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UP Electricity News: बिजलीकर्मियों को निजीकरण के पीछे भारी घोटाले की आशंका: पंजाब, उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर के अभियंताओं का मिला समर्थन
UP Electricity News: संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि प्रबंधन अनावश्यक रूप से बिजली कर्मियों का दमन करने से बाज आए। उन्होंने कहा कि अभी कोई आंदोलन का नोटिस नहीं दिया गया है। निजीकरण के बारे में कर्मचारी और उपभोक्ताओं को जनसंपर्क कर अवगत कराया जा रहा है।
UP Electricity News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन कर्मचारियों के बीच में बर्खास्तगी और दमन का भय पैदाकर संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करना चाहता है। पहले कदम में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के नाम का खुलासा कर दिया गया है किंतु उद्देश्य संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण का है। संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रबंधन का झूठ बेनकाब हो चुका है, इसीलिए प्रबंधन बर्खास्तगी की धमकी देकर डर का वातावरण बना रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसा भी पता चला है कि निजीकरण के पीछे भारी घोटाला है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के निजीकरण के विरुद्ध चल रहे संघर्ष को पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर के विद्युत अभियंता संघों ने समर्थन दिया है।
संघर्ष समिति ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रबंधन को यह बताना चाहिए कि आगरा में फ्रेंचाइजी के साढे 14 साल के प्रयोग का क्या परिणाम निकला है। यह भी बताना चाहिए कि 31 मार्च, 2010 तक का लगभग 2200 करोड रुपए का बकाया टोरेंट पावर कंपनी ने आज 14 साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद पावर कारपोरेशन को क्यों नहीं दिया। प्रबंधन यह भी बताएं की टोरेंट पावर कंपनी और ग्रेटर नोएडा पावर कंपनी ने राज्य विद्युत परिषद के कितने कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी में रखा। प्रबंधन द्वारा यह कहा जा रहा है की टांडा और ऊंचाहार बिजली घर एनटीपीसी को पूरी तरह बेच दिए गए थे जबकि ज्वाइंट वेंचर में एनटीपीसी में 50 प्रतिशत कर्मचारी रखे जाएंगे तो प्रबंधन यह भी बताएं की ज्वाइंट वेंचर कंपनी मेजा में भी है, ज्वाइंट वेंचर कंपनी घाटमपुर में भी है, ज्वाइंट वेंचर कंपनी बिल्हौर में भी है। इन कंपनियों में उत्पादन निगम के एक भी कर्मचारी को क्यों नहीं रखा गया है। प्रबंधन यह भी बताएं कि जब इन्ही कर्मचारियों ने उत्पादन निगम और ट्रांसमिशन निगम को मुनाफे में ला दिया है तो यही कर्मचारी रहते हुए विद्युत वितरण निगम मुनाफे में क्यों नहीं लाया जा सकता। विद्युत वितरण निगम में घाटा लगातार बढ़ रहा है। घाटे की जिम्मेदारी क्या प्रबंधन की नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे का जिम्मेदार प्रबंधन हटा दिया जाए तो 1 साल में संघर्ष समिति वितरण निगमों को मुनाफे लाकर दिखा सकती है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो.इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में बिजली राजस्व का बकाया लगभग 66000 करोड रुपए है। निजी कंपनियों की इसी पर नजर लगी हुई है। देश के अन्य प्रांतों में जहां पर भी फ्रेंचाइजी या निजीकरण हुआ है निजी कंपनियों ने कहीं पर भी बिजली राजस्व के पुराने बकाया को पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया है। यह सब रिकॉर्ड पर है। उत्तर प्रदेश में भी टोरेंट पावर कंपनी ने 2200 करोड रुपए राजस्व बकाए का वापस नहीं किया। अब जो नई कंपनियां आएंगी इसी बिजली राजस्व के 66000 करोड रुपए के बकाए के बंदर बांट की लूट होने वाली है। यह भी पता चला है कि जुलाई के महीने में बिजली क्षेत्र की एक बड़ी निजी कंपनी ने पावर कारपोरेशन के सामने पी पी पी मॉडल का प्रेजेंटेशन किया था। अब निजीकरण की योजनाओं की प्रतिदिन जो घोषणा की जा रही है वह निजी कंपनी द्वारा दिए गए उसी प्रेजेंटेशन का हिस्सा है। इससे साफ हो जाता है कि प्रबंधन की निजी कंपनियों से सांठगांठ है और निजीकरण के बाद आने वाले मालिक पहले ही तय कर लिए गए हैं। संघर्ष समिति ने इस संबंध में उपभोक्ता परिषद द्वारा किए गए खुलासे का समर्थन करते हुए मांग की है कि निजीकरण पर उतारू प्रबंधन को तत्काल हटाया जाए।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि प्रबंधन अनावश्यक रूप से बिजली कर्मियों का दमन करने से बाज आए। उन्होंने कहा कि अभी कोई आंदोलन का नोटिस नहीं दिया गया है। निजीकरण के बारे में कर्मचारी और उपभोक्ताओं को जनसंपर्क कर अवगत कराया जा रहा है। लेकिन वाराणसी में संविदा कर्मियों की सेवा केवल मीटिंग में हिस्सा लेने के कारण बर्खास्त की गई है, जो अत्यधिक निंदनीय है। आज पंजाब राज्य बिजली बोर्ड इंजीनियर्स एसोसिएशन, जम्मू कश्मीर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ग्रेजुएट एसोसिएशन और उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर निजीकरण के निर्णय को वापस लेने की मांग की है और निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी और अभियंताओं को पुरजोर समर्थन दिया है।आज लखनऊ स्थित विभिन्न कार्यालयों में जन जागरण किया गया और सभी कर्मचारियों ने एक स्वर में निजीकरण के विरोध में संघर्ष करने का संकल्प व्यक्त किया।