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UP Power Privatisation: निजीकरण के खिलाफ उतरे बिजली कर्मचारी, काली पट्टी बांध जताया विरोध और दी चेतावनी

UP Power Privatisation: समर्थन में पंजाब और महाराष्ट्र में भी हुआ प्रदर्शन। बुधवार को बिजली के निजीकरण के विरोध में लखनऊ में तय होगी राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति।

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Newstrack Network
Published on: 10 Dec 2024 3:04 PM IST
UP Power Privatisation: निजीकरण के खिलाफ उतरे बिजली कर्मचारी, काली पट्टी बांध जताया विरोध और दी चेतावनी
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निजीकरण के खिलाफ उतरे बिजली कर्मचारी  (फोटो: सोशल मीडिया )

UP Power Privatisation: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आवाहन पर मंगलवार को प्रदेश के सभी जनपदों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर बिजली के निजीकरण को लेकर अपना विरोध दर्ज किया। संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार बिजली कर्मियों ने कार्य नहीं प्रभावित होने दिया लेकिन काली पट्टी बांधकर निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया। मुख्य अभियंताओं ने भी बांधी काली पट्टी। वहीं उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में महाराष्ट्र और पंजाब के बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किए और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि कर्मचारी और उपभोक्ता विरोधी निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाय।

सभी जिलों में जताया विरोध

राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जिले में बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर निजीकरण के प्रति अपना आक्रोश जताया। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से मुख्य अभियन्ता स्तर तक के अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर एकजुटता दिखाई। भोजन अवकाश में और कार्यालय समय के बाद बिजली कर्मचारियों ने कार्यालय के प्रांगण में निजीकरण के विरोध में जोरदार नारेबाजी की।

बुधवार को लखनऊ में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स(एनसीसीओईईई)की बैठक होने वाली है। जिसमें उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में किए जा रहे बिजली के निजीकरण के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। बता दें कि एनसीसीओईईई बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति है, जिसमें देश के सभी प्रमुख बिजली कर्मचारी फेडरेशन तथा पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन और आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन सम्मिलित हैं।

लखनऊ में हो रही मीटिंग में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमेन शैलेंद्र दुबे, सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, सेक्रेटरी जनरल अभिमन्यु धनकड़, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, नेशनल कनफेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन के के अशोक राव और ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा भाग लेंगे। एनसीसीओईईई बिजली कर्मचारियों, डिप्लोमा इंजीनियरों और इंजीनियरों के फेडरेशन की अपेक्स बॉडी है। उत्तर प्रदेश में एक तरफा ढंग से किए जा रहे बिजली के निजीकरण को लेकर देश भर में बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त है इसीलिए कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीटिंग लखनऊ में हो रही है जिसमें राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने एक बार पुनः प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे तत्काल हस्तक्षेप कर कर्मचारी विरोधी निजीकरण निरस्त करने की कृपा करें। संघर्ष समिति ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने देश में सबसे अधिक 30000 मेगावाट तक बिजली आपूर्ति करके एक रिकॉर्ड बनाया है और आगे भी और बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए बिजली कर्मी संकल्पबद्ध है, ऐसे में निजीकरण उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों पर न थोपा जाए।



Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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