलोचन, गौरी शंकर, संरक्षक, अधिवक्ता परिषद व अन्य वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए। यात्रा के दौरान रामराज्य में तमाम सामजिक व्यवस्थाओं, शासन व शासक के मूल्य कैसे हों इस पर प्रकाश डाला गया।

इस यात्रा को समाज से भारी जन समर्थन हो रहा है प्राप्त

एकात्म यात्रा के संयोजक सत्येंद्र, सह संयोजक डॉ विवेक तांगड़ी व प्रबल चौहान ने यात्रा के विषय में साझा किया कि इस यात्रा को समाज से भारी जन समर्थन प्राप्त हो रहा हैं जिस कारण एक आदर्श समाज को स्थापित करने कि दिशा मेँ यह यात्रा निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगी।

आध्यात्मिक संस्कृति ही हमारे राष्ट्र के मूल में समाहित: भारत सत्येंद्र

एकात्म यात्रा के संयोजक व निदेशक लोकनीति भारत सत्येंद्र ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति ही हमारे राष्ट्र के मूल में समाहित हैं और भारत के समग्र विकास का इतिहास केवल भारतीय चिंतन के माध्यम से ही संभव किया जा सकता हैं। सत्येंद्र ने बताया की सन 1950 में भारत के संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूर्ण के पश्चात भी भारत के जन जन की भावना के अंश संविधान में समाहित होने से छूट गए।

आज समाज को युवा वर्ग के सक्रिय समाज निर्माण में सहयोग देने की आवश्यकता: तांगड़ी

चलो जाने रामराज्य के अभियान प्रमुख, आध्यात्मिक चिंतक और यात्रा संयोजक डॉ विवेक तांगड़ी ने इस बात पर जोर दिया कि आज समाज को युवा वर्ग के सक्रिय समाज निर्माण में सहयोग देने की आवश्यकता हैं। क्योंकि जब हम बदलेंगे-तो समाज बदलेगा-समाज बदलेगा तो राष्ट्र बदलेगा। डॉ तांगड़ी ने अब इस समाज को हम सब की सक्रिय योगदान की आवश्यकता के विषय में भी प्रकाश डाला।

इस यात्रा के पड़ाव स्थल

यह यात्रा मथुरा से प्रारम्भ होकर नोयडा, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, अयोध्या, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, जौनपुर, काशी, प्रयागराज, चित्रकूट, बाँदा, झाँसी, बिठूर, उन्नाव से लखनऊ तक प्रदेश के 30 जिलों को, 18 विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एकात्म संवाद एवं यात्रा के विभिन्न पड़ाव स्थलों पर एकात्म संवाद, एकात्म चर्चा, ग्रामीण एकात्म संवाद, विचार गोष्ठी, चाय पर चर्चा और सामाजिक सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से । इस यात्रा के माध्यम से प्रदेश की 6 करोड़ 14 लाख जनता के बीच यात्रा के उद्देश्य का चिन्तन प्रवाह होगा।

Deepak Kumar

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