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अब करिए इलेक्शन टूरिज्म और देखिए चुनावी रैलियों का नजारा
अपना भारत संवाददाता
लखनऊ। भारत में विदेशी टूरिस्टों के लिए ऐतिहासिक स्मारक, प्राकृतिक सौंदर्य, तरह-तरह के व्यंजन, हाथी-ऊंट की सवारी आदि मुख्य आकर्षण रहते हैं। भारत के चुनावी मौसम में यहां आने वाले टूरिस्टों के लिए इन आकर्षणों से ज्यादा रुचिकर हो जाता है चुनावी रैलियों का नजारा लेना या किसी प्रत्याशी के साथ समय बिताना। ये है चुनावी टूरिज्म।
कुछ टूर कंपनियां अंतरराष्ट्रीय टूरिस्टों को हफ्ते भर का चुनावी टूरिज्म पैकेज पेश कर रही हैं। इस पैकेज में पारंपरिक भ्रमण के अलावा राजनीतिक चुनाव प्रचार का नजारा लेना शामिल है। चुनावी टूरिज्म का आइडिया गुजरात से शुरू हुआ है। गुजरात में २०१२ के विधानसभा चुनावों में टूर आपरेटर्स ने चुनावी टूर के पैकेज पेश किए थे। २०१४ के लोकसभा चुनावों में भी ऐसे पैकेज पेश किए गए और करीब १८०० टूरिस्टों ने इसको चुना था। ये टूरिस्ट जापान, यूएई, अमेरिका और यूरोप तक के थे। इन टूरिस्टों ने मतदान का भी नजारा लिया था।
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अहमदाबाद स्थित इलेक्शन टूरिज्म इंडिया के संस्थापक और गजिरात टूरिज्म कारपोरेशन सोसायटी के चेयरमैन मनीष शर्मा कहते हैं कि भारत में चुनाव एक त्योहार की तरह है। इस त्योहार का अलग ही समां होता है जो विदेशी टूरिस्टों को अलग ही नजारा पेश करता है। भारत के अलावा किसी भी देश में ऐसा माहौल नहीं रहता इसलिए विदेशी नागरिकों को इसमें काफी कौतूहल रहता है।
मनीष के अनुसार इलेक्शन टूरिज्म इंडिया भारत भर में ३५ टूूर कंपनियों के साथ मिल कर काम करता है। विदेशों से इसे करीब ३५०० चुनावी पैकेज की बुकिंग प्राप्त हुई है। इस पैकेज में लोकप्रिय टूरिस्ट गंतव्यों के साथ राजनीतिक रैलियों का नजारा, चुनावी प्रत्याशियों और लोकल नेताओं के संग मुलाकात का प्रोग्राम शामिल है। ये ट्रिप ५ से ८ दिन की होती है और इसमें अलग अलग जगहों का भ्रमण कराया जाता है। गांवों के चुनावी माहौल को भी दिखाया जाता है। चूंकि चनाव की अवधि ५ हफ्ते से अधिक की होती है सो टूर आपरेटरों को काफी विकल्प मिल जाते हैं।
टूर आपरेटरों को उम्मीद है कि इस वर्ष चुनावी टूरिज्म का बिजनेस अच्छा रहेगा। चूनावी टूरिज्म में देश-विदेश के शोधकर्ता, छात्र, मीडियाकर्मी, युवा ज्यादा रुचि ले रहे हैं। आपरेटर्स के अनुसार चुनावी टूर पैकेज ४० हजार से लेकर डेढ़ लाख तक की कीमत के हैं। चुनावों में ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट भारत आएं इसके लिए तमाम आपरेटरों ने विदेशों में स्थित भारतीय राजदूतों को पत्र लिखे हैं कि वे उन देशों में भारत के चुनावी टूरिज्म को प्रोत्साहित करें। इस बार १० हजार से ज्यादा 'चुनावी टूरिस्टों' के आने की उम्मीद है।