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मुख्तार-अतीक के बाद अब गायत्री पर कसेगा कानून का शिकंजा
माफिया मुख्तार अंसारी अतीक अहमद के साथ ही पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ कानून का डंडा लगातार चल रहा है।
लखनऊ: माफिया मुख्तार अंसारी अतीक अहमद के साथ ही पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ कानून का डंडा लगातार चल रहा है। पहले अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की अवैध सम्पत्तियों के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसने के बाद अब गायत्री प्रजापति के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।
ईडी को गायत्री के परिवार की संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों, बेनामी संपत्तियों और संदिग्ध लेन-देन के बारे में जानकारी मिली है। अब ईडी अपनी जांच बेनामी संपत्तियों पर केंद्रित करने जा रहा है। जांच में पता चला है कि गायत्री ने अपने करीबियों सहायकों के नाम से संपत्तियां खरीदी हैं। पांच शहरों लखनऊ, कानपुर, अमेठी व सुलतानपुर के अलावा मुंबई (महाराष्ट्र) में खरीदी गई संपत्तियों के बारे में भी तस्वीर साफ हो गई है।
बेटे व डमी डायरेक्टर के नाम अकूत संपति खरीदी
प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपति के मामले में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। गायत्री पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे व डमी डायरेक्टर के नाम पर अकूत संपति खरीदी। 2013 से 2017 के बीच गायत्री की कुल आय 72.38 लाख रुपये दिखाई गई जिसमें 25.40 लाख रुपये उनका वेतन शामिल था। 2013 से 2017 के बीच उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में 6.60 करोड़ रुपये थे। उनके बेटे और बहुओं ने भी अच्छी खासी अघोषित आय इस दौरान अर्जित की।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने 2012 और 2017 के विधान सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था वह झूठा था। चार्जशीट में कहा गया है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने यूपी सरकार में मंत्री बनने के बाद उनकी खुद की और उनके परिवार के सदस्यों और उनकी कंपनियों के बैंक खातों में भी पर्याप्त नकदी जमा हो गई थी।
ईडी की जांच में पता चला है कि गायत्री प्रजापति के परिवार के सदस्यों की आय में वितीय वर्ष 2013-14 से अचानक और तेज बढ़ोतरी देखी गई जो 2016 तक बढ़ती रही। गायत्री प्रजापति ने 2013 से 2016 के दौरान यूपी के खनन मंत्री के रूप में कार्य किया। जांच में यह भी पता चला कि गायत्री प्रजापति ने अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के नाम पर कई बेनामी संपतियां खरीदी गई।