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Electric Rickshaw: परिवहन मंत्री जी! कुछ करिए इन ई रिक्शा का, मम्मी कसम जान हलक में रहती है
Electric Rickshaw: राजधानी की सड़कों पर ई-रिक्शा वालों की तादात इतनी ज्यादा हो गई है, कि लगभग हर दिन कोई न कोई घटना होना तय है।
Electric Rickshaw: सुबह देर से उठा जल्दी में मीटिंग निपटाई और निकल लिया असाइंमेंट निपटाने के लिए। सुबह के 10 बजकर 20 मिनट हुए हैं। स्थान है लखनऊ का चौक इलाका। रोड पर गाड़ियों के साथ ही ई रिक्शा भी बड़ी तादात में हैं। ओवरलोड ऐसे की चल भी नहीं पा रहे सही से। बच्चे साईकिल क्या चलाते होंगे जैसे इनका ड्राइवर रिक्शा चलाता है। जहां अगला पहिया घुसा बस इनको लगता कि पूरा रिक्शा घुसा देंगे। इनको ये भी नहीं पता होगा कि ओवरटेक किधर से करना है। स्पीड कितनी होनी चाहिए।
चौक से किसी तरह निकल कर रूमी दरवाजे तक पहुचना हुआ यहाँ भी ई रिक्शा कतार में लगे थे। आगे निकलने की होड़ ऐसी की लगा रेसकोर्स तो नहीं आ गया। शू से बगल से निकलते हैं भिया जी! हॉर्न भी नहीं देते की बंदा सतर्क हो के किनारे हो जाए। 8 सवारी भरे पता नहीं किस से रेस लगाते हैं।
जिन्नातों वाली मस्जिद के पास एक ई रिक्शा दिखा जिसमें सरिया लदी हुई थी। ड्राइवर साहेब ने अचानक लेफ्ट साइड गाडी मोड़ दी। मै तो संभल गया। साथ में एक महिला स्कूटी से निकल रही थी वो हडबडा गई और गिर गई। ई रिक्शा रोका गया तो एक नाबालिग ड्राईवर सीट पर नजर आया।
उसने बताया कि अब्बा ने कहा जाओ डिलीवरी कर आओ। वहां से आगे निकले किसी तरह राम-राम करते तो डालीगंज पुल पर भीड़ लगी थी ई रिक्शा की। जाम लगा के सवारी भर रहे थे। बगल में पुलिसकर्मी खड़ा देख रहा था। लेकिन मुहं में खैनी दबाए पता नहीं किस ख्यालों में गुम था। किसी तरह उसको होश आया तो जाम खुलवाया। यहाँ भी ज्यादातर नाबालिग ही रिक्शा चलाते नजर आए।
ये सिर्फ एक दिन का नहीं है। जब भी ऑफिस के लिए निकलो या वापस आओ ये सडक पर अराजकता फैलाते मिल जाते हैं। थोक के भाव में रिक्शा चल रहे हैं। इनको ये भी नहीं पता कि ट्रैफिक रूल्स क्या हैं
क्या करते हैं ये रिक्शा वाले
बैटरी बचाने के लिए हॉर्न नहीं बजाते।
हेड लाइट नहीं जलाते।
इंडिकेटर का प्रयोग नहीं करते।
अचानक रिक्शा मोड़ते।
6 सवारी की जगह 8 सवारी बैठा के चलते है।
स्पीड हद से ज्यादा होती है। उतनी ही स्पीड में कहीं भी मोड़ देते हैं।
कई के पहिये भी डगमगाते हैं।
अधिकतर नाबालिग भी फर्राटा भरते नजर आ जाते हैं। इनकी वजह से हर दिन कोई न कोई चोट खाता है।
परिवहन मंत्री जी कुछ करिए
परिवहन मंत्री जी कुछ करिए इन ई रिक्शा वालों का। मतलब ये ऐसी भसड फैला रहे हैं रोड पर की चलना दूभर है। कहां से आते हैं? कैसे चलाते हैं, न हॉर्न होता न रात में हेडलाइट। सडक पर अराजकता फैला रखी है। शहर के कुछ इलाकों में इनका प्रवेश बंद है। हम ये नहीं कहते कि इनपर प्रतिबंध लगाया जाए। क्योंकि इससे रोजी रोटी चलती है। लेकिन कुछ ऐसी व्यवस्था करिए कि लोगों के हाथ पैर सलामत रहें बाकी आप समझदार हैं अब क्या ही कहें!!