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रेड बुल : एनर्जी ड्रिंक नहीं, ये तो है बीमारियों का डोज़..... मिला ड्रग

Rishi
Published on: 2 April 2017 4:24 PM IST
रेड बुल : एनर्जी ड्रिंक नहीं, ये तो है बीमारियों का डोज़..... मिला ड्रग
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एनर्जी ड्रिंक रेड बुल अब नहीं बिक सकेगा। कानपुर , फैज़ाबाद, मेरठ सहित दर्जन भर से ज्यादा शहरो में इस पेय के सभी नमूने फेल हो गए हैं। इन सभी नमूनों में कैफीन और ज़िंक की मात्रा मानक से बहुत अधिक पायी गयी है। प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नयी दिल्ली को एक रिपोर्ट भेजा है जिसमे रेड बुल को पूरे भारत में प्रतिबंधित करने की सिफारिश की गयी है।

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रिपोर्ट में यह खुलासा भी किया गया है कि आस्ट्रीया मेड रेड बुल इंडिया एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन की मात्रा 145 पीपीएम पायी गयी है जो तय मानक से 46 पीपीएम ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के शहरो में सप्लाई की जा रही यह ड्रिंक सेहत के लिए घातक है। इसके प्रयोग से ब्लूडप्रेशर, दिल की बीमारी और यादाश्त चले जाने का गंभीर खतरा है। कूल कार्नर , मॉडल शॉप और सभी रेस्टुरेंट्स में आम तौर पर नॉनअल्कोहलिक लोगो के लिए बेचे जा रहे एनर्जी ड्रिंक्स जिस तरह गंभीर बीमारियों को दावत दे रहे हैं ,यह चिंता का विषय है। इनका सेवन प्रत्यक्ष तौर पर अल्कोहल से भी घातक रूप में युवाओ को रोगी बना रहा है और उन्हें नशाखोरी की तरफ भी धकेल रहा है।

कई जगह पहले ही प्रतिबन्ध

एनर्जी ड्रिंक के नाम से जाने वाला यह रेडबुल एक पेय पदार्थ है, जिसे आज के युवा लोग बड़े शौक से पीते हैं क्यूंकि इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। यह पदार्थ फ्रांस और डेनमार्क में बैन है क्यूंकि इस ड्रिंक के सेवन से दिल पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है और हार्ट अटैक, डिप्रेशन, हाइपर टेंशन की तरफ आगे बढ़ने पर मजबूर कर देता है। भारत में पंजाब के लुधियाना शहर में 18 साल से कम उम्र के लोगों के पीने पर प्रतिबंध हैं।

क्या होता है कैफीन

खाद्य विभाग के अधिकारी सैय्यद शाहनवाज हैदर आबिदी के मुताबिक, रेड बुल एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद इसमें मौजूद कैफीन जब शरीर के अंदर खून के संपर्क में आता है तब ब्लडप्रेशर और हार्ट बीट बढ़ जाता है। कैफीन एक तरह का ड्रग है। एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद करीब पंद्रह मिनट के अंदर शरीर में उत्तेजना बढ़ जाती है। किडनी तेजी से शुगर को एब्जोर्ब करने लगता है। करीब एक घंटे बाद जब कैफीन और शुगर की मात्रा कम होती है तब उपभोक्ताओं को थकान महसूस होने लगाती है। खून में कैफीन का असर पूरी तरह खत्म होने में 4-5 घंटे लगते है।

किसी भी खाद्य प्रदार्थ में मिलावट करने पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसमें 3 साल की सजा और 5 लाख रुपये दंड के प्रावधान है। सैयद शाहनवाज हैदर आबिदी के मुताबिक, रेड बुल एनर्जी ड्रिंक पर साल 2016 में शक होने पर सैम्पल भरा गया था। जांच में कैफीन की मात्रा दुगनी मिली थी। इसके बाद कंपनी के आग्रह पर इसके नमूने को गाजियाबाद में भी टेस्ट कराया गया, जहां जांच में कैफीन की मात्रा दुगनी मिली। दोनों बार जांच में रेड बुल एनर्जी ड्रिंक अनसेफ पाई गई।

इसी कारण कानपुर में इसकी बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया। कोई भी दुकानदार इसे बेचता हुआ पकड़ा गया तो उसपर सख्त कार्रवाई होगी। केवल कानपुर में अभीतक रेड बुल एनर्जी ड्रिंक के करीब दो हजार से ज्यादा बोतल सील किए जा चुके हैं। मार्केट में इसकी कीमत 1.5 लाख रुपये से ज्यादा है। खाद्य विभाग शहर के कई थोक विक्रेताओं के यहाँ इसको लेकर छापेमारी कर चुका है।

पहले से प्रतिबंधित हैं 3 ब्राण्ड

जिंगा , क्लाउड 9 और मोनेस्टर नाम से बिकने वाले तीन तरह के एनर्जी ड्रिंक्स को भारत सहित कई देशो में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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