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Etah News: तारीख पर तारीख: एक साल में बदले दर्जनभर एसडीएम, वादकारियों का न्याय के लिए संघर्ष जारी
Etah News: जलेसर तहसील का न्यायालय एक मजाक बन गया है। कभी कोर्ट बहिष्कार, तो कभी मजिस्ट्रेटों के तबादले, और कभी आकस्मिक घटनाओं के चलते न्यायालयों का संचालन बाधित हो रहा है।
Etah News: एटा जनपद की तहसील जलेसर इन दिनों वहां तैनात अधिकारियों की उदासीनता व जिले के आला अधिकारियों की ट्रांसफर नमस्ते नीति का शिकार हो गई है जो कि पीडितों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। वहीं अधिकारियों से न्याय पाने की उम्मीद में सालों से भटक रहे वादकारियों के लिए जलेसर तहसील का न्यायालय एक मजाक बन गया है। कभी कोर्ट बहिष्कार, तो कभी मजिस्ट्रेटों के तबादले, और कभी आकस्मिक घटनाओं के चलते न्यायालयों का संचालन बाधित हो रहा है। वादकारियों को केवल तारीख पर तारीख मिल रही है, लेकिन न्याय की आस अधूरी ही रह जाती है।
आपको बताते चलें कि पिछले एक साल में जलेसर तहसील में एसडीएम प्रशासन और एसडीएम न्यायिक के पदों पर दर्जनभर से अधिक अधिकारी बदले जा चुके हैं। वर्तमान में एसडीएम भावना विमल 8 जनवरी 2025 से कार्यरत हैं, लेकिन उनके पहले, चार महीने में ही पांच मजिस्ट्रेट बदल चुके हैं। प्रशासनिक अस्थिरता के कारण न्यायिक प्रक्रिया ठप पड़ गई है।
वादकारियों का संघर्ष और अधिकारियों के तबादले से अधूरी उम्मीदें
तीन साल पहले उपजिलाधिकारी न्यायालय में कुरा बंटवारे को लेकर दर्ज किया गया एक मामला अब तक अनसुलझा है। वादी 77 वर्षीय शकुंतला देवी के अनुसार, मामला एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित किया जाता रहा और पिछले एक साल से उन्हें केवल तारीखें ही दी जा रही हैं। इसी तरह, वादी आशुतोष शर्मा के पिता ने 2019 में कुरा बंटवारे का मामला दर्ज किया था। उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन पांच साल बाद भी मामला अनसुलझा है।
उच्चतम न्यायालय और मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद न्यायिक मामलों के निस्तारण में तेजी नहीं आ पा रही है। तहसील बार एसोसिएशन के महासचिव सुनील यादव ने बताया कि एसडीएम न्यायिक कोर्ट में लंबे समय से नियमित सुनवाई नहीं हो रही है। भावना विमल के खिलाफ वकीलों द्वारा कोर्ट का बहिष्कार किया गया, जिससे मामलों का निस्तारण रुक गया।
प्रशासनिक अराजकता का असर
एसडीएम जुडिशियल पद पर पिछले कुछ महीनों से कोई अधिकारी नियमित नहीं बैठ रहे हैं। एसडीएम वेदप्रिय आर्य के कार्यकाल में नियमित सुनवाई होती थी, लेकिन उनके बाद नियुक्त अधिकारियों के कार्यकाल में न्यायालयों का संचालन बाधित रहा। प्रशासन और बार एसोसिएशन के बीच संवाद की कमी ने समस्या को और बढ़ा दिया है।
वादकारियों की अपील
स्थानीय वादकारियों और अधिवक्ताओं ने प्रशासन से न्यायालयों के नियमित संचालन की अपील की है। उन्होंने कहा कि बार-बार तबादले और प्रशासनिक अस्थिरता के कारण पीडितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है, जिससे जनता को मानसिक और आर्थिक क्षति झेलनी पड़ रही है और लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं।
तहसील जलेसर में एक साल में बदल गये दर्जनभर एसडीएम।
अगर मजिस्ट्रेटों के तबादलों की करें तो बीते एक साल में एसडीएम प्रशासन एवं एसडीएम न्यायिक न्यायालयों में लगभग दर्जनभर एसडीएम के ट्रान्सफर हो चुके हैं। एसडीएम प्रशासन के रूप में नितिन तेवतिया 23-9-2023 से 15-02-2024 तक,जगमोहन गुप्ता 15-02-2024 से 12-06-2024 तक,राजकुमार मौर्य 12-06-2024 से 31-07-2024 तक,प्रतीत त्रिपाठी 31-07-2024 से 21-8-2024 तक,विपन कुमार 21-08-2024 से 08-01-2025 तक,अपने पद पर रह चुके हैं। वही वर्तमान में एसडीएम भावना विमल 08-01-2025 से कार्यरत हैं। कमोवेश यही हाल एसडीएम न्यायिक की कुर्सी का है। यहाँ भी एक साल में आधा दर्जन से अधिक तबादले हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट व सीएम के आदेश बने मखौल।
लगभग तीन माह से अधिक समय से एसडीएम जुडिशल की कोर्ट नही बैठी है। एसडीएम ज्यूडिशियल रहे वेदप्रिय आर्य के समय नियमित कोर्ट बैठी थी। कई सालों से केस लम्बित हैं। जिनका निस्तारण नही हो पा रहा है। उनके बाद भेजी गयी एसडीएम भावना विमल का तहसील वार एसोसिएशन द्वारा उनके कोर्ट का बहिष्कार कर दिये जाने से वादों की सुनवाई नही हो सकी थी। अभी लगभग एक पखवाड़ा पूर्व डीएम द्वारा इस पद की जिम्मेदारी डिप्टी कलेक्टर विमल कुमार को सौंपी गयी है। मगर वह भी अभी तक जलेसर कोर्ट में नही बैठे है।