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Etawah News: एसडीएम ने वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ के आदेश को मानने से किया इनकार, नाराज लोगों ने डीएम से की शिकायत

Etawah News: सदर एसडीएम पर इकदिल वक्फ बोर्ड कमेटी के मोहम्मद यूनिस अंसारी की तरफ से आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ के आदेश को मानने से इनकार कर दिया।

Ashraf Ansari
Published on: 14 Nov 2024 5:48 PM IST (Updated on: 14 Nov 2024 5:49 PM IST)
SDM refused to obey the order of Waqf Tribunal Lucknow, angry people complained to DM
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एसडीएम ने वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ के आदेश को मानने से किया इनकार, नाराज लोगों ने डीएम से की शिकायत: Photo- Newstrack

Etawah News: उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा में सदर एसडीएम पर इकदिल वक्फ बोर्ड कमेटी के मोहम्मद यूनिस अंसारी की तरफ से आरोप लगाया गया है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। इस बात को लेकर नाराज मुस्लिम समुदाय के लोग जिलाधिकारी से मुलाकात करने पहुंचे जहां उन्होंने अपनी बात उनके समक्ष रखी।

ये हैं पूरा मामला

इटावा जिले के इकदिल कस्बे में बने एक मकबरे के रास्ते का मामला लगातार गरमाता हुआ दिखाई दे रहा है। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग लगातार उप जिलाधिकारी पर आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी किसी भी तरीके की कोई भी सुनवाई नहीं की जा रही है। बताते चले कि इकदिल कस्बे के मोहल्ला ठेर में सैकड़ो साल पुराना एक मकबरा बना हुआ है। यहां रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि जिस रास्ते से मकबरे की तरफ सैकड़ो सालों से लोग आते जाते रहे हैं। उस रास्ते पर उमेश चंद्र शुक्ला उर्फ पुल्ली के नाम के शख्स के द्वारा उस रास्ते को पूरी तरीके से बंद किया जा रहा है। यहां उमेश चंद्र शुक्ला के द्वारा रास्ते को बंद करने का काम किया जा रहा था तभी मुस्लिम समुदाय की तरफ से आपत्ति जताते हुए नाराजगी जताई गई थी और मौके पर पहुंचकर अधिकारियों के द्वारा काम को रोक दिया गया था।

इस मामले में वक्फ बोर्ड इटावा की तरफ से मकबरे की ओर जाने वाले रास्ते का मुआना किया गया। दस्तावेज को चेक किया गया तो पता चला कि मुस्लिम पक्ष इस रास्ते को लेकर आवाज उठा रहा है वह रास्ता हकीकत में उनका ही है। यहां एक रिपोर्ट को वक्फ बोर्ड इटावा की तरफ से जारी की जाती है। लेकिन उसके बावजूद भी विपक्षी पार्टी की तरफ से निर्माण कार्य कराए जाने की बात कही जाती रही। इसके बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से मोहम्मद यूनिस अंसारी अपने कमेटी के लोगों के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट पर पहुंचते हैं। यहां पर एक याचिका दाखिल की जाती है। यहां कुछ दिनों का समय दिया जाता है और कुछ दिन बाद आदेश आता है कि यह आपसी विवाद है और इसमें वक्फ का मामला भी जुड़ा हुआ है। इसलिए अपने निर्णय में रिट का निस्तारण करते हुए आदेश किया कि इस मामले को उचित फॉर्म में सुनवाई हेतु दायर किया जाए। इसके बाद मुस्लिम पक्ष उत्तर प्रदेश बक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ में पहुंचा। यहां मामले की सुनवाई हुई और दोनों पक्षों को 7 नवंबर 2024 को दोनों पक्षों को अगली सुनवाई 26.12.2024 के लिए यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश जारी किए गए।

एसडीएम ने आदेश को मानने से किया मना

मुस्लिम पक्ष से तरफ से मोहम्मद यूनिस अंसारी ने बताया है कि उनको 13.11.2024 इकदिल थाने से फोन आता है और बताया जाता है कि वह शाम 4:00 बजे सदर एसडीएम कार्यालय पर पहुंचे। यहां जब मैं एसडीएम कार्यालय पर पहुंचा। तो वहां पर सीओ सिटी भी मौजूद थे। मैंने एसडीएम साहब को बताया कि मामला उत्तर प्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ में दाखिल किया जा चुका है और इस 26.12.2024 तक पूरी तरीके से रोक लगा दी गई है और दोनों पार्टियों को आदेश दिया गया है कि वह किसी भी तरीके का कार्य नहीं कर सकते हैं। इस मामले में एसडीएम साहब को जब लखनऊ न्यायाधिकरण का आदेश दिखाया गया तो उन्होंने उस आदेश को मानने से मना कर दिया और कहा कि मैं इस आदेश को नहीं मानता।

मुस्लिम समुदाय ने जिलाधिकारी के कार्यालय का किया घेराव

सदर एसडीएम के द्वारा उत्तर प्रदेश बक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ का आदेश नहीं माने जाने को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हो गए और गुरुवार को भारी संख्या में जिलाधिकारी के कार्यालय पर पहुंच गए। जहां पर उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए जिलाधिकारी अवनीश कुमार राय के नाम एक ज्ञापन पत्र दिया और उनसे न्याय दिलाने की अपील की गई।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने एसडीएम के बर्ताव को बताया गलत

एसडीएम के द्वारा वक्फ न्यायाधिकरण लखनऊ के आदेश को मानने से इनकार किए जाने के मामले में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की प्रांतीय संयोजक कोमल नेहा ने बताया कि एसडीएम सदर के द्वारा टर्मिनल कोर्ट के द्वारा जारी किए गए आदेश को मानने से इनकार कर दिया गया है। अगर वाकई में उन्होंने ऐसा किया है तो उन्हें ऐसा बहुत गलत है। फरियादी अपनी शिकायत बड़े अधिकारियों के पास जब लेकर आता है जब उसके क्षेत्र में उसकी सुनवाई नहीं हो रही हो। ऐसे में अधिकारी का फर्ज बनता है कि वह सही चीज को माने। अगर अधिकारी ही कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर देता है तो वह अधिकारी बनने के लायक नहीं है।अगर वह जिस कुर्सी पर बैठा है या तो वह दुरुपयोग करने के लिए बैठा है या फिर उसको उसके नियम पता नहीं है।

Shashi kant gautam

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