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Eta News: नवदुर्गा में भी आर्थिक संकट से जूझ रहे शिक्षामित्र, दो माह से मानदेय नहीं मिला

Eta News: मानदेय न मिलने से शिक्षामित्र कर्ज लेकर परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजबूर बने हुए हैं। परिणामस्वरूप डीजी का मानदेय भुगतान का आदेश हवा में उड़ा दिया गया है।

Sunil Mishra
Published on: 5 Oct 2024 10:42 PM IST
Navdurga is also facing financial crisis Shikshamitras are struggling, they have not received their honorarium for two months
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नवदुर्गा में भी आर्थिक संकट से जूझ रहे शिक्षामित्र, दो माह से मानदेय नहीं मिला: Photo- Social Media

Eta News: एटा जनपद में शिक्षामित्र मानदेय न मिलने से काफी परेशान है प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जहाँ शिक्षामित्रों से दूरियां कम करने को लेकर प्रयासरत हैं। वही विभागीय अधिकारियों के उत्पीड़नात्मक रवैये के चलते प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को बीते अगस्त माह से मानदेय के लिए जूझना पड़ रहा है। गत दो माह से मानदेय नही मिलने से शिक्षामित्रों को पितृ पक्ष के बाद अब नवदुर्गा के त्यौहार पर भी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। मानदेय न मिलने से शिक्षामित्र कर्ज लेकर परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजबूर बने हुए हैं। परिणामस्वरूप डीजी का मानदेय भुगतान का आदेश हवा में उड़ा दिया गया है।

बेसिक शिक्षा योजना अंतर्गत चयनित तहसील क्षेत्र के रामप्रताप सिंह, राघवेन्द्र पाल सिंह,जयपाल सिंह राजपूत,पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा, गजेन्द्र सिंह कुशवाह,श्रीकृष्ण आदि शिक्षामित्रों ने बताया कि गत अगस्त और सितम्बर माह का मानदेय अभी तक नसीब नहीं हुआ है। दो महीने से मानदेय नही मिलने से शिक्षामित्रों को भयंकर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। मानदेय नही मिलने से शिक्षामित्रों को जहाँ पितृ पक्ष में पितृ पूजा के लिए कर्ज लेना पड़ा था। वही अब नवदुर्गा के त्यौहार पर भी मानदेय नही आने से आर्थिक समस्या गहराती जारही है। शिक्षामित्र कर्ज ले ले कर परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

शिक्षामित्रों ने बताई अपनी समस्या

वहीं शिक्षामित्रों ने बताया कि हमारा कटा हुआ मानदेय कभी नही मिलता है । उत्तरप्रदेश आदर्श शिक्षामित्र एसोसिएशन के वरिष्ठ जिलाउपाध्यक्ष रामबहादुर वर्मा एवं महामंत्री राष्ट्रदीप पचौरी सहित अन्य शिक्षामित्रों ने बताया कि शिक्षामित्र स्कूल में पढ़ाने के सिवाय कोई दूसरा कार्य भी नही कर सकते हैं। उन्हें सिर्फ दस हजार रुपये की पगार मे ही पालन पोषण करना पड़ रहा है। यदि शिक्षामित्र अन्य मजदूरी कर विद्यालय आने में 15-20 मिनट की देरी भी हो जाय तो विभागीय अधिकारी एक दिन का मानदेय काट देते हैं। जो स्पष्टीकरण देने के बाद भी नही मिलता है। ऐसे शिक्षामित्र मजदूरों से भी अधिक बदतर दुर्दशा पूर्ण जीवन जीने को मजबूर बने हुए है।

उन्होंने बताया कि नियमानुसार महीने की आठ तारीख को खाते में मानदेय भेजने का है आदेश है प्रदेश के स्कूली शिक्षा के महानिदेशक द्वारा पूर्व में प्रत्येक माह की 2 तारीख तक विकासखंड कार्यालय से वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय को उपस्थित भेजे जाने तथा माह की 8 तारीख तक मानदेय शिक्षामित्रों के खाते में भेजने का शासनादेश जारी किया जा चुका है। परंतु अधिकारियों के सौतेले रवैये की वजह से शिक्षामित्रों को एक माह बाद तीसरे माह में भी मानदेय नही मिल पा रहा है। परिणाम स्वरूप महानिदेशक स्कूली शिक्षा का आदेश पूरी तरह से हवाहवाई होकर रह गया है।

शिक्षामित्र ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से समय से मानदेय उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।



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Shashi kant gautam

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