×

ताबड़तोड़ एनकाउंटर फिर भी अपराध बेकाबू

raghvendra
Published on: 28 Jun 2019 2:42 PM IST
ताबड़तोड़ एनकाउंटर फिर भी अपराध बेकाबू
X

सुशील कुमार

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश इलाके में इन दिनों एनकाउंटर का बोलबाला है। शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता है जब कहीं न कहीं पुलिस और बदमाशों के बीच दो-दो हाथ न हुए हों। एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार के अनुसार इस जोन में इस साल अब तक 365 मुठभेड़ हुई हैं जिसमें 212 बदमाश घायल हुए और पांच बदमाश मारे गए। एडीजी कहते हैं कि पुलिस पर गोली चलेगी तो जवाब मिलेगा ही। लेकिन क्या इतने एनकाउंटर के बाद भी मेरठ जोन में अपराध में कमी आई है? यह बड़ा सवाल है।

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक मेरठ मंडल के मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़ और बुलन्दशहर में वर्ष 2018 के अप्रैल-मई माह में शील भंग के 189 मामले दर्ज किए गए जो इस साल इन दोनों महीनों में 201 हो गए हैं। 2018 में बलात्कार के 89 मामले सामने आए। इस साल बलात्कार के मामलों की संख्या 74 है। जिस हिसाब से हर रोज बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं उससे साल के आखिर तक ये आंकड़ा बढऩे की आशंका है। गत वर्ष अप्रैल-मई में डकैती की छह घटनाएं हुई थीं। इस साल भी दोनों महीनों में डकैती की छह घटनाएं हुई हैं।

2018 में मंडल के पांचों जिलों में इन दो माह के दौरान लूट के 81 मामले दर्ज हुए। इस साल इनकी संख्या बढक़र 102 पहुंच गई। इसी तरह 2018 में वाहन चोरी की 1382 घटनाएं हुई थीं। इस साल इसी अवधि में वाहन चोरी की 1807 घटनाएं हुई हैं। सबसे ज्यादा वाहन मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर से चोरी किए जा रहे हैं। हत्या की घटनाओं की बात करें तो यहां एक अप्रैल से 31 मई 2019 तक 25 लोगों की हत्या हो चुकी हैं।

कमियों को छिपाने की कोशिश

दूसरी तरफ एनकाउंटर को लेकर विपक्ष भी सत्तारुढ़ बीजेपी पर हावी है। राष्ट्रीय लोकदल का कहना है कि योगी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है और अपनी कमियों को छिपाने के लिए एनकाउंटर का सहारा ले रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री डॉक्टर मैराजुद्दीन कहते हैं कि प्रदेश में सत्तारूढ़ नेता संविधान को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं और राज्य के 22 करोड़ लोग सरकार के निशाने पर हैं।

वहीं सपा के व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश संयोजक गोपाल अग्रवाल उत्तर प्रदेश पुलिस की बदमाशों के साथ होने वाली मुठभेड़ों पर यह कहते हुए तंज कसते हैं कि किसान आत्महत्या कर रहा है, नौजवानों के पास नौकरी नहीं है, न्याय मांगने राजधानी लखनऊ आ रहे लोगों पर लाठीचार्ज हो रहा है वहीं पुलिस छुटभैये अपराधियों को गोली का निशाना बनाकर जरुरी मुद्दों से लोंगो का ध्यान हटाने का प्रयास कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

बहरहाल यूपी पुलिस का ऑपरेशन ठोक दो इतना चर्चा में है कि अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने भी इस पर सवाल उठा दिए है। इतना ही नहीं अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इस ठांय-ठांय पर अपनी नजरें टेढ़ी करते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर योगी सरकार से जवाब मांग लिया है।

उत्तर प्रदेश की बात करें तो पिछले साल दिसंबर तक योगीराज में 13 सौ से ज़्यादा एनकाउंटर हुए, 59 अपराधियों की मौत हुई, 327 अपराधी घायल हुए और 124 अपराधी या तो अरेस्ट हुए या उन्होंने सरेंडर कर दिया। एनएचआरसी के गत चार जून के ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने वाले 14 मामले दर्ज किये जा चुके हैं यानी कुल मिला कर 787 मामले दर्जकिये जा चुके हैं। शायद इसीलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि जिन अपराधियों को मारा गया क्या उन्हें जिंदा नहीं पकड़ा जा सकता था।

पुलिस पर लग रहे आरोप

मेरठ जोन में हो रहे ताबड़तोड़ एनकाउंटरों को लेकर जहां पुलिस अफसर खूब वाहवाही लूट रहे हैं वहीं पुलिस अधिकारियों पर यह आरोप भी लगाए जा हैं कि है कि पुलिस फर्जी एनकाउंटर कर रही हैं। ताजा मामला मेरठ जिले का है। परतापुर पुलिस ने रविवार रात शताब्दी नगर में मुठभेड़ के बाद 25 हजार के इनामी बदमाश को दबोच लिया। बदमाश का साथी मौके से फरार हो गया। मुठभेड़ की खास बात यह रही कि पुलिस की गोली पैर में लगने के बाद भी बदमाश ने फोटो खिंचने तक हाथ से तमंचा नहीं छोड़ा।

मुठभेड़ की बाबत इंस्पेक्टर परतापुर सुभाष अत्री का कहना था कि रिठानी चौकी पर चेकिंग के दौरान काले रंग की स्कूटी पर सवार दो लोगों को रोकने का प्रयास किया गया तो वह स्कूटी लेकर भाग निकले। पीछा करने पर बदमाशों को शताब्दीनगर के लाल क्वाटर्र इलाके में घेर लिया गया। इस दौरान दोनों बदमाशों ने फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में एक गोली एक बदमाश के पैर में जा लगी और वह घायल हो गया। जबकि दूसरा बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकला। मौके से बदमाशों की स्कूटी और 315 बोर का एक तमंचा बरामद किया गया। मुठभेड़ के बाद दो फोटो सामने आए। इनमें एक फोटो में बदमाश के दाहिने पैर में घुटने के नीचे गोली लगती है और वह जमीन पर गिरा मिलता है, लेकिन ताज्जुब है कि गिरने के बावजूद उसके हाथ में तमंचा मौजूद है जैसे मुठभेड़ लाइव चल रही हो। दूसरी फोटो में बदमाश गायब है और तमंचा जमीन पर गिरा है। इसी तरह गुरुवार रात भी पुलिस ने मुठभेड़ में नईम उर्फ बावला निवासी कांच का पुलए लिसाड़ीगेट को पकड़ा था तो उसका फोटो भी हाथ में तमंचा लिए खींचा था।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

इसी तरह इस साल के शुरू में किठौर थाना पुलिस ने 11 जनवरी की दोपहर लूट के मामलों में वांछित 15 हजार के इनामी बदमाश आफताब को पुलिस एनकाउंटर में घायल कर दिया। इलाके का गैंगस्टर आफताब अपने एक साथी के साथ बाइक पर सवार होकर लूट की वारदात को अंजाम देने निकला था। मुठभेड़ में घायल आफताब और पुलिस के बीच बातचीत का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में बदमाश की जेब से जिंदा कारतूस निकालते हुए पुलिस वाले दिख रहे हैं। पास में तमंचा पड़ा है। इसी दौरान थाना प्रभारी प्रेमचंद शर्मा बदमाश से पूछताछ करते हैं। पूछताछ के दौरान ही वह तस्दीक करते हैं कि पूरी घटना का वीडियो बन गया या नहीं और अंत में बदमाश दरोगा जी से पूछता है कि कैमरे पर साहब और कुछ कहना है क्या? दिलचस्प बात यह है कि तमंचा और जिंदा कारतूस बदमाश के पास होने के बावजूद किसी पुलिसकर्मी ने बॉडी प्रोटेक्टर नहीं पहन रखा है।

इस वीडियो के साथ ही दो फोटो भी वायरल हुए हैं जिनमें से एक में घायल बदमाश अपनी मोटरसाइकिल के पास पड़ा है और उसके सीधे हाथ के पास तमंचा खुला हुआ रखा है। वीडियो में पुलिसकर्मी बदमाश के घायल पैर में सूखा कपड़ा बांधने की बात कह रहा है। दूसरे फोटो में बदमाश के घायल पैर में सफेद कपड़ा बंधा हुआ है और वह उस पोजिशन में तमंचा हाथ में लिए हुए है। सोशल मीडिया पर फोटो के साथ लिखे कमेंट में यह कहा जा रहा है पुलिस ने एनकाउंटर से पहले बदमाश को सब बताया हुआ था कि उसे फोटोसेशन के दौरान कैसे बातचीत और व्यवहार करना है।

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story