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Rampur By Election Date: चुनाव आयोग ने किया ऐलान, 5 दिसंबर को होगा रामपुर उपचुनाव

Rampur By Election 2022: रामपुर उपचुनाव का चुनाव आयोग ने ऐलान किया। चुनाव आयोग ने बताया कि 5 दिसंबर को मतदान, आठ दिसंबर को परिणाम आयेगा।

Azam Khan
Newstrack Azam Khan
Published on: 10 Nov 2022 9:44 PM IST (Updated on: 11 Nov 2022 10:01 AM IST)
election commission
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election commission (Social Media) 

Rampur By Election 2022: रामपुर उपचुनाव का चुनाव आयोग ने ऐलान किया। आयोग ने कोर्ट के आदेश के बाद ऐलान है। चुनाव आयोग ने बताया कि 5 दिसंबर को मतदान, आठ दिसंबर को परिणाम आयेगा। चुनाव आयोग के मुताबिक 12 नवंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। 18 नवम्बर तक नामांकन होगा। 19 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 21 नवंबर को नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि है। 5 दिसंबर को मतदान और 8 दिसंबर को होगी मतगणना कर नतीजा घोषित किया जाएगा।





आपको बता दें कि रामपुर में हेट स्पीच में सपा नेता आजम खां को सजा सुनाये जाने के बाद उनकी विधायकी जा चुकी है और उनके बेटे अब्दुल्लाह की विधायकी पर तलवार लटक रही है अगर उन्हें भी सजा सुना दी गई तो उनकी विधायकी भी जा सकती है। ऐसे में रामपुर से आजम परिवार का तिलिस्म टूटने के आसार बनते दिखायी दे रहे हैं क्योंकि सवाल ये भी है कि अब समाजवादी पार्टी किसे चुनाव लड़ाएगी। किसी हिन्दू को या फिर आजम के समानांतर मुस्लिम नेता खड़ा करने की कोशिश करेगी। हालांकि संभावना इस बात की है कि सपा उनकी पत्नी को चुनाव लड़ाए।

हालांकि आजम खां की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए चुनाव प्रक्रिया रोके जाने के बाबत सवाल किया था जिस पर आयोग ने 10 नवंबर जारी होने वाली अधिसूरचना को अगले आदेश तक रोक लिया था लेकिन आजम खां की अपील खारिज होने के बाद चुनाव तारीखों का एलान कर दिया गया है।

रामपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव के काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है। क्योंकि यह सीट सपा के संस्थापकों में गिने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान का मजबूत किला रही है। लंबे अरसे से इस सीट पर उनका कब्जा रहा है। उनके न रहने की सूरत में भी ये सीट खान परिवार से बाहर नहीं गई। ऐसे में इस सीट पर होने वाला उपचुनाव उनके लिए नाक की लड़ाई से कम नहीं होगा। बता दें कि आज़म खान कुछ माह पहले ही रामपुर लोकसभा सीट बीजेपी के हाथों गंवा चुके हैं।

दरअसल, साल 2019 में आम चुनाव के दौरान वरिष्ठ सपा नेता आजम खान रामपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे। अपने विवादित बयानों के कारण अक्सर मुश्किलों का सामना करने वाले आजम ने लोकसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए जमकर भड़काऊ बयान दिए। भाजपा नेता ने सपा नेता के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने उन पर आचार सहिंता का उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया था। पुलिस की जांच-पड़ताल के बाद यह मामला रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट पहुंचा, जहां उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई गई। जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई।

रामपुर में आजम खान का रसूख

उत्तर प्रदेश की सियासत में रामपुर का मतलब आजम खान का गढ़ है। सपा नेता यहां से 1977 से चुनाव लड़ रहे हैं। तब से लेकर अब तक इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दें तो उन्होंने इस सीट पर हमेशा अपना परचम फहराया है। 1977 में अपना पहला चुनाव हारने के बाद आजम यहां से 1980 से लेकर 1993 तक लगातार जीते। फिर 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान से उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इसके बाद के चुनाव में वे लगातार जीतते रहे। ये सिलसिला आज तक जारी है। 2017 में यूपी में बीजेपी की आंधी चलने के बावजूद वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

इतनी ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में न केवल उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की बल्कि उनके इस्तीफे से खाली हुई रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा को जीत दिलाई। इस विधानसभा सीट पर आजम खान के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जेल में रहते ही 10वीं बार जीत हासिल की।

लोकसभा उपचुनाव में बड़ा उलटफेर

जेल में रहकर विधानसभा चुनाव जीतने वाले सपा नेता आजम खान ने सांसदी छोड़ विधायकी रखने का फैसला किया। जिससे रामपुर में लोकसभा उपचुनाव का मार्ग प्रशस्त हुआ। रामपुर की सियासत में आजम खान का दखल और इस सीट के समीकरण को देखते हुए सपा की आसान जीत की भविष्यवाणी की जा रही थी। बीजेपी की तरफ से यहां मैदान में घनश्याम लोधी थे जबकि सपा ने आजम की पसंद के उम्मीदवार आसिफ रजा को टिकट दिया था। मुस्लिम दबदबे वाले इस सीट पर आए नतीजे ने सबको चौंका दिया। बीजेपी उम्मीदवार ने सपा उम्मीदवार को करीब 41 हजार वोटों से हरा दिया। इस चुनाव नतीजे ने सपा से अधिक आजम खान को ठेस पहुंचाई। इसे इलाके में खान के घटते रसूख के तौर पर देखा जाने लगा।

क्या सीट बचा पाएंगे आजम ?

पांच माह पूर्व बीजेपी के हाथों अपनी लोकसभा सीट गंवाने वाले सपा नेता आजम खान के सामने अब अपनी विधानसभा सीट बचाने की चुनौती होगी। कभी यूपी की राजनीति में दहाड़ मारने वाले आजम वर्तमान में कई केस मुकदमों के बोझ तले दबे हुए हैं, साथ ही अब स्वास्थ्य भी उनका ठीक से साथ नहीं दे रहा। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि काफी हद तक मुमकिन है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस सीट से आजम की पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा को ही उम्मीदवार बनाएंगे।

ऐसे में क्या आजम खान साल 2019 की तरह इस बार भी अपनी पत्नी की चुनावी नैया को पार लगा, इस सीट पर अपनी बादशाहत कायम रख पाएंगे, देखना दिलचस्प होगा। अगर सपा रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह ये सीट भी गंवाती है तो ये निश्चिततौर पर एक और बड़ा उलटफेर होगा। जिसका प्रतिकूल प्रभाव आजम खान की सियासी प्रतिष्ठा पर पड़ना तय है।

उधर आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की स्वार सीट से विधायकी खतरे में है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है और जन्म के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में उनकी विधायकी रद करने के आदेश दिये हैं। ऐसे में स्वार सीट से भी आजम परिवार का वर्चस्व खत्म हो जाएगा और इस सीट पर सपा को आजम परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को मजबूरन लड़ाना पड़ेगा।



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Deepak Kumar

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