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लोहिया में जल्द आएगी इमीशन ट्रामोग्राफी मशीन, कैंसर को ठीक करने में मिलेगी मदद
डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पेट स्कैन-पोजीशन इमीशन ट्रामोग्राफी (पेट सिटी स्कैन) मशीन की सुविधा जल्द मिलने की उम्मीद है। यूपी में मेरठ के बाद यह दूसरा जिला है जहां मशीन लगेगी। इससे तमाम प्रकार के कैंसर को पहली स्टेज में ठीक किया जा सकता है। एक ओर संस्थान नई हाइटेक पेट सिटी स्कैन मशीन को लगाने की बात कर रहा है। वहीं दूसरी ओर इन दिनों हॉस्पीटल के ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं है। एमआरआई मशीन में लगातार दिक्कतें चल रही हैं।
लखनऊः डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पेट स्कैन-पोजीशन इमीशन ट्रामोग्राफी (पेट सिटी स्कैन) मशीन की सुविधा जल्द मिलने की उम्मीद है। यूपी में मेरठ के बाद लखनऊ दूसरा जिला है जहां यह मशीन लगेगी। इससे तमाम प्रकार के कैंसर को पहली स्टेज में ठीक किया जा सकता है। एक ओर संस्थान नई हाइटेक पेट सिटी स्कैन मशीन को लगाने की बात कर रहा है। वहीं दूसरी ओर इन दिनों हॉस्पीटल के ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं हैं। एमआरआई मशीन में लगातार दिक्कतें जारी है।
बता दें कि बीते 2 जून को यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी के गनर मुकेश शर्मा की पिस्टल एमआरआई मशीन में फंस गई थी। सुरक्षा को ताक पर रखकर मंत्री का गनर जबरदस्ती एमआरआई कमरे में घुस गया था। इसके बाद से मशीन खराब चल रही थी। बीते सोमवार को यह मशीन ठीक हुई है, लेकिन इसके बाद भी एमआरआई मशीन में दिक्कतों का दौर जारी है।
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कैंसर के लिए रामबाण
संस्थान में पेट स्कैन-पोजीशन इमीशन ट्रामोग्राफी (पेट सिटी स्कैन) मशीन लगने से कैंसर कोशिकाओं की फौरन सटीक जानकारी मिलेगी। जांच रिपोर्ट से शरीर में छिपे सूक्ष्मतम कैंसर कोशिका पकड़ में आएंगे। इसका कारण पता चलने पर कैंसर को पहली स्टेज में ठीक किया जा सकेगा। इसके अलावा दिल और पेट की बीमारियों को भी ठीक किया जा सकेगा।
होगी सटीक जांच
कैंसर मरीजों की जांच अब तक एमआरआई एवं सीटी स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर होती है। लेकिन कोशिकाओं की वास्तविक स्थिति का सटीक पता नहीं लग पाता है। जबकि पेट स्कैन सूक्ष्म बीमार कोशिकाओं तक का पता लगा लेती है।
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6 महीने का इंतजार
संस्थान के निदेशक डॉ० दीपक मालवीय ने बताया कि पेट स्कैन-पोजीशन इमीशन ट्रामोग्राफी (पेट सिटी स्कैन) मशीन लगने में करीब 6 महीने का वक्त लगेगा। मशीन के लगने से मरीजों को काफी लाभ होगा।
ऐसे करानी होगी जांच
एक्सपर्ट ने बताया कि इसमें मरीज को एक विशेष ग्लूकोज के साथ रेडियो आइसोटोप का इंजेक्शन दिया जाता है। मरीज को 12 घंटे पहले से कुछ भी नहीं खाना होता है। केवल पानी पीकर यह जांच कराने पर रिपोर्ट 100 फीसदी सटीक आती है। जांच करवाने में करीब 12-15 हजार के खर्च आने की उम्मीद है।
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एमआरआई में मिल रही है 2 महीने बाद की तारीख
अगर आप संस्थान में शुक्रवार (23 जून) को एमआरआई की जांच के लिए जाते हैं तो 11 सिंतबर का समय मिल रहा है। जांच के लिए करीब 2 महीने से अधिक का समय लगेगा। ऐसे में मरीज के ईलाज में परेशानी आएगी।
मशीन की स्पीड हो गई है धीमे मशीन में पिस्टल फंसने से उसके बनने में करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आया है। लेकिन ठीक होने के बाद भी सही तरीके से काम नहीं कर रही है। मशीन की स्पीड धीमी हो गर्ह है और हिटिंग की समस्या भी चल रही है।
केवल 15-20 एमआरआई ही रोजाना हो पा रहे हैं।
इस तरह से आपने देखा कि एक ओर संस्थान हाइटेक होने की बात कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर उसकी खामियां साफ नजर आ रही हैं। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि मशीन लगने के बाद भी क्या मरीजों को ऐसी ही सुविधा मिलेगी ?