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सपा के गढ़ सैफई में नया नेतृत्व गढ़ने की कवायद, क्या दलितों से होगा मुकाबला
समाजवादी पार्टी नेतृत्व भी इस चाल को भलीभांति समझ रहा है। सैफई ब्लॉक प्रमुख पद पर आरक्षण का एलान होने के बाद पूर्व सांसद व मुलायम सिंह यादव के नाती तेजप्रताप सिंह यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में सैफई की लगातार उपेक्षा की गई है।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के गढ़ सैफई में पंचायत चुनाव क्या क्रांतिकारी बदलाव की वजह बनने जा रहे हैं। पंचायत चुनाव में सैफई ब्लॉक प्रमुख पद को अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
इससे बीते 25 साल में पहली बार ऐसा होगा जब सैफई ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी मुलायम सिंह यादव के परिवार से दूर चली जाएगी। इससे सपा के सुरक्षित गढ़ सैफई में दलित समुदाय की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पंख लगेंगे और भविष्य में सपा नेतृत्व को अपने ही घर से चुनौती मिल सकती है।
समाजवादी पार्टी नेतृत्व भी इस चाल को भलीभांति समझ रहा है। सैफई ब्लॉक प्रमुख पद पर आरक्षण का एलान होने के बाद पूर्व सांसद व मुलायम सिंह यादव के नाती तेजप्रताप सिंह यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में सैफई की लगातार उपेक्षा की गई है। विकास कार्यों को रोका गया है। वह सैफई के लोगों के हितों से खिलवाड़ कर रही है।
भाजपा ने सैफई परिवार की सर्वोच्चता को चुनौती देने की कोशिश की
तेजप्रताप के इस बयान में भाजपा पर राजनीति का आरोप भी छुपा हुआ है। स्थानीय राजनीति के जानकार भी मान रहे हैं कि आरक्षण की चक्रानुक्रम व्यवस्था के तहत हालांकि सैफई में नया आरक्षण लागू हुआ है लेकिन इसका मकसद राजनीतिक ही है। इस बहाने भाजपा ने सैफई परिवार की सर्वोच्चता को चुनौती देने की कोशिश की है। पिछले 25 साल से सैफई ब्लॉक प्रमुख पद सैफई परिवार का कोई सदस्य ही काबिज होता रहा है।
1995 में जब सैफई ब्लॉक का गठन हुआ तो पहली बार मुलायम सिंह यादव के भाई के रतन सिंह के बेटे रणवीर सिंह को ब्लॉक प्रमुख चुना गया। इसके बाद वर्ष 2000 में वह दोबारा ब्लॉक प्रमुख चुने गए लेकिन असमय मृत्यु की वजह से बाद में यह जिम्मेदारी सपा के पूर्व सांसद व मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र सिंह यादव को मिली।
2005 में चुनाव हुए तो रणवीर सिंह के बेटे तेजप्रताप सिंह यादव को ब्लॉक प्रमुख चुना गया और वह 2014 में सांसद बनने तक इस पद पर बने रहे। 2015 में तेज प्रताप सिंह यादव की मां मृदुला यादव को ब्लॉक प्रमुख चुना गया। इससे समझा जा सकता है कि सैफई परिवार का इस सीट से भावनात्मक लगाव भी है। रणवीर सिंह यादव के उत्तराधिकारी के तौर पर इस सीट को देखा जाता है।
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अब अनुसूचित जाति को सौंपनी होगी कुर्सी
ब्लॉक प्रमुख पद पर आरक्षण का एलान होने के बाद तेजप्रताप सिंह यादव ने मीडिया से कहा है कि यह सैफई परिवार से जुड़ा पद है। यहां जो भी चुनाव जीतेगा वह सैफई का ही होगा। उनके इस बयान में दम नजर आता है, क्योंकि सैफई ब्लॉक में 55 सदस्य चुने जाते हैं। इनमें अधिकांश समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता होते हैं जिन पर सैफई परिवार की कृपादृष्टि रहती है। इसके बावजूद इतना तय है कि सैफई परिवार और सपा को इस बार दलित समुदाय से अपना वफादार तलाशना होगा।
यह सिलसिला शुरू होने के साथ ही सैफई परिवार की बादशाहत खत्म होगी और आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ जाएगी। ऐसे में दलित वर्ग के मतदाता भी सैफई परिवार के मुकाबले में खड़े होने की सोचने लगेंगे। शायद भाजपा ने यही सोच कर आरक्षण का दांव मारा है जो सपा के पहलवानों को भी मैदान में चित्त करने वाला साबित हो सकता है।
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