एनकाउंटर: खिलाड़ी है योगी की गोरखपुर पुलिस, सभी घटनाएं एक सरीखी

raghvendra
Published on: 30 Nov 2018 8:22 AM GMT
एनकाउंटर: खिलाड़ी है योगी की गोरखपुर पुलिस, सभी घटनाएं एक सरीखी
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गोरखपुर: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह गोरखपुर की पुलिस भी अपराधियों को ठोंक रही है, लेकिन उसका अचूक निशाना घुटने से उपर नहीं लग रहा है। आधा दर्जन मुठभेड़ों में अपराधी और पुलिस दोनों को गोली लग रही है लेकिन सभी घटनाएं फोटोकॉपी सरीखी जैसी ही दिखती हैं। अपराधियों को जहां घुटने के नीचे गोली लग रही है तो पुलिस की बांह में। स्थानीय मीडिया से सोशल मीडिया तक में गोरखपुर पुलिस के बारे में ‘घुटनेबाज पुलिस’, ‘घुटने में पुलिस’ जैसे कमेंट भी आ रहे हैं, लेकिन जानकार मान रहे हैं कि योगी के घर की पुलिस अनाड़ी नहीं, खिलाड़ी है। हर एनकाउंटर पर होने वाले मजिस्ट्रेट की जांच को लेकर वह कोई बेपरवाही नहीं करना चाहती है। सरकार बदलने के बाद एनकाउंटर को लेकर सियासी मिजाज बदले तो भी पुलिस अपनी गर्दन बचाने में कामयाब हो सकेगी।

गोरखपुर पुलिस और अपराधियों से मुठभेड़ का ताजा मामला 24 नवम्बर का है। पुलिस का दावा है कि उसने शातिर अपराधी मिथुन और धीरू को मुठभेड़ में धर दबोचा। ये दोनों रिश्ते में मामा-भांजे हैं और पुलिस इन पर ने एक-एक लाख रुपए का इनाम रखा हुआ था। एसएसपी शलभ माथुर के अनुसार,क्राइम ब्रांच ने गुलरिहा पुलिस के साथ घेराबंदी कर दोनों बदमाशों को दबोचने की कोशिश की। दोनों बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी जिससे सिपाही शशिकांत राय और मोहसिन खां घायल हो गए। शशिकांत के बाएं हाथ और मोहसिन के पैर को छूते हुए गोली निकल गई। इसके बाद टीम ने जवाबी फायरिंग की जिससे मिथुन के पैर और धीरू के हाथ में गोली लगी और वह बाइक से नीचे गिर गया।

पुलिस टीम ने दोनों को दबोच लिया।चौरीचौरा के सरदार रौवतनिया गांव निवासी मिथुन और खोराबार के डिभीया गांव निवासी उसके मामा धीरू को पुलिस पिछले डेड़ महीने से तलाश रही थी। पुलिस टीम पर हमला कर दोनों फरार चल रहे थे। दोनों ने दारोगा की सर्विस रिवाल्वर भी लूट ली थी। दिलचस्प यह भी है कि पुलिस ने इन अपराधियों को जिस बाइक से घूमते हुए दिखाया है, वह एक ट्रैक्टर का नंबर है। यानी मामा-भांजे डेढ़ महीने तक ट्रैक्टर पर सवार होकर पुलिस से बचने को इधर-उधर भाग रहे थे।

पैर पर गोली मारने का है बचावशास्त्र

जोश में होश खोकर जांच की जद में फंसे पुलिसवालों की लंबी फेहरिस्त के चलते ही गोरखपुर पुलिस का निशाना घुटने से ऊपर नहीं लग रहा है। एनकाउंटर के मामलों में गोरखपुर क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक पुलिस वाले जांच की जद में हैं। सिद्धार्थनगर में डेढ़ दशक पहले हुए एनकाउंटर में कई पुलिस वालों को सजा भी हुई है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि अपराधियों से मुठभेड़ का अपना नियम और मानक है। मुठभेड़ के समय हवा में गोली के बाद जमीन पर गोली मारी जानी चाहिए।

इसके बाद भी अपराधी सरेंडर नहीं करे तो पैर में गोली मारी जा सकती है। लेकिन प्रमोशन और झूठी वाहवाही में पुलिस जोश में होश खो देती है। महत्वपूर्ण पद से रिटायर पुलिस के एक अफसर का कहना है कि जिस प्रकार की राजनीति है, उसमें सरकार बदलने के बाद एनकाउंटरों की जांच शुरू हो जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी। यही वजह है कि गोरखपुर की पुलिस की गोली घुटने के नीचे लग रही है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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