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Etah News: एटा कलेक्ट्रेट में बड़ी लापरवाही: अपर जिलाधिकारी की नेम प्लेट पर 'सत्य प्रकाश' का उर्दू अनुवाद बना 'तमाम रोशनी'

Etah News: सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि यह नेम प्लेट काफी समय से लगी हुई थी, लेकिन किसी भी अधिकारी, कर्मचारी, या आगंतुक ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अकरम की सतर्कता से यह गलती उजागर हुई।

Sunil Mishra
Published on: 23 Jan 2025 9:37 PM IST
Wrong Name Written in Urdu On Name Plate of Additional DM Satya Prakash
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Wrong Name Written in Urdu On Name Plate of Additional DM Satya Prakash ( Pic - Social Media )

Etah News: एटा कलेक्ट्रेट में एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। अपर जिलाधिकारी (एडीएम) सत्य प्रकाश के कार्यालय के बाहर लगी नेम प्लेट में उनके नाम को हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा गया है। लेकिन उर्दू अनुवाद में "सत्य प्रकाश" को गलत तरीके से "तमाम रोशनी" लिखा गया। यह गलती न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी अपने कार्यों में कितने लापरवाह हो सकते हैं।यह मामला तब सामने आया जब अकरम नामक एक युवक की नजर इस नेम प्लेट पर पड़ी। उसने देखा कि "सत्य प्रकाश" का उर्दू अनुवाद पूरी तरह गलत है और अनुवाद में "तमाम रोशनी" लिखा गया है।

उसने तुरंत जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह को इसकी जानकारी दी। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी नेम प्लेटों की जांच के निर्देश दिए। उन्होंने तत्काल गलत नेम प्लेटों को हटाने और उन्हें सही करने के आदेश दिए।जांच में पता चला कि यह गलती गूगल ट्रांसलेशन का इस्तेमाल करने के कारण हुई। पेंटर या संबंधित कर्मचारी ने उर्दू भाषा का सही ज्ञान न होने के कारण गूगल से नाम का अनुवाद किया, जिससे यह हास्यास्पद त्रुटि हुई। प्रशासन की इस लापरवाही ने कलेक्ट्रेट में तैनात उर्दू अनुवादक की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। कलेक्ट्रेट में उर्दू अनुवादक की नियुक्ति होती है, लेकिन इसके बावजूद इस तरह की चूक होना बेहद चिंताजनक है।

सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि यह नेम प्लेट काफी समय से लगी हुई थी, लेकिन किसी भी अधिकारी, कर्मचारी, या आगंतुक ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अकरम की सतर्कता से यह गलती उजागर हुई। जिलाधिकारी ने पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में लगी नेम प्लेटों की जांच करवाने और अनुवाद संबंधी गलतियों को सुधारने के निर्देश दिए हैं।

यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सतर्कता और ध्यान देने की आवश्यकता है, खासकर जब यह एक सार्वजनिक कार्यालय और भाषा से संबंधित हो। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन भविष्य में ऐसी गलतियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाएगा। प्रशासन की लापरवाही का यह विषय पूरे जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है ।



Shalini singh

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