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इलेक्ट्रिसिटी बिल-2020: बिजली कर्मचारियों ने किया विरोध प्रदर्शन, की ये मांग
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट)बिल-2020 तथा पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को यूपी के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों
लखनऊ: नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट)बिल-2020 तथा पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को यूपी के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने राजधानी लखनऊ सहित राज्य के सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया। यूपी में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही उप्र.विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की है कि ग्रेटर नोएडा का निजीकरण और आगरा का फ्रेंचाइजी करार घोटालों और करार की शर्तों के उल्लंघन के चलते तत्काल रद्द किया जाए।
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उप्र.विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा
उप्र.विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 को पारित कराने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को संसद में पारित कराने और पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण की एकतरफा कोशिश हुई तो बिजलीकर्मी व इंजीनियर भी सीधी कार्यवाही सहित व्यापक आंदोलन प्रारम्भ करने के लिए बाध्य होंगे,जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकार की होगी।
केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने घोषणा की
उन्होंने बताया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा बीती 03 जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में 11 राज्यों और 02 केंद्र शासित प्रदेशो ने इस मसौदे का जमकर विरोध किया था। राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने घोषणा की थी कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे में संशोधन किया जाएगा। लेकिन उक्त बैठक के डेढ़ माह बाद भी केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 के संशोधित प्रारूप को सार्वजनिक नहीं किया है, उल्टे केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है जिससे बिजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है।
शैलेन्द्र दुबे ने आगे कहा
दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार के दबाव में यूपी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव पर भी बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। उन्होंने कहा कि यूपी में आगरा और ग्रेटर नोएडा में निजीकरण का प्रयोग पहले ही बुरी तरह विफल हो चुका है। इसके अलावा अन्य राज्यों उड़ीसा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर समेत कई स्थानों पर निजीकरण का प्रयोग पूरी तरह से विफल साबित हुआ है। इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर थोपा जा रहा है जिसका प्रबल विरोध किया जाएगा।
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संघर्ष समिति संयोजक ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 निजी घरानों के मुनाफे के लिए है और आम उपभोक्ता विरोधी है। इस बिल में सब्सिडी व् क्रास सब्सिडी को समाप्त करने का प्राविधान है और स्पष्ट लिखा है कि लागत से कम मूल्य पर किसी श्रेणी के उपभोक्ता को बिजली नही दी जाएगी। इसका अर्थ यह है कि किसानो व गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को 10 रुपये प्रति यूनिट से कम में बिजली नहीं मिलेगी।
मनीष श्रीवास्तव
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