Power Crisis: यूपी के ऊर्जा मंत्री के सामने 5 बड़ी चुनौती, बिजली कंपनियां अड़ी दाम बढ़ाने पर, गांवों में 10 घंटे कटौती

Power Crisis: यूपी के ऊर्जा मंत्री के सामने अब पांच बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका निस्तारण करना उनके लिए बड़ी टेढ़ी खीर साबित होगा।

Shashwat Mishra
Published on: 14 Jun 2022 10:38 AM GMT (Updated on: 14 Jun 2022 11:20 AM GMT)
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बिजली कटौती (फोटो-सोशल मीडिया)

Power Crisis: सूबे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नरेतत्व में दूसरी बार बीजेपी ने सरकार बनाई। 25 मार्च, 2022 को सभी मंत्रियों ने शपथ भी ली। नये मंत्रिमंडल में ऊर्जा विभाग का प्रभार मिला; पूर्व नौकरशाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अरविंद शर्मा को। जहां समस्याएं कदम-कदम पर हैं। जिसका निपटारा करते-करते पूरे पांच साल भी कम पड़ सकते हैं। ऊर्जा मंत्री के सामने अब पांच बड़ी चुनौतियां हैं, जिनका निस्तारण करना उनके लिए बड़ी टेढ़ी खीर साबित होगा।

पांच बड़ी चुनौती:-

1. 97000 करोड़ रुपये का है घाटा

पावर कारपोरेशन पर पहले से ही काफी बोझ है। दूसरा, इस गर्मी ने बढ़ा रखा है। जहां एक साल पहले तक कॉर्पोरेशन का घाटा 85,000 करोड़ रुपए का था। वहीं, अब यह बढ़कर 97,000 करोड़ रुपये का हो गया है।

2. 8.43 रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव

बिजली कंपनियों का कहना है कि तय शिड्यूल के अनुसार यदि सप्लाई देनी है, तो बिजली दरें बढ़ानी होंगी। कंपनियों ने 8.43 रुपये प्रति यूनिट विद्युत आपूर्ति का प्रस्ताव रखा है। इसके पीछे कंपनियों ने तर्क दिया है कि 2022-23 हेतु 84526 करोड़ रुपये की ज़रूरत है। जिससे आमदनी और खर्च में 6762 करोड़ रुपयों का अंतर है। वहीं, सरकार द्वारा घोषित राजस्व सब्सिडी 14,500 करोड़ रुपए है। इसलिए, बिजली महंगी करना ही एकमात्र विकल्प है।

3. गर्मी के चलते बढ़ रही कटौती

जनता से बातचीत के अनुसार, मौजूदा समय में बिजली कटौती चरम पर है। एक ओर सूरज की तपिश से लोग परेशान हैं, तो दूसरी तरफ बिजली की कटौती ने लोगों को रुला दिया है। आलम यह है कि शिड्यूल के मुताबिक कहीं भी बिजली नहीं पहुंच पा रही है। गांवों में नौ-दस घण्टे, तहसील स्तर पर सात-आठ घण्टे, जिला स्तर पर चार-पांच घण्टे और बड़े शहरों में भी बिजली कटौती से जनता त्रस्त है।

4. विदेशी कोयला खरीदने के लिए नहीं निकला टेंडर

केंद्र सरकार ने विदेशी कोयला खरीदने के लिए, 6 जून तक टेंडर निकालने का समय दिया था। लेकिन, अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो टेंडर निकाला है और न ही कोयले की ख़पत पूरा करने का कोई दूसरा तरीका खोज़ा है।

5. ज़रूरत के मुताबिक नहीं मिल रहा कोयला

उत्तर प्रदेश को मांग के अनुपात में 20-25 प्रतिशत कम कोयला मिल रहा है। इस वक़्त यूपी को 15-17 रैक कोयले की जरूरत है, लेकिन अभी अधिकतम 13 रैक कोयला ही मिल पाया है। वहीं, अभी बिजली की डिमांड लगभग 25 हजार मेगावाट है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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