Etawah News: जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने भेजे 3 करोड़, खा गए अधिकारी

Etawah News: जमुनापरी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये केंद्र सरकार ने 3 करोड़ का बजट दिया।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Ragini Sinha
Published on: 5 May 2022 7:31 AM GMT
Etawah News
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जमुनापारी बकरी 

Etawah News: जमुना पारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये केंद्र सरकार से भेजे गए लगभग तीन करोड़ रुपये के बजट को विभागीय अधिकारियों के द्वारा हजम कर लिया गया। इस विभागीय भ्र्ष्टाचार को लेकर इलाके के जमुनापारी बकरी पालक किसानों में अब बेहद गुस्सा देखने को मिल रहा है।जमुनापारी बकरी की नस्ल के संरक्षण के लिये आये केंद्र सरकार के धन को विभागीय अधिकारियों ने कहां खर्च कर दिया है?इस विषय मे कोई भी जानकारी विभाग के लोग नहीं दे पा रहे हैं।

किसानों को बजट का नहीं मिल सका लाभ

इटावा के बीहड़ी इलाकों में ज्यदातर किसान जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने में जी-जान से जुटे हैं। इस बकरी की नस्ल को बचाने के लिए केंद्र सरकार भी इन जमुनापारी बकरी पालक किसानों को अनुदान देने के लिये बजट को भेजती रहती है। चकरनगर तहसील के निवासी जमुनापारी बकरी पालक किसान नृपेन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि केंद्र सरकार जमुनापारी बकरे के पालन के लिये 30 हजार रुपये व बकरी पालन के लिए 3 हजार रुपये जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के अनुदान के रूप में देती है।


उनका आरोप है कि इस वित्तीय वर्ष में भी केंद्र सरकार ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी विभाग को लगभग तीन करोड़ रुपये का बजट भेजा गया था,उनका कहना है कि इस बजट में से अनुदान का एक भी रुपया जमुनापारी बकरी पालक किसानों को नही दिया गया है।नृपेन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के आये केंद्र सरकार के इस धन को विभागीय अधिकारियों ने कहां खर्च कर दिया है इसकी जानकारी अधिकारी नही दे पा रहे हैं।

बकरी पालक किसान बताते हैं कि इलाके में लगभग 50 ऐसे जमुनापारी बकरी पालक किसान हैं जिनके खातों में अब तक अनुदान का यह धन नहीं भेजा गया है।इलाके के जमुनापारी पालक किसान राकेश कुमार का कहना है कि इस धन से हम लोग जमुनापारी बकरी की नस्ल का संरक्षण करने में व्यय करते थे लेकिन इस बार इस मद में आये बजट को विभागीय अधिकारियों के द्बारा अपने मनमाने ढंग से खर्च करने के कारण केंद्र सरकार के इस बजट का कोई भी लाभ इलाके के जमुनापारी बकरी पालक किसानों को नहीं मिल पाया है।

जमुनापारी बकरी पालन: किसानों को पीएम मोदी भी कर चुके हैं सम्मानित

इटावा के यमुना नदी का बीहड़ी इलाके में जो बकरी पालक किसान जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने में लगे हुए हैं,उनके मनोबल को बढ़ाने के उद्देश्य से देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन जमुनापारी बकरी पालक किसानों के प्रयासों की सराहना की जा चुकी हैं।देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलाके के जमुनापारी बकरी पालक किसान नृपेन्द्र त्रिपाठी को 51 हजार रुपये का नगद पुरुष्कार देकर समानित कर चुके हैं।जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये पीएम मोदी भी काफी गम्भीर हैं।

जमुनापारी बकरी के संरक्षण का प्रमुख केंद्र है इटावा

जमुनापारी बकरी को पालने का प्रमुख स्थान है इटावा की यमुना नदी के बीहड़ी गांव।यमुना नदी के किनारे बसे ज्यादातर गांवों में बकरी पालक किसान जमुनापारी बकरी का पालन करते आ रहे हैं।जमुनापारी बकरी की नस्ल इटावा के जमुना नदी के किनारे बसे गांवों में ही देखने को मिलती है।इसके अतिरिक्त देश मे अन्य किसी भी स्थान पर जमुनापारी बकरी की नस्ल देखने को नहीं मिलती है।बीमारियों के चलते हर वर्ष बहुतायत की संख्या जमुनापारी बकरी मौत का शिकार हो जाती है इसलिए बकरी की यह नस्ल विलुप्त हो रही है।इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार भी जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये अपना संरक्षण दे रही है।

विभागीय अधिकारी कहते है बजट में कोई घपलेबाजी नहीं हुई

इटावा जिले पशु चिकित्साधिकारी डॉ0 ए के गुप्ता कहते हैं कि जमुनापारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये जो तीन करोड़ रुपया केंद्र सरकार से मिला था,उसमें किसी भी तरह की कोई घपलेबाजी नही की गई है।बजट का एक रुपया इलाके के जमुनापारी बकरी की नस्ल के काम मे लगे पशु पालकों को यह धन वितरित कर दिया गया है।विभाग जमुना पारी बकरी की नस्ल को बचाने के लिये बेहद गम्भीर है।

Ragini Sinha

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