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Lucknow: ग्रीन हर्बल इलाज अपनाकर संक्रामक रोगों की करें छुट्टी, जीभ से एक्सरसाइज कर दूर करें मानसिक तनाव
Lucknow: उत्तर प्रदेश पुलिस के योजना निदेशक डॉ. केएन सिंह ने बताया कि समस्त संक्रामक रोगों को पेड़-पत्तियों व घरेलू नुस्खों से सही किया जा सकता है।
Lucknow: राजधानी में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) के योजना निदेशक डॉ. केएन सिंह (Planning Director Dr. KN Singh) ने पर्यावरण दिवस (environment Day) पर आयोजित कार्यक्रम में बताया कि समस्त संक्रामक रोगों को पेड़-पत्तियों व घरेलू नुस्खों से सही किया जा सकता है।
उन्होंने बताया, "समस्त संक्रामक रोगों; कोविड-19, सभी तरह के फंगस, डेंगू बुखार, जीका वायरस, समस्त बुखार और अन्य शारीरिक रोगों के लिए ग्रीन हर्बल इलाज करना चाहिए। इसके लिए, 4-5 हरे पूर्ण विकसित हरे पीपल पत्ते, एक मुट्ठी हरे लटजीरा के पत्ते, एक लौंग, एक छोटी पीपल (पिपरी), तीन चार काली मिर्च, एक चम्मच त्रिफला चूर्ण एवं काला नमक, सेंधा नमक या सादा नमक नमकीन करने तक मिलाकर सुबह शाम चबाकर या पीसकर खाया जाये। या इसकी दो गुनी मात्रा पीसकर, पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर, महीन पीसकर उबालकर काढ़ा बनाया जाये। जिसे एक या दो ढक्कन या चाय चम्मच भर एक-एक घण्टे के अन्तर में लिया जाये व पानी देर में पिया जाये, तो समस्त संक्रामक रोग जड़ से ठीक होंगे। डॉ केएन का कहना है कि इसका निरन्तर सेवन करने से भविष्य में कोई रोग नहीं होंगे।
रोजाना हर व्यक्ति को 1100 लीटर शुद्ध वायु लेनी चाहिए
इसमें सफेद मदार (अकौड़ा) को भी पीस कर मिलाया जा सकता है, जो कि जहर नहीं है। गूगल में सर्च किया जा सकता है। इस काढ़े को घरों में या मेस में बनवाकर रोगों से रक्षा हेतु, अनिवार्य रूप से सब को बोतलों में भरकर दिया जाये। जिससे कि इस प्रकार के रोग जड़ से समाप्त हो सकें। प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 1100 लीटर शुद्ध वायु का सेवन करना चाहिए। कम वायु सेवन से फेफड़े सुकड़ जाते हैं, जिससे स्वास रूकने से मृत्यु होती है। ये मात्रा एक व्यक्ति के लिए है। इसी अनुपात में कई लोगों के लिए, एक साथ काढ़ा बनाया जा सकता है।
मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए अपनाएं ये तरीका
डॉ. केएन सिंह (Planning Director Dr. KN Singh) ने बताया कि मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए, मुख के अन्दर जीभ को 145 डिग्री गले की ओर मोड़कर तालू में टच करें एवं मुख को साधारण अवस्था में बिना दबाब के बन्दकर दोनों भौं के बीच त्रिकुटी में ध्यान एकाग्र करने से समस्त प्रकार के तनावों से मुक्ति मिलती है। जिसे कार्य करते समय, बिना आँखे बन्द किये मात्र जीभ को पलटकर भी किया जा सकता है। जिससे कार्य कुशलता सर्वोतम होगी। नींद न आने पर, इसी प्रकार ध्यान एकाग्र कर त्रिकुटी में ध्यान लगाकर, आँखे बन्द कर योग निद्रा में शव आशन पर सोने से एक घण्टे में दस घण्टे से अधिक की नींद हो जाती है। शव आशन में आसमान की तरफ मुख करके शिथिल शरीर करके हाथ-पैर सीधे करके लेटा जाता है।