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तो क्या अब एक घंटे में 9 हजार टूरिस्ट ही कर पाऐंगे ताज का दीदार, जानिए आखिर क्यों ?

ज्यादा भीड़ भाड़ वाले दिनों के दौरान ताजमहल पर प्रति घंटे नौ हजार सैलानियों की संख्या निर्धारित किए जाने पर विचार चल रहा है और इसके लिए नीरी ने एएसआई को ताजमहल पर लेजर काउंटिंग सिस्टम लगाने का भी सुझाव दिया है।

tiwarishalini
Published on: 13 Dec 2016 7:45 PM IST
तो क्या अब एक घंटे में 9 हजार टूरिस्ट ही कर पाऐंगे ताज का दीदार, जानिए आखिर क्यों ?
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आगरा: ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के उपायों पर मंगलवार को चर्चा हुई। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की टीम में शामिल सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी), यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (यूपीपीसीबी), नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी), आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के अधिकारियों ने आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी (एडीए) के अधिकारियों और उद्योगपतियों के साथ मीटिंग की।

सैलानियों के अतरिक्त बोझ से ताजमहल के पत्थर घिस रहे हैं इससे ताजमहल के अस्तित्व पर खतरा बढ़ गया है। इसके लिए जल्द ही ताजमहल पर सैलानियों की संख्या निर्धारित की जा सकती है। नीरी ने एएसआई को हाई टूरिस्ट पोटेंन्शियल डेज यानि की ज्यादा भीड़भाड़ वाले दिनों के दौरान सैलानियों की संख्या निर्धारित किए जाने का सुझाव दिया। इसके तहत त्योहार वाले दिनों के अलावा वीकेंड पर ताज दीदार को आने वाले सैलानियों की संख्या को भी निर्धारित किया जाएगा। ज्यादा भीड़ भाड़ वाले दिनों के दौरान ताजमहल पर प्रति घंटे नौ हजार सैलानियों की संख्या निर्धारित किए जाने पर विचार चल रहा है और इसके लिए नीरी ने एएसआई को ताजमहल पर लेजर काउंटिंग सिस्टम लगाने का भी सुझाव दिया है। ताज की कैरिंग कैपेसिटी को लेकर एएसआई और नीरी के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति बन गई है।

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बता दें कि बुधवार को टीम के सदस्य आगरा समेत फिरोजाबाद में फील्ड विजिट कर यहां औद्योगिक प्रदूषण वाले कारकों और उसके निवारण के वैज्ञानिक उपाय सुझाएंगे। इस पूरी विजिट की रिपोर्ट तैयार कर टीम मंत्रालय को सौंपेगी। जिसके बाद जल और वायु प्रदूषण के कारकों पर अंकुश लगाने के लिए नई गाइडलाइन तैयार की जाएगी।

मीटिंग में ताज को प्रदूषण की आंच से बचाने के मौजूदा ताज ट्रपेजियम जोन (टीटीजेड) के मानकों में परिवर्तन करने पर भी विचार किया गया। इसके साथ ही मीटिंग में उद्योगों के नए ग्रेडिंग सिस्टम पर अधिक बल दिया गया और उद्योगपतियों ने प्रदूषण के लिए उद्योगों से ज्यादा जिम्मेदार अन्य कारकों को बताया। मीटिंग में टीम के सदस्यों ने एयर और अन्य प्रदूषण की वजह से ताज को हो रहे नुकसान पर अधिकारियों और उद्योगपतियों से सुझाव भी मांगा है।

नीरी के साइंटिस्ट डॉ. के वी जार्ज ने बताया कि बीस साल पहले ताजमहल के संरक्षण को लेकर ताज ट्रपेजियम जोन (टीटीजेड) के तहत जिन नियमों को लागू किया गया था आज बीस साल बाद उनके मानकों में परिवर्तन लाने की जरुरत है। बीस साल पहले और बीस साल बाद आज तमाम भौतिक परिवर्तन हुए है। जिसकी वजह से टीटीजेड के मानकों में परिवर्तन लाना बेहद जरुरी हो गया है। ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए जल्द ही इस दिशा में परिवर्तन का विचार किया जा रहा है। मीटिंग में उद्योगों के लिए बनाए गए नए ग्रेडिंग सिस्टम पर अधिक जोर दिया गया।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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