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योगी से नहीं डरते: यहां खुलेआम बेच रहे पटाखे, दुकानदार को नहीं खौफ
काकोरी मंडी के थोक पटाखा व्यापारी अर्चित मिश्रा का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये के पटाखों का स्टॉक दिवाली के लिये रखा था अब इस पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
लखनऊ: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद बीते मंगलवार को यूपी की योगी सरकार ने लखनऊ समेत 13 जिलों में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने और आतिशबाजी के लिए डिजीटल या लेजर तकनीक का इस्तेमाल करने के आदेश से राजधानी लखनऊ के पटाखा व्यापारी बुरी तरह हताश है। हालांकि यहां के काकोरी इलाके में थोक पटाखा मंडी में बुधवार सुबह दुकाने खुली है लेकिन खरीदार नहीं है। दुकानदारों का कहना है कि अभी दुकान बंद करने के संबंध में उन्हे कोई आधिकारिक आदेश नहीं मिला है। जैसे ही आदेश मिलेगा वैसे ही सभी अपनी दुकानें बंद कर देंगे।
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lko-Cracker merchant Photo By Ashutosh Tripathi (newstrack.com)
काकोरी मंडी में पटाखों के 30 व्यापारी है
काकोरी मंडी के थोक पटाखा व्यापारी अर्चित मिश्रा का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये के पटाखों का स्टॉक दिवाली के लिये रखा था अब इस पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने दिवाली, छठ पूजा, गुरुपर्व और आने वाले शादियों के मौसम के लिये पूरी तैयारियां कर रखी थीं। वह बताते है कि काकोरी मंडी में पटाखों के 30 व्यापारी है। सभी ने कुल मिला कर करीब 50 करोड़ रुपये के पटाखों का स्टाक कर रखा था लेकिन अब रोक लगने से सभी कुछ बर्बाद हो जायेगा।
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पटाखा एक सीजनल उत्पाद है और ज्यादा समय रखने पर बेकार हो जाता है
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एक अन्य थोक पटाखा व्यवसाई का कहना था कि पटाखा एक सीजनल उत्पाद है और ज्यादा समय रखने पर बेकार हो जाता है। उनका कहना है कि 20 साल से इस कारोबार में है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। अगर सरकार को रोक लगानी थी तो पहले ही लगा देते। इससे व्यापारी इतना ज्यादा स्टाक न खरीदता। वह बताते है कि पूरे लखनऊ में पटाखों की 1000 से ज्यादा रिटेल की दुकानें है। हर रिटेल दुकानदार दो से ढ़ाई लाख रुपये के पटाखों की बिक्री करता है। रिटेल दुकानदार उनसे पटाखें खरीद कर ले जाते है लेकिन अब सरकार के रोक लगाने के बाद इन रिटेल व्यापारियों के अस्थाई लाइसेंस भी नहीं बनेंगे और न ही वह हमारे पास पटाखा खरीदने आयेगा।
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सरकार को अगर रोक ही लगानी थी तो शिवाकाशी के उन निर्माताओं पर लगाते जो पटाखा बनाती है
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पटाखा व्यवसाई अर्चित का कहना है कि सरकार को अगर रोक ही लगानी थी तो शिवाकाशी के उन निर्माताओं पर लगाते जो पटाखा बनाती है। वह बताते है कि काकोरी पटाखा मंडी में चाइनीज पटाखा नहीं बेंचा जाता है और देशी पहले से ही बंद है। ऐसे में उनके पास केवल ग्रीन पटाखें ही है लेकिन सरकार ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। इससे उनके समेत सभी पटाखा व्यवसाई बर्बाद हो जायेंगे। वह कहते है कि सरकार को पटाखा व्यवसाईयों की हालत के बारे में विचार कर उनकी समस्यां का कोई समाधान निकालना चाहिए।
रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव
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