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Etawah News: दवाईयों पर वसूले जाते हैं मनमाने रुपए, विरोध में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने DM को सौंपा ज्ञापन

Etawah News: दवाईयों पर एमआरपी पर रुपया वसूलने को लेकर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत सेवा समिति के लोगों ने इस मामले में जिलाधिकारी को एक ज्ञापन पत्र सौंपा

Ashraf Ansari
Published on: 30 May 2024 8:25 PM IST (Updated on: 31 May 2024 9:48 PM IST)
Arbitrary amounts are charged on medicines, in protest All India Consumer Panchayat submitted a memorandum to DM
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दवाईयों पर वसूले जाते हैं मनमाने रुपए, विरोध में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने डीएम को सौंपा ज्ञापन: Photo- Newstrack

Etawah News: यूपी के इटावा में अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत समिति के लोग दवाईयों के लिए मनमाना पैसे वसूलने के विरोध में एकजुट होकर जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे। जहां पर उन्होंने डीएम को ज्ञापन पत्र सौंपा। समिति ने कहा है कि दवाईयों के लिए मनमाना रुपये वसूलने रोक लगाई जाए।

दवाईयों पर वसूले जाते हैं मनमाने रुपए

इटावा में दवाईयों पर एमआरपी पर रुपया वसूलने को लेकर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत सेवा समिति के लोग काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी को एक ज्ञापन पत्र सौंपा और कहा है कि "अक्सर देखा जाता रहा है कि वस्तुओं की पैकिंग पर मुद्रित कीमत जिसे एमआरपी कहा जाता है वह उसकी लागत मूल्य अथवा टैक्स पैड कीमत से बहुत ज्यादा होती है, यह विशेष कर दवाईयों पर लागू होती है। क्योंकि उसमें उपभोक्ता को भाव तय करने का अवसर ही नहीं मिलता है। ऐसे में एमआरपी पर जो मूल्य लिखा होता है उसी के हिसाब से ग्राहक को रुपया देना होता है। लेकिन असल में उसकी लागत बहुत कम होती है। इसीलिए दुकानदारों को इसका एक बड़ा फायदा होता है।

दवाईयों पर निर्धारित हो असली मूल्य

एडवोकेट निशांत पोरवाल ने जानकारी देते हुए बताया है कि हम लोगों ने ज्ञापन पत्र सौंपकर अधिकारियों के माध्यम से मामला ऊपर तक पहुंचाने का काम किया है। अक्सर देखा गया है कि जो कंपनी दवाईयों को बनती है, उस पर टैक्स समेत अन्य कर लगा देती है। जिसपर एमआरपी निर्धारित कर दी जाती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा घोटाला होता है। उपभोक्ताओं से रुपए तो पूरे वसूल लिए जाते हैं लेकिन इसका बड़ा फायदा दुकानदारों को पहुंचता है।

दवाईयों के कीमत निर्धारण के लिए नया कानून बने

हम इस मामले में सरकार से एक कानून बनवाना चाहते हैं जिसमें उपभोक्ता को निर्माण के बाद विपणन के बीच होने वाली मूल्य वृद्धि की समझ हो औ विक्रेता के साथ कीमत को लेकर भाव तय करने में आसानी हो। मुझे उम्मीद है कि आने वाले वक्त में इस पर कानून जरूर बनेगा।

Shashi kant gautam

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